कोरोना पर वैज्ञानिकों के 3 दावे: क्या सच में हर रोज देश में 50 हजार मरीज बढ़ेंगे, Covid-19 कब खत्म होगा? जानें
दिल्ली, रफ्तार टुडे। संक्रमण के प्रसार और आने वाले दिनों में स्थिति को लेकर भारतीय वैज्ञानिकों ने तीन बड़े दावे किए हैं। आइए जानते हैं किसने क्या कहा और आने वाले दिनों में कोरोना को लेकर देश में क्या स्थिति हो सकती है?
देश में कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पिछले पांच दिन में 49 हजार 970 लोग कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं। एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 65 हजार 286 हो गई है। ये ऐसे मरीज हैं, जिनका इलाज चल रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटे के अंदर 29 लोगों की संक्रमण से मौत हुई है।
इस बीच, संक्रमण के प्रसार और आने वाले दिनों में स्थिति को लेकर भारतीय वैज्ञानिकों ने तीन बड़े दावे किए हैं। आइए जानते हैं किसने क्या कहा और आने वाले दिनों में कोरोना को लेकर देश में क्या स्थिति हो सकती है?
पहले पिछले पांच दिनों के आंकड़े देख लीजिए
तारीख कितने मरीज मिले?
16 अप्रैल 10,093
17 अप्रैल 9111
18 अप्रैल 7,633
19 अप्रैल 10,542
20 अप्रैल 12,591
दावा-1 : IIT कानपुर के वैज्ञानिक का दावा- हर रोज मिलेंगे 50 हजार मरीज
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने गणितीय मॉडल सूत्र के आधार पर दावा किया है कि मई मध्य में कोरोना पीक पर होगा। रोजाना 50 हजार तक केस आएंगे। इसके बाद संक्रमण में उतार भी देखने को मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है, यह कोविड की लहर नहीं है।
प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने गणितीय मॉडल सूत्र से पहले भी संक्रमण के उतार-चढ़ाव व पीक का सही आकलन दिया है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने कोरोना को लेकर रणनीति भी बनाई है। इस बार उनका कहना है कि बदला म्यूटेंट समझकर डरने की जरूरत नहीं है। अभी 10 हजार से ज्यादा केस रोज आ रहे हैं। यह आंकड़ा 50 हजार तक पहुंचेगा लेकिन स्थिति गंभीर नहीं होगी। उन्होंने कहा कि नेचुरल इम्युनिटी कम होने की वजह से ऐसा हुआ है। जून में स्थिति पूरी तरह सामान्य हो जाएगी। लोगों में वायरस से लड़ने की क्षमता कम हुई है, यही वजह है कि संक्रमण बढ़ रहा है।
दावा-2: ICMR वैज्ञानिक ने प्रोफेसर मणिंद्र के दावे को किया खारिज
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वैज्ञानिक डॉ. रजनीकांत ने आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणिंद्र अग्रवाल के दावे को खारिज कर दिया। डॉ. रजनीकांत ने कहा कि गणितीय मॉडल के आंकड़े विश्वास लायक नहीं हैं। सभी को रियल टाइम डेटा पर फोकस करना चाहिए। जो दावे किए जा रहे हैं, वो बेकार हैं।
डॉ. रजनीकांत ने आगे कहा, ‘कोविड को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है। सबकुछ काबू में है। आने वाले दिनों में कोरोना के मामले फिर कम हो जाएंगे। लोगों को कोविड प्रोटोकॉल का ख्याल रखना चाहिए। जिन्हें भी हल्का लक्षण महसूस हो, वह मास्क पहनें। भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जानें से बचें। अगर कोविड वैक्सीन नहीं लगवाई है तो जरूर लगवा लें। कोविड वैक्सीन की दोनों डोज के अलावा प्रिकॉशन डोज भी लगवाएं।’
डॉ. रजनीकांत से जब हमने सवाल पूछा कि अगर मामले बढ़ते हैं तो उन चुनौतियों से निपटने के लिए क्या हम तैयार हैं? उन्होंने कहा कि हां, अब देश में कोविड से निपटने के लिए हम पूरी तरह से तैयार हैं। कोविड जांच के लिए पर्याप्त संख्या में लैब्स हैं। RT-PCR के अलावा एंटीजन और सेल्फ टेस्ट किट पर्याप्त हैं। अस्पतालों में भी सरकार ने पर्याप्त व्यवस्था कर रखी है। ऐसे में किसी को घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
दावा-3: ICMR के दूसरे वैज्ञानिक ने कहा- कोरोना कभी खत्म नहीं होगा
एक अन्य मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ICMR के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. समीरन पांडा ने कहा कि अब कोरोना के साथ ही लोगों को रहने की आदत डाल लेनी चाहिए। ये वायरस पूरी तरह से कभी नहीं खत्म होगा। हां, एक टाइम के बाद इंफ्लूएंजा की तरह जरूर हो सकता है। डॉ. समीरन ने आगे कहा, ‘कोरोना एक समय एंडेमिक स्टेज में पहुंच जाएगा। ये भी फ्लू और बुखार जैसा हो जाएगा। जैसे- इंफ्लूएंजा का प्रकोप हर साल कम या ज्यादा हो जाता है ठीक उसी तरह कोरोनावायरस के केस हर साल कम या ज्यादा आएंगे। एक समय था इंफ्लूएंजा एक बहुत बड़ी महामारी थी, लेकिन आज वह अपनी एंडेमिक स्टेज में है यानी वह आज भी आबादी के बीच कभी कम और कभी ज्यादा के रूप में है।’
एक ये अच्छी खबर भी
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में दावा किया गया है कि आयरन, जिंक और फाइबर से भरपूर भारतीय आहार, चाय के नियमित सेवन और भोजन में हल्दी के इस्तेमाल से देश में कोविड के कारण गंभीरता और मृत्यु में कमी आई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान, कम आबादी वाले पश्चिमी देशों की तुलना में घनी आबादी वाले भारत में मृत्यु दर कथित तौर पर 5-8 गुना कम थी। भारत, ब्राजील, जॉर्डन, स्विटजरलैंड और सऊदी अरब सहित वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा किए गए इस अध्ययन का उद्देश्य यह जांचना था कि क्या आहार संबंधी आदतें कोविड-19 की गंभीरता और पश्चिमी और भारतीय आबादी के बीच मौतों में भिन्नता से जुड़ी थीं।
भारतीय आहार के घटक ने कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) और लिपोपॉलीसेकेराइड (एलपीएस)-मध्यस्थता वाले कोविड-19 गंभीरता को रोकने में भूमिका निभाई।
इसके अलावा, भारतीयों द्वारा चाय के नियमित सेवन से उच्च एचडीएल (उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन) को बनाए रखने में मदद मिली, जिसे “अच्छा” कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है। चाय में कैटेचिन रक्त में ट्राइग्लिसराइड को कम करने में एक प्राकृतिक एटोरवास्टेटिन (हृदय रोगों को रोकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली स्टैटिन दवा) के रूप में भी काम करता है।
भारतीयों द्वारा रोज भोजन में हल्दी के नियमित सेवन से एक मजबूत प्रतिरक्षा बनी रही।
शोधकर्ताओं ने कहा कि हल्दी में मौजूद करक्यूमिन ने SARS-CoV-2 संक्रमण और कोविड-19 की गंभीरता से जुड़े रास्ते और तंत्र को रोका और मृत्यु दर को कम किया। दूसरी ओर, रेड मीट, डेयरी उत्पादों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत के परिणामस्वरूप पश्चिमी आबादी में कोविड के कारण गंभीरता और मृत्यु में वृद्धि हुई।