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The Picture Of Delhi Was Tarnished By The Incomplete Efforts Of The Corporation. – स्वच्छ सर्वेक्षण: निगम के अधूरे प्रयासों से धूमिल रह गई दिल्ली की तस्वीर 

सार

गीले व ठोस कचरे के निपटारे के प्रयास में पीछा रहा निगम। तीनों निगमों में सिर्फ पूर्वी निगम ने किया बीते वर्ष के मुकाबले सुधार।

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देश की राजधानी दिल्ली की धूमिल तस्वीर को सुधारने के लिए तीनों नगर निगमों की ओर से किए जा रहे तमाम दावे स्वच्छता सर्वेक्षण में फिसड्डी साबित हुए हैं। यह नतीजे तब हैं जब तीन माह पहले ही तीनों नगर निगमों की ओर से संयुक्त बैठक कर दिल्ली को कुछ ही महीनों में कूड़ा मुक्त करने का निर्णय लिया गया था। इस कड़ी में निगम की ओर से कई योजनाओं का लांच करने के बाद भी अमलीजामा पहनाने में रही कमी निगम के स्वच्छता रैंकिंग में फिसलने का कारणों में से एक है। 

 बीते वर्षों के मुकाबले तीनों नगर निगमों में सिर्फ पूर्वी निगम ने बेहतर प्रदर्शन किया है। इस वर्ष पूर्वी निगम को अधिक अंक प्राप्त हुए हैं। बीते वर्ष निगम को 6000 अंकों में से 1962 मिले थे। इस बार निगम ने 3226 अंक प्राप्त कर 40वां स्थान हासिल किया है। वहीं, तीनों नगर निगमों में ठोस कचरे के प्रबंधन व पृथक्ककरण प्रमुख कारण बना रहा। 

उत्तरी निगम की ओर से स्वतंत्रता दिवस से पहले  13 अगस्त को क्लीन सीटी नाम से एप भी लांच किया था। इसका प्रमुख उद्देश्य कूड़ा न उठने पर शिकायत दर्ज कराना था। इसके साथ ही निगम की ओर से गली मोहल्लों में स्वच्छता अभियान चला। लेकिन, तमाम प्रयासों के बावजूद उत्तरी निगम अपनी रैंकिंग में सुधार नहीं कर सका। दूसरी तरफ दक्षिणी निगम ने बीते एक वर्ष में रैंकिंग में कोई बदलाव नहीं किया है। यह तब है जब महापौर चुनाव के बाद चुने गए नेताओं ने दक्षिणी निगम की रैंकिंग में सुधार करने का दावा किया था। 

पूर्वी निगमायुक्त विकास आनंद के मुताबिक, गंभीर वित्तीय संकट के बावजूद निगम ई-गर्वनेंस व ठोस कचरा प्रबंधन कार्य कर रहा है। साथ ही घर जाकर कचरा संग्रहण व पृथक्करण के लिए भी प्रयास कर रहा है। यही वजह है कि एख लाख की आबादी वाले शहरों में पूर्वी निगम ने 420 प्रतिभागियों में से 143 रैंक हासिल की है। पिछले वर्ष यह निगम की 323 रैंक रही थी। 

पिछड़ने के प्रमुख कारण

  • ठोस व गीले कचरे का निपटारा
  • कचरे का पृथक्करण
  • ढलाव घरों की हालत 
  • सार्वजनिक शौचालयों में पसरी रहने वाली गंदगी
  • निगम क्षेत्रों में खुले में पड़े रहने वाला कचरा
  • खुले स्थान पर पड़े रहने वाले मलबा
  • गली मोहल्लों में गंदगी का आलम
जिन आंकड़ों के आधार पर सर्वेक्षण किया गया है वे 31 मार्च से पहले के आंकड़े हैं। बीते दो-तीन महीनों के भीतर पूर्वी निगम की ओर से सफाई के क्षेत्र में बेहतर कार्य किए जा रहे हैं। अगले दो से तीन महीनों के भीतर निगम की ओर से सभी ढलाव घरों को बंद कर दिया जाएगा। 
-श्याम सुंदर अग्रवाल, महापौर, पूर्वी निगम

उत्तरी निगम सफाई के क्षेत्र में लगातार कार्य कर रहा है। बड़ी प्रतियोगितिओं में बिना जनता के सहयोग के बेहतर रैंक लाना संभव नहीं है। निगम क्षेत्र को पूरी तरह से साफ करना है तो जागरूकता के साथ जनभागिदारी जरूरी है। 
– राजा इकबाल सिंह, महापौर, उत्तरी निगम

निगम ने एक लाख आबादी वाले शहरों की रैंकिंग में 420 में से 112 रैंक हासिल किया है। पिछले वर्ष निगम की रैंकिंग 120 थी। सफाई के लिए लगातार काम किया जा रहा है। आगे कोशिश रहेगी कि टॉप 10 में आ सके। 
-मुकेश सूर्यन, महापौर, दक्षिणी निगम 

स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में दिल्ली के नगर निगमों के प्रदर्शन में विरोधाभास दिख रहा है। दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) एक तरफ अपने श्रेणी में शीर्ष पर रहा है, जबकि तीनों निगम अपनी श्रेणियों में अंतिम दस में। 10 लाख से अधिक आबादी वाले 48 शहरों में दिल्ली के नगर निकाय अंतिम स्थानों पर जगह बना पाए हैं। पूरे वर्ष नगर निगमों की ओर से स्वच्छता को लेकर किए गए दावे व तमाम प्रयास स्वच्छता रैंकिंग में नाकाफी साबित हुए हैं।

पिछले वर्ष के मुकाबले दक्षिणी निगम अपने पायदान से नहीं हिली है, जबकि उत्तरी निगम की रैंकिंग में गिरावट दर्ज हुई है। पूर्वी निगम ने पिछले वर्ष के मुकाबले छह पायदान चढ़ रैंकिंग में सुधार किया है। इस वर्ष दक्षिणी निगम ने 31वां, पूर्वी निगम ने 40वां व उत्तरी निगम ने 45वां स्थान हासिल किया है। बीते वर्ष 47 शहरों की सूची में उत्तरी निगम ने 43, दक्षिणी निगम ने 31 व पूर्वी निगम ने 46 रैंक हासिल की थी।

तीसरे स्थान पर रहा दिल्ली कैंट बोर्ड
स्वच्छता रैंकिंग में एक से 10 लाख आबादी वाले शहरों की सूची में इस वर्ष दिल्ली कैंट ने 97वां स्थान हासिल किया है। वहीं, कैंटोनमेंट बोर्ड की श्रेणी में 62 कैंट में से दिल्ली कैंट ने तीसरा स्थान हासिल किया है। पहले स्थान पर अहमदाबाद व दूसरे स्थान पर मेरठ कैंट है।

विस्तार

देश की राजधानी दिल्ली की धूमिल तस्वीर को सुधारने के लिए तीनों नगर निगमों की ओर से किए जा रहे तमाम दावे स्वच्छता सर्वेक्षण में फिसड्डी साबित हुए हैं। यह नतीजे तब हैं जब तीन माह पहले ही तीनों नगर निगमों की ओर से संयुक्त बैठक कर दिल्ली को कुछ ही महीनों में कूड़ा मुक्त करने का निर्णय लिया गया था। इस कड़ी में निगम की ओर से कई योजनाओं का लांच करने के बाद भी अमलीजामा पहनाने में रही कमी निगम के स्वच्छता रैंकिंग में फिसलने का कारणों में से एक है। 

 बीते वर्षों के मुकाबले तीनों नगर निगमों में सिर्फ पूर्वी निगम ने बेहतर प्रदर्शन किया है। इस वर्ष पूर्वी निगम को अधिक अंक प्राप्त हुए हैं। बीते वर्ष निगम को 6000 अंकों में से 1962 मिले थे। इस बार निगम ने 3226 अंक प्राप्त कर 40वां स्थान हासिल किया है। वहीं, तीनों नगर निगमों में ठोस कचरे के प्रबंधन व पृथक्ककरण प्रमुख कारण बना रहा। 

उत्तरी निगम की ओर से स्वतंत्रता दिवस से पहले  13 अगस्त को क्लीन सीटी नाम से एप भी लांच किया था। इसका प्रमुख उद्देश्य कूड़ा न उठने पर शिकायत दर्ज कराना था। इसके साथ ही निगम की ओर से गली मोहल्लों में स्वच्छता अभियान चला। लेकिन, तमाम प्रयासों के बावजूद उत्तरी निगम अपनी रैंकिंग में सुधार नहीं कर सका। दूसरी तरफ दक्षिणी निगम ने बीते एक वर्ष में रैंकिंग में कोई बदलाव नहीं किया है। यह तब है जब महापौर चुनाव के बाद चुने गए नेताओं ने दक्षिणी निगम की रैंकिंग में सुधार करने का दावा किया था। 

पूर्वी निगमायुक्त विकास आनंद के मुताबिक, गंभीर वित्तीय संकट के बावजूद निगम ई-गर्वनेंस व ठोस कचरा प्रबंधन कार्य कर रहा है। साथ ही घर जाकर कचरा संग्रहण व पृथक्करण के लिए भी प्रयास कर रहा है। यही वजह है कि एख लाख की आबादी वाले शहरों में पूर्वी निगम ने 420 प्रतिभागियों में से 143 रैंक हासिल की है। पिछले वर्ष यह निगम की 323 रैंक रही थी। 

पिछड़ने के प्रमुख कारण

  • ठोस व गीले कचरे का निपटारा
  • कचरे का पृथक्करण
  • ढलाव घरों की हालत 
  • सार्वजनिक शौचालयों में पसरी रहने वाली गंदगी
  • निगम क्षेत्रों में खुले में पड़े रहने वाला कचरा
  • खुले स्थान पर पड़े रहने वाले मलबा
  • गली मोहल्लों में गंदगी का आलम
जिन आंकड़ों के आधार पर सर्वेक्षण किया गया है वे 31 मार्च से पहले के आंकड़े हैं। बीते दो-तीन महीनों के भीतर पूर्वी निगम की ओर से सफाई के क्षेत्र में बेहतर कार्य किए जा रहे हैं। अगले दो से तीन महीनों के भीतर निगम की ओर से सभी ढलाव घरों को बंद कर दिया जाएगा। 

-श्याम सुंदर अग्रवाल, महापौर, पूर्वी निगम

उत्तरी निगम सफाई के क्षेत्र में लगातार कार्य कर रहा है। बड़ी प्रतियोगितिओं में बिना जनता के सहयोग के बेहतर रैंक लाना संभव नहीं है। निगम क्षेत्र को पूरी तरह से साफ करना है तो जागरूकता के साथ जनभागिदारी जरूरी है। 

– राजा इकबाल सिंह, महापौर, उत्तरी निगम

निगम ने एक लाख आबादी वाले शहरों की रैंकिंग में 420 में से 112 रैंक हासिल किया है। पिछले वर्ष निगम की रैंकिंग 120 थी। सफाई के लिए लगातार काम किया जा रहा है। आगे कोशिश रहेगी कि टॉप 10 में आ सके। 

-मुकेश सूर्यन, महापौर, दक्षिणी निगम 

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