IHGF Spring 2025 News : हस्तशिल्प का भव्य महाकुंभ, ग्रेटर नोएडा में सजी ‘आईएचजीएफ दिल्ली मेला- स्प्रिंग 2025’ की रंगीन चकाचौंध, सस्टेनेबिलिटी और इनोवेशन की नई परिभाषा गढ़ते कारीगर

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे ब्यूरो।
देश और दुनिया में हस्तशिल्प उत्पादों के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित व्यापारिक आयोजनों में शुमार आईएचजीएफ दिल्ली मेला – स्प्रिंग 2025 ने ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में चार दिवसीय ग्लोबल मेला शुरू कर दिया है। 16 अप्रैल से शुरू होकर 19 अप्रैल 2025 तक चलने वाला यह आयोजन भारत के पारंपरिक कारीगरी की चमक, नवाचार की शक्ति और पर्यावरण-संवेदनशील उत्पादों की अनूठी झलक दुनिया भर के खरीदारों को एक ही छत के नीचे उपलब्ध करा रहा है।
हर कोना सजा भारतीय हस्तशिल्प की जीवंतता से, 3000 से अधिक प्रदर्शकों ने मोहा मन
आईएचजीएफ दिल्ली मेले में इस बार 3000 से अधिक प्रदर्शक अपनी कलात्मकता, सृजनात्मकता और उत्पादन क्षमता के साथ शामिल हुए हैं। इन प्रदर्शकों में भारत के कोने-कोने से आए दस्तकार, लघु उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, युवा डिजाइनर और बड़े ब्रांड्स भी शामिल हैं।
इंडिया एक्सपो सेंटर के 900 स्थायी शोरूम पारंपरिक वस्त्र, घरेलू साज-सज्जा, फर्नीचर, उपहार सामग्री, फैशन ज्वेलरी, किचनवेयर और पर्यावरण-हितैषी उत्पादों से जगमगा उठे हैं। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, असम, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत के शिल्पकारों ने भी अपने विशिष्ट उत्पादों के माध्यम से खरीदारों का ध्यान खींचा है।

सस्टेनेबिलिटी बना आकर्षण का केंद्र, पुनर्नवीनीकरण और प्राकृतिक उत्पादों की खूब डिमांड
इस बार मेला सिर्फ व्यापार का केंद्र नहीं, बल्कि हरित सोच का मंच बन गया है। मेले में प्रदर्शित उत्पादों में प्राकृतिक रेशे, बांस, जूट, नारियल के रेशे, रीसाइकल फैब्रिक, लकड़ी के अपशिष्ट, और बायोडिग्रेडेबल सामग्री से तैयार वस्तुएं प्रमुखता से शामिल हैं।
खरीदारों ने इको-फ्रेंडली डिजाइन, सर्कुलर इकोनॉमी पर आधारित उत्पाद और स्थायी उपयोग वाली वस्तुओं को प्राथमिकता दी है। यह दर्शाता है कि अब वैश्विक बाजार भी पर्यावरण संरक्षण को व्यवसाय के मूल में रखने वाले उत्पादकों की ओर झुक रहा है।
फैशन शो, लाइव डेमो और हस्तकला का रंगारंग संगम
मेले की खास आकर्षणों में से एक रहा शानदार फैशन शो, जहां भारत के पारंपरिक वस्त्रों, कढ़ाई वाले जैकेट्स, सिल्क साड़ियों, बैग्स और फैशन ज्वेलरी को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर पेश किया गया। दर्शकों ने कारीगरों की डिज़ाइन क्षमता को सराहा और कई विदेशी खरीदारों ने यहीं ऑर्डर फाइनल कर दिए।
इसके साथ ही, लाइव आर्ट डेमोन्स्ट्रेशन में मधुबनी पेंटिंग, बंधेज, सिक्की घास के उत्पाद, लकड़ी की नक्काशी, और मेटल वर्क जैसी पारंपरिक कलाओं को देखने का अवसर मिला। एक्सपो सेंटर का हर कोना भारतीय संस्कृति की विविधता का जीवंत उदाहरण बन गया।
तकनीक और डिज़ाइन के मेल से व्यापार में नवाचार की बयार
इस बार मेले में तकनीक की भी जोरदार मौजूदगी रही। ‘द आर्ट ऑफ अट्रैक्शन’ नामक वर्कशॉप में विज़ुअल मर्चेंडाइजिंग, बूथ डिज़ाइन रणनीति, डिजाइन साइकोलॉजी, और बायर्स बिहेवियर पर चर्चा की गई।
इसके साथ ही, एआई आधारित डिज़ाइन, साइबर सुरक्षा, डिजिटल मार्केटिंग, और ई-कॉमर्स निर्यात रणनीतियों पर भी सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में युवा उद्यमियों, डिज़ाइनरों और नवाचारकों की बड़ी भागीदारी देखने को मिली।

सरकारी प्रतिनिधियों और संस्थागत प्रमुखों का दौरा, आयोजन को बताया ‘गौरव का विषय’
आईएचजीएफ मेला-2025 का अवलोकन करने भारत सरकार की वस्त्र मंत्रालय की सचिव श्रीमती नीलम शमी राव विशेष रूप से पहुंचीं। उन्होंने कहा कि, “यह आयोजन भारत की हस्तशिल्प विरासत और बदलते वैश्विक बाजार की मांगों के बीच सेतु का कार्य कर रहा है।”
विकास आयुक्त (हस्तकरघा) श्रीमती एम. बीना, राज्यसभा सांसद श्री जावेद अली खान, अतिरिक्त सचिव श्री असित गोपाल, और वाणिज्य मंत्रालय की आर्थिक सलाहकार रेणु लता सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भी मेले का दौरा किया और भारतीय उत्पादों की विविधता की सराहना की।
ईपीसीएच का नेतृत्व और दिशा, अंतरराष्ट्रीय बाजार की ओर आत्मनिर्भर भारत की छलांग
ईपीसीएच चेयरमैन श्री दिलीप बैद ने बताया कि “भारतीय उत्पादों की वैश्विक मांग तेजी से बढ़ रही है, और इस मेले के जरिए हजारों कारीगरों को सीधा इंटरनेशनल मार्केट मिल रहा है।”
डॉ. नीरज खन्ना, उपाध्यक्ष, ईपीसीएच ने कहा, “सस्टेनेबिलिटी थीम के जरिए हम ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘मेक इन इंडिया’ को नई ऊर्जा दे रहे हैं।”
डॉ. राकेश कुमार, चेयरमैन, आईईएमएल ने कहा, “मेला अब केवल व्यापार का मंच नहीं, बल्कि ज्ञान, तकनीक और संस्कृति का समागम बन चुका है।”
खरीदारों के अनुभव, ‘हर बार कुछ नया, कुछ बेहतर’
जर्मनी से आए एक्सेल ने बताया, “मैं पिछले 9 सालों से इस मेले में आता हूं, और हर बार भारत की डिज़ाइन क्षमता देखकर चकित रह जाता हूं।”
यूके के क्रिस मोरलैंड ने कहा, “इस बार खासतौर पर सस्टेनेबल और हैंडमेड प्रोडक्ट्स की शानदार रेंज देखने को मिली। कई भारतीय स्टार्टअप्स से मैंने व्यापारिक समझौते किए हैं।”
निष्कर्ष: हस्तशिल्प की चमक और हरित सोच का संगम
आईएचजीएफ दिल्ली मेला- स्प्रिंग 2025 भारतीय हस्तशिल्प उद्योग की सृजनशीलता, संस्कृति और समावेशिता का भव्य मंच बन चुका है। यहां व्यापार है, कला है, तकनीक है और सबसे बड़ी बात- भारत की आत्मा है।
इस आयोजन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब बात संस्कृति को व्यवसाय से जोड़ने की हो, तो भारत का कोई मुकाबला नहीं। भविष्य में यह आयोजन न केवल भारतीय कारीगरों को वैश्विक पहचान दिलाएगा, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी बड़ा कदम सिद्ध होगा।
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