Greater Noida Authority News : "नहीं रुकेगा विकास का पहिया!, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ला रहा डिजिटल चाबुक, सॉफ्टवेयर से होगी हर प्रोजेक्ट की सख्त निगरानी, जवाबदेही तय और टालमटोल पर लगेगा ब्रेक"
एसीईओ श्रीलक्ष्मी वीएस की अध्यक्षता में हुआ NITCON सॉफ्टवेयर का प्रेजेंटेशन, पारदर्शिता और जवाबदेही को मिलेगी मजबूती

ग्रेटर नोएडा | रफ्तार टुडे ब्यूरो
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अब तकनीक के सहारे विकास परियोजनाओं को नई दिशा देने जा रहा है। अब तक जिन परियोजनाओं की फाइलें महीनों तक टेबल पर धूल फांकती थीं, उन पर अब सॉफ्टवेयर आधारित सख्त नजर रखी जाएगी। गुरुवार को प्राधिकरण की एसीईओ श्रीलक्ष्मी वीएस की अध्यक्षता में एक अहम बैठक आयोजित हुई, जिसमें परियोजनाओं की निगरानी के लिए तैयार किए गए अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर का प्रस्तुतिकरण किया गया।
ग्रेटर नोएडा में शुरू हुआ ‘डिजिटल विजिलेंस’ का नया युग
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अब अपनी कार्यप्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने जा रहा है, जो न सिर्फ कार्यों की रफ्तार बढ़ाएगा, बल्कि जवाबदेही तय करने के नए मानक भी स्थापित करेगा। गुरुवार को प्राधिकरण की एसीईओ श्रीलक्ष्मी वीएस की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में एक अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर का प्रस्तुतिकरण हुआ, जो विकास परियोजनाओं की निगरानी और प्रगति पर बारीकी से नजर रखेगा। यह सिस्टम न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ावा देगा, बल्कि उन अधिकारियों-कर्मचारियों पर भी नकेल कसने का काम करेगा, जो काम को अनावश्यक रूप से लटकाते हैं।
परियोजनाओं पर अब होगी 360 डिग्री निगरानी
इस सॉफ्टवेयर के जरिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की हर परियोजना की रियल-टाइम मॉनिटरिंग की जाएगी। चाहे वो सड़क निर्माण हो, सीवरेज लाइन डाले जाने का काम हो, जलापूर्ति योजना हो या सेक्टर डिवेलपमेंट—हर पहलू को इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ट्रैक किया जाएगा। संबंधित विभागों को समय-समय पर फोटोग्राफिक प्रूफ अपलोड करना होगा ताकि कोई भी विभाग या अधिकारी काम में लापरवाही न कर सके।
लापरवाह अफसरों की अब खैर नहीं
अब तक यह देखा गया था कि कई विकास कार्य समय से पूरे नहीं हो पाते थे और इसका ठीकरा अक्सर किसी पर नहीं फूटता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। नए सॉफ्टवेयर के माध्यम से यह साफ-साफ पता लगाया जा सकेगा कि किस अधिकारी या कर्मचारी की वजह से कार्यों में देरी हो रही है। सिस्टम यह भी बताएगा कि किस फाइल पर कितने दिन से कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

श्रीलक्ष्मी वीएस ने दिखाया स्पष्ट विजन
बैठक में एसीईओ श्रीलक्ष्मी वीएस ने स्पष्ट कहा कि प्राधिकरण में पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने सॉफ्टवेयर के सभी फीचर्स को बारीकी से समझा और इसके प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए।
कौन-कौन रहा मौजूद, टेक्निकल टीम ने दिया प्रेजेंटेशन
बैठक में प्राधिकरण के सलाहकार पीपी सिंह, कंसल्टेंसी फर्म KPMG के प्रतिनिधि, और NITCON कंपनी की तकनीकी टीम उपस्थित रही। टीम ने बताया कि यह प्लेटफॉर्म न केवल कार्य प्रगति की निगरानी करेगा, बल्कि टेंडर शर्तों के अनुसार कार्य निष्पादन का विश्लेषण भी करेगा।
डेटा के दम पर चलेगा प्राधिकरण, भावना नहीं बहाना चलेगा
यह सॉफ्टवेयर डेटा आधारित विश्लेषण को प्राथमिकता देगा। हर विभाग को अपनी परियोजनाओं की स्थिति अपडेट करनी होगी। अगर किसी परियोजना में देरी हो रही है, तो उसका कारण स्पष्ट रूप से दर्ज करना होगा। अब किसी भी अधिकारी के पास बहाने बनाने का मौका नहीं रहेगा।
ग्रेटर नोएडा में चल रही परियोजनाओं की लंबी सूची
वर्तमान में ग्रेटर नोएडा में दर्जनों बड़ी और छोटी परियोजनाएं चल रही हैं—जैसे कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट को मेट्रो से जोड़ने की योजना, विभिन्न सेक्टरों का डिवेलपमेंट, सड़क चौड़ीकरण, पार्कों का सौंदर्यीकरण, सीवरेज अपग्रेडेशन और ट्रैफिक सिग्नल सिस्टम की उन्नति। ऐसे में एक सेंट्रलाइज्ड डिजिटल सिस्टम सभी विभागों को एक ही मंच पर जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा।

जनता को भी मिलेगा फायदा, शिकायतें होंगी कम
जब कार्य समय से पूरे होंगे और ट्रैकिंग ओपन सिस्टम में होगी, तो जनता को भी सीधे तौर पर इसका लाभ मिलेगा। प्राधिकरण यह भी सोच रहा है कि इस सॉफ्टवेयर की कुछ विशेष जानकारी जनता के लिए ओपन की जाए, जिससे वे देख सकें कि उनके क्षेत्र में कौन-सा कार्य किस स्टेज पर है। इससे अनावश्यक शिकायतें कम होंगी और विश्वास बढ़ेगा।
जवाबदेही तय करना समय की मांग
एक लंबे समय से यह मांग उठती रही है कि अफसरों की जवाबदेही तय की जाए। जब करोड़ों की परियोजनाएं समय से पूरी नहीं होतीं, तो नुकसान केवल राजकोषीय नहीं होता, बल्कि आम जनता की उम्मीदों और विश्वास का भी ह्रास होता है। ऐसे में यह डिजिटल पहल उत्तर प्रदेश के शहरी विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।
जल्द ही शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट
प्राधिकरण ने संकेत दिया है कि इस सॉफ्टवेयर का पायलट रन अगले कुछ हफ्तों में शुरू किया जाएगा। कुछ चुनिंदा विभागों में इसे पहले लागू कर परिणामों का अध्ययन किया जाएगा। यदि सफल रहा तो इसे पूरे प्राधिकरण में अनिवार्य कर दिया जाएगा।
भविष्य में अन्य योजनाओं से होगा एकीकरण
भविष्य में यह सॉफ्टवेयर जीआईएस मैपिंग, ड्रोन सर्विलांस, ई-फाइलिंग सिस्टम, जन शिकायत पोर्टल आदि से भी जोड़ा जाएगा, जिससे यह एक ऑल-इन-वन गवर्नेंस प्लेटफॉर्म बन सके। इससे ग्रेटर नोएडा को स्मार्ट सिटी के तौर पर स्थापित करने की दिशा में मजबूती मिलेगी।
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