अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: सुशील कुमार
Updated Mon, 06 Dec 2021 12:27 AM IST
सार
इसके तहत आईटीआई पूसा, जाफरपुर कलां, मयूर विहार, शाहदरा, जेल रोड और नरेला में स्वचालित ड्राइविंग परीक्षण ट्रैक का निर्माण किया जाएगा। इनके निर्माण पर करीब 10 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
ड्राइविंग लाइसेंस।
– फोटो : अमर उजाला
ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदकों का इंतजार कुछ कम होगा। दिल्ली सरकार ने लंबे इंतजार को कम करने के लिए आठ ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक बनाने जा रही है। इसके लिए आठ शिक्षण संस्थानों की पहचान करने के बाद ट्रैक के निर्माण के लिए परिवहन विभाग ने टेंडर जारी किया है। इसके तहत इंदिरा गांधी दिल्ली महिला तकनीकी विश्वविद्यालय (कश्मीरी गेट), दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बवाना सहित छह औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में भी नए टेस्ट ट्रैक बनाए जाएंगे।
इसके तहत आईटीआई पूसा, जाफरपुर कलां, मयूर विहार, शाहदरा, जेल रोड और नरेला में स्वचालित ड्राइविंग परीक्षण ट्रैक का निर्माण किया जाएगा। इनके निर्माण पर करीब 10 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इसके लिए सफल बोली लगाए जाने के दो महीने में निर्माण किया जाएगा ताकि आवेदकों का इंतजाम कम हो सके। विभागीय अधिकारी के मुताबिक नए स्वचालित ड्राइविंग परीक्षण ट्रैक से इंतजार कम होगा। इससे स्थायी लाइसेंस के लिए ड्राइविंग टेस्ट की सहूलियतें बढ़ेंगी।
फिलहाल, ट्रैक की कमी के कारण आवेदकों को टेस्ट के लिए करीब दो महीने का इंतजार करना पड़ रहा है। फिलहाल अलग अलग क्षेत्रों में 10 स्वचालित ड्राइविंग परीक्षण ट्रैक पर चालकों के टेस्ट के बाद उतीर्ण होने पर लाइसेंस जारी किए जाते हैं। ट्रैक में अप-ग्रेडिएंट, फॉरवर्ड-8, रिवर्स-एस और ट्रैफिक जंक्शन सहित 24 ऐसे पॉइंट बनाए गए हैं ताकि चालकों की दक्षता की जांच बारीकी से की जा सके।
इसमें ‘एस’ आकार में वाहनों को रिवर्स करने सहित चौराहों पर स्ट्रेच, पार्किंग, ओवरटेक और क्रॉसिंग के नियमों की जानकारियों की भी जांच की जाती है। ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट में सभी नियमों का सख्ती से पालन और ट्रैक पर सभी बाधाओं को दूर करने वाले आवेदकों के ही लाइसेंस बनाए जा रहे हैं। आवेदकों का कहना है कि टेस्ट को इतना कठिन बना दिया गया है कि कई पुराने चालक भी लाइसेंस रिन्युअल के दौरान अनुतीर्ण हो जा रहे हैं।
विस्तार
ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदकों का इंतजार कुछ कम होगा। दिल्ली सरकार ने लंबे इंतजार को कम करने के लिए आठ ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक बनाने जा रही है। इसके लिए आठ शिक्षण संस्थानों की पहचान करने के बाद ट्रैक के निर्माण के लिए परिवहन विभाग ने टेंडर जारी किया है। इसके तहत इंदिरा गांधी दिल्ली महिला तकनीकी विश्वविद्यालय (कश्मीरी गेट), दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बवाना सहित छह औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में भी नए टेस्ट ट्रैक बनाए जाएंगे।
इसके तहत आईटीआई पूसा, जाफरपुर कलां, मयूर विहार, शाहदरा, जेल रोड और नरेला में स्वचालित ड्राइविंग परीक्षण ट्रैक का निर्माण किया जाएगा। इनके निर्माण पर करीब 10 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इसके लिए सफल बोली लगाए जाने के दो महीने में निर्माण किया जाएगा ताकि आवेदकों का इंतजाम कम हो सके। विभागीय अधिकारी के मुताबिक नए स्वचालित ड्राइविंग परीक्षण ट्रैक से इंतजार कम होगा। इससे स्थायी लाइसेंस के लिए ड्राइविंग टेस्ट की सहूलियतें बढ़ेंगी।
फिलहाल, ट्रैक की कमी के कारण आवेदकों को टेस्ट के लिए करीब दो महीने का इंतजार करना पड़ रहा है। फिलहाल अलग अलग क्षेत्रों में 10 स्वचालित ड्राइविंग परीक्षण ट्रैक पर चालकों के टेस्ट के बाद उतीर्ण होने पर लाइसेंस जारी किए जाते हैं। ट्रैक में अप-ग्रेडिएंट, फॉरवर्ड-8, रिवर्स-एस और ट्रैफिक जंक्शन सहित 24 ऐसे पॉइंट बनाए गए हैं ताकि चालकों की दक्षता की जांच बारीकी से की जा सके।
इसमें ‘एस’ आकार में वाहनों को रिवर्स करने सहित चौराहों पर स्ट्रेच, पार्किंग, ओवरटेक और क्रॉसिंग के नियमों की जानकारियों की भी जांच की जाती है। ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट में सभी नियमों का सख्ती से पालन और ट्रैक पर सभी बाधाओं को दूर करने वाले आवेदकों के ही लाइसेंस बनाए जा रहे हैं। आवेदकों का कहना है कि टेस्ट को इतना कठिन बना दिया गया है कि कई पुराने चालक भी लाइसेंस रिन्युअल के दौरान अनुतीर्ण हो जा रहे हैं।
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