Barahi Mella 2025 : हवन-ध्वजारोहण से हुआ शुभारंभ, चमत्कारी सरोवर में डुबकी लगाकर शुरू हुई श्रद्धा की यात्रा, सूरजपुर में ऐतिहासिक बाराही मेला-2025 बना धार्मिक रंगों, लोक संस्कृति और मनोरंजन का संगम

सूरजपुर, रफ्तार टुडे।
ग्रेटर नोएडा की धरती पर फिर से गूंज उठे ढोल-नगाड़ों की आवाजें, फिर से जीवंत हो उठीं सदियों पुरानी लोककथाएं, और फिर से सज गया सूरजपुर का ऐतिहासिक बाराही मेला-2025, जो ना केवल क्षेत्र की धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि ग्रामीण भारत की सांस्कृतिक विरासत का गौरवशाली प्रतीक भी है। गुरुवार को हवन-यज्ञ व ध्वजारोहण के साथ इस 12 दिवसीय मेले का भव्य शुभारंभ हुआ, जहां भक्तों, ग्रामीणों और लोक कलाकारों की एकजुटता ने मेले को उत्सव का रूप दे दिया।
धार्मिक रीति-रिवाजों से सजी शुरुआत: यज्ञ-हवन में उमड़ा भक्तों का सैलाब
गुरुवार सुबह 10 बजे मेले की शुरुआत यज्ञाचार्य आचार्य सुमित शुक्ला द्वारा विधिपूर्वक हवन-यज्ञ से की गई। धूप, अग्नि और वैदिक मंत्रोच्चारण से वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। ग्रामीणजन व श्रद्धालु पारंपरिक पोशाकों में यज्ञ स्थल पर पहुंचे और मेले की मंगलकामनाओं के साथ यज्ञ आहुति दी।
शाम 4 बजे हुआ ध्वजारोहण समारोह, जिसमें शिव मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष चौधरी धर्मपाल भाटी, महामंत्री ओमवीर बैंसला, कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल, मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा समेत अन्य समिति पदाधिकारियों ने भाग लिया। परंपरागत ध्वज को मंदिर प्रांगण में फहराकर बाराही मेले के शुभारंभ की विधिवत घोषणा की गई।
चमत्कारी सरोवर बना आस्था का केंद्र, हजारों ने किया स्नान
मेले के शुभारंभ के साथ ही सूरजपुर स्थित बाराही सरोवर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। यह सरोवर क्षेत्रवासियों की आस्था का केंद्र है, जिसके बारे में मान्यता है कि यहां स्नान करने से चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है। कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल ने बताया कि पहले ही दिन सैकड़ों लोगों ने स्नान किया और मां बाराही से सुख-समृद्धि की प्रार्थना की।
लोक संस्कृति का रंगीन मंच: कच्ची घोड़ी से लेकर बीन-नगाड़ा तक छाया ग्रामीण रंग
मेले का आकर्षण सिर्फ धार्मिक गतिविधियों तक सीमित नहीं है। सांस्कृतिक मंच पर हर दिन राजस्थानी, हरियाणवी, ब्रज और अवधी संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है। राजस्थान से आई कच्ची घोड़ी पार्टी, बीन और नंगाड़ा के कलाकारों ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। सबसे बड़ी खाट, पारंपरिक हुक्का, रई, पीढ़ा, बैलगाड़ी आदि प्रदर्शनों ने ग्रामीण विरासत को जीवंत कर दिया है।
मनोरंजन के भरपूर साधन: बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए झूले, सर्कस, मौत का कुआं और जादूगर
मेले में मनोरंजन का भी पूरा इंतजाम है। महामंत्री ओमवीर बैंसला ने बताया कि बच्चों के लिए कठपुतली शो, नट कला, मौत का कुआं, झूले, जादूगर शो, सर्कस और खाने-पीने की चाट-पकौड़ी स्टॉल तक की व्यवस्था की गई है। पूरा मेला बच्चों और युवाओं के लिए एक मिनी डिज्नीलैंड जैसा अनुभव बन गया है, जहां हर कदम पर रोमांच और खुशियां बिखरी हुई हैं।
रात्रिकालीन कार्यक्रमों में गूंजेगी लोक-संगीत की मधुर स्वर-लहरियां
शाम ढलते ही शुरू होंगे रात्रिकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम, जिनमें हरियाणवी रागनी, राजस्थानी लोकगीत, ब्रज की लोरियां, नृत्य, फोक-थियेटर और विशेष प्रस्तुति वाले कार्यक्रम होंगे। कार्यक्रमों की शुरुआत मां सरस्वती वंदना के साथ होगी, जिसे स्थानीय स्कूली बच्चे प्रस्तुत करेंगे।

11 अप्रैल को रंगारंग कार्यक्रम, शेखचिल्ली-रूखसाना एंड पार्टी करेंगे हास्य की बौछार
11 अप्रैल (शुक्रवार) को मेले में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। शाम 5 बजे दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रमों की शुरुआत होगी। जे.एस. कॉन्वेंट स्कूल सूरजपुर के छात्र-छात्राएं सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देंगे, जिसके बाद शेखचिल्ली-रूखसाना एंड पार्टी द्वारा हंसी के फव्वारे छोड़ने वाली कॉमेडी प्रस्तुति और रागनी का रंगारंग कार्यक्रम होगा।
22 अप्रैल को होगा समापन, विशाल दंगल में देशभर के पहलवान दिखाएंगे दांव-पेंच
मेले का समापन 22 अप्रैल को विशाल दंगल के साथ होगा, जिसमें देशभर के नामी-गिरामी पहलवान हिस्सा लेंगे। आयोजकों के अनुसार, इस दंगल में मुकाबले 101 रुपये से लेकर 1,01,000 रुपये तक के इनामी होंगे। धर्मपाल भाटी ने बताया कि यह दंगल क्षेत्र की परंपराओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का माध्यम बनेगा।
समर्पित टीम ने बनाई योजना, मेला बना अनुशासन व परंपरा का उदाहरण
इस मेले को सफल बनाने के लिए शिव मंदिर सेवा समिति की टीम पूरी तरह समर्पित है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष बिजेंद्र सिंह ठेकेदार, उपाध्यक्ष सुनील देवधर, विनोद कौंडली, अनिल भाटी, सह-सचिव विनोद सिकंद्राबादी सहित अनेक पदाधिकारी पूरे समय मेला क्षेत्र में सक्रिय रहकर व्यवस्थाएं संभाल रहे हैं। सुरक्षा, स्वच्छता, रोशनी और मेडिकल व्यवस्था के भी समुचित प्रबंध किए गए हैं।
बाराही मेला-2025: धार्मिक आस्था, ग्रामीण विरासत और आधुनिक मनोरंजन का परिपूर्ण संगम
बाराही मेला-2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह लोक संस्कृति की जीवंत प्रदर्शनी और सामूहिक चेतना का उत्सव है। यह मेला क्षेत्रवासियों के लिए श्रद्धा, मनोरंजन और परंपरा को एक साथ जोड़ने वाला अद्वितीय आयोजन बन चुका है, जिसकी पहचान अब पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फैल चुकी है।
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