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ACE Divino News : "सपनों का महल या मौत का जाल?, ऐस डिवीनो सोसाइटी में खुली लापरवाही की परतें, बेसमेंट में रिसता ज़हर, बच्ची घायल, निवासियों का फूटा गुस्सा", बेसमेंट में रिसता ज़हर – हादसे की गिनती शुरू?

ग्रेटर नोएडा वेस्ट, रफ्तार टुडे।
सेक्टर-1 की बहुचर्चित और अल्ट्रा-लक्ज़री बताई गई ऐस डिवीनो सोसाइटी आजकल बुरे सपने में तब्दील हो चुकी है। जिस खूबसूरत जीवन की कल्पना दिखाकर बिल्डर ने घर बेचे थे, वह अब खतरों, अनदेखी और लापरवाही की भयावह कहानी बन गई है। सोसाइटी में हाल ही में हुई एक मासूम बच्ची की घायल होने की घटना ने पूरे मामले को और गंभीर बना दिया है।


बेसमेंट में रिसता ज़हर – हादसे की गिनती शुरू?

ऐस डिवीनो की बिल्डिंग में बनी वॉटर बॉडी, जो कि कभी इसकी पहचान मानी जाती थी, अब मुसीबत का घर बन गई है। वॉटरप्रूफिंग के अभाव में बेसमेंट 1 और 2 में लगातार पानी रिसाव हो रहा है। दीवारें सीलन से जर्जर हो चुकी हैं और फर्श पर पानी भरने से किसी बड़े हादसे का इंतज़ार हो रहा है।
रहवासियों का कहना है कि जब भी गाड़ी लेकर बेसमेंट में उतरते हैं, तो मन में डर समाया रहता है – कहीं कोई दीवार गिर न जाए या फिसलन में कोई जान न चली जाए।


6 महीने से चिल्ला रहे हैं निवासी – नहीं जागा कोई ज़िम्मेदार

विपुल भारद्वाज, अमित श्रीवास्तव और निशांत गुप्ता जैसे निवासियों ने बताया कि बीते छह महीनों से लगातार शिकायतें कर रहे हैं। रजिस्टर्ड मेल, मीटिंग्स, कॉल्स – हर संभव तरीका आज़माया गया। पर जवाब में केवल टालमटोल और ‘काम चल रहा है’ जैसे बहाने मिले।

विडंबना ये है कि मेंटेनेंस चार्ज तक बढ़ा दिया गया है, जबकि सुविधाएं घटती जा रही हैं। न तो पानी की लाइन दुरुस्त, न सुरक्षा, और न ही बेसमेंट का हाल सुधरा।


खुले हिस्से में बच्ची घायल – ये लापरवाही नहीं, अपराध है!

सबसे दिल दहला देने वाली घटना तब सामने आई जब सोसाइटी के खुले और असुरक्षित हिस्से में एक मासूम बच्ची का पैर बुरी तरह कट गया।
इस दर्दनाक हादसे ने एक बात साफ कर दी – यहां बच्चों, बुजुर्गों और परिवारों की सुरक्षा से खुला खिलवाड़ हो रहा है।


“बिक गया सपना, मिल गई त्रासदी” – निवासियों का फूटा गुस्सा

निवासियों का आरोप है कि बिल्डर ने फ्लैट बेचने के लिए जो ब्रोशर, फोटो और वीडियो जारी किए थे, वो झूठ का पुलिंदा थे।
“हमें दिखाया गया था कि ये एक स्वर्ग जैसी सोसाइटी होगी। अब समझ में आ गया कि वो एक सुनियोजित धोखा था,” – एक महिला निवासी ने कहा।

एक अन्य निवासी ने तीखा तंज कसते हुए कहा –
“बिल्डर ने ऊपर से छवि चमकाई, लेकिन नींव में ज़हर डाल दिया। हर कोने में खतरा, हर कदम पर धोखा।”


5 प्रमुख मांगें जो अब टालना नामुमकिन है:

  1. बेसमेंट में हो रहे रिसाव की तुरंत और स्थायी मरम्मत।
  2. वॉटर बॉडी की तकनीकी और संरचनात्मक जांच।
  3. खुले क्षेत्रों को पूरी तरह सुरक्षित किया जाए।
  4. घायल बच्ची के परिवार को मुआवज़ा और न्याय मिले।
  5. मेंटेनेंस चार्ज को घटाया जाए जब तक सुविधाएं दुरुस्त न हों।

क्या प्रशासन करेगा कार्रवाई या फिर इंतज़ार होगा अगली त्रासदी का?

अब समय आ गया है कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी, बिल्डर और मेंटेनेंस एजेंसी की जिम्मेदारियों को तय किया जाए।
अगर अब भी आंखें मूंदी रहीं, तो अगला हादसा और बड़ा हो सकता है – शायद जानलेवा भी।


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