Greater Noida Authority News : "ग्रेटर नोएडा के औद्योगिक सेक्टरों में अब अतिक्रमण नहीं चलेगा!, उद्यमियों की शिकायतों पर प्राधिकरण सख्त, विशेष सफाई अभियान की तैयारी शुरू"

ग्रेटर नोएडा।
औद्योगिक नगरी ग्रेटर नोएडा में फैले अतिक्रमण और अव्यवस्थाओं को लेकर अब प्राधिकरण ने कमर कस ली है। यहां के औद्योगिक सेक्टरों में रोज़ाना की परेशानियों से जूझ रहे उद्यमियों ने जब प्राधिकरण अधिकारियों के सामने खुलकर अपनी समस्याएं रखीं, तो अधिकारियों ने भी त्वरित कार्रवाई का भरोसा दिया। अब इन सेक्टरों में अतिक्रमण हटाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा, जिससे न केवल सड़कें साफ होंगी बल्कि औद्योगिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।
बैठक में हुआ समस्याओं का अंबार पेश
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ सौम्य श्रीवास्तव ने इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (IIA) और इंडियन एंटरप्रिन्योर एसोसिएशन (IEA) के प्रतिनिधियों से संवाद किया। इस दौरान उद्यमियों ने एक के बाद एक जमीनी स्तर की समस्याओं को सामने रखा। सड़क पर अतिक्रमण से लेकर ट्रांसपोर्ट, स्ट्रीट लाइट, पानी की आपूर्ति, कियोस्क व टॉयलेट जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दों को प्राथमिकता से उठाया गया।
बैठक में महाप्रबंधक वित्त विनोद कुमार, महाप्रबंधक परियोजना ए.के. सिंह, ओएसडी नवीन कुमार सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
औद्योगिक सेक्टरों में सड़कों पर जमी अराजकता
बैठक में सबसे प्रमुख मुद्दा औद्योगिक सेक्टरों की सड़कों पर अतिक्रमण और वीकली मार्केट को लेकर उठा। उद्यमियों का कहना था कि कई जगहों पर सड़कें इस हद तक घिर चुकी हैं कि माल लोडिंग-अनलोडिंग के लिए भी जगह नहीं बचती। इसके अलावा साप्ताहिक हाट के कारण रोज़ाना कामकाज प्रभावित होता है।
एसीईओ ने तुरंत महाप्रबंधक परियोजना को निर्देश दिया कि अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाया जाए और वीकली मार्केट के लिए कोई वैकल्पिक स्थल चिन्हित किया जाए।
अंधेरे में डूबी हैं फैक्ट्रियों की सड़कें
एक और गंभीर मुद्दा स्ट्रीट लाइट की कमी रहा। उद्यमियों ने बताया कि कई औद्योगिक सेक्टरों में रात के समय अंधेरा छा जाता है, जिससे न केवल दुर्घटनाओं का खतरा रहता है बल्कि चोरी और असामाजिक गतिविधियों की आशंका भी बढ़ जाती है। एसीईओ ने कहा कि इस समस्या को प्राथमिकता पर लेकर जल्द ही लाइट्स की व्यवस्था की जाएगी।
लोकल ट्रांसपोर्ट की कमी से जूझ रहे श्रमिक
बैठक में यह भी सामने आया कि औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए स्थानीय परिवहन का अभाव है। इस पर एसीईओ ने बताया कि प्राधिकरण द्वारा 100 इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना पर काम किया जा रहा है, जिससे आवागमन को सुगम बनाया जाएगा।
बुनियादी सुविधाओं की मांग भी उठी जोर-शोर से
उद्यमियों ने औद्योगिक सेक्टरों के फैसिलिटी प्लॉट्स पर कियोस्क और टॉयलेट्स जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों को पीने के पानी, शौचालय और भोजन की सुविधाओं के लिए दूर जाना पड़ता है, जिससे समय और संसाधनों की बर्बादी होती है। इस पर प्राधिकरण अधिकारियों ने जल्द फैसला लेने का आश्वासन दिया।
पानी के बिलों में गड़बड़ी बना सिरदर्द
एक और बड़ा मुद्दा पानी की आपूर्ति और बिलों में गड़बड़ी को लेकर सामने आया। उद्यमियों ने आरोप लगाया कि उन्हें समय-समय पर भारी भरकम और अस्पष्ट बिल भेजे जा रहे हैं, जिनका कोई आधार स्पष्ट नहीं होता। अधिकारियों ने इस समस्या का डेटा एकत्र कर त्वरित समाधान की बात कही।
प्राधिकरण का रुख सख्त, उद्यमियों को उम्मीद
इस बैठक से यह साफ हो गया कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अब औद्योगिक विकास में किसी भी प्रकार की रुकावट को बर्दाश्त नहीं करेगा। अतिक्रमण हटाने से लेकर ट्रांसपोर्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर की खामियों को दूर करने तक कई मोर्चों पर एक साथ काम शुरू होगा।
निष्कर्ष: उद्योगपतियों को मिला राहत का भरोसा
इस संवाद के माध्यम से उद्यमियों को वह मंच मिला जिसकी उन्हें लंबे समय से तलाश थी। पहली बार अधिकारियों ने सभी शिकायतों को गंभीरता से लिया और समयबद्ध समाधान का वादा किया। यदि ये वादे ज़मीनी स्तर पर उतरे, तो आने वाले समय में ग्रेटर नोएडा का औद्योगिक परिदृश्य और अधिक सशक्त और व्यवस्थित हो सकता है।
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