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नई दिल्ली। नीट पीजी काउंसलिंग में देरी और दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ डॉक्टरों की हड़ताल बुधवार को 13वें दिन भी जारी रही। डॉक्टरों की मांग है कि पुलिस जब तक माफी नहीं मांगती और डॉक्टरों पर दर्ज मुकदमा वापस नहीं लेती है, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। वहीं पुलिस की ओर से माफी मांगने पर साफ इनकार किया गया है। पुलिस का कहना है कि डॉक्टरों के साथ किसी भी तरह का गलत व्यवहार नहीं किया गया है। ऐसे में माफी मांगने का कोई सवाल ही नहीं होता है। बहरहाल डॉक्टरों की हड़ताल के कारण राजधानी के अस्पतालों में इलाज नहीं मिल पा रहा है। इलाज न मिलने से दो मरीजों की मौत तक हुई है।
सुंदर नगरी निवासी मंजू की प्रसव के बाद तबियत बिगड़ने पर परिजन मंगलवार को अस्पताल लेकर गए लेकिन हड़ताल की वजह से अलग-अलग अस्पतालों के चक्कर लगाते हुए मरीज की रास्ते में ही मौत हो गई। बेबस परिजन मंजू को समय पर उपचार नहीं दिला पाए। परिजनों के अनुसार, घर में ही मंजू ने अपनी पहली संतान को जन्म दिया लेकिन उसके बाद तबियत खराब होने की वजह से जीटीबी अस्पताल आए लेकिन यहां इलाज नहीं मिला।
इसी तरह का दूसरा मामला मरीज बेताल सिंह का है जिनकी रविवार को एंबुलेंस में ही मौत हो गई। 10 घंटे तक एक से दूसरे और फिर तीसरे अस्पताल में भटकने के बाद भी जब बेताल सिंह को इलाज नहीं मिला तो सफदरजंग अस्पताल में दोपहर 2.30 बजे उनकी मौत हो गई।
गंभीर बात है कि यह दोनों ही घटनाएं किसी भी अस्पताल के सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हैं। दोनों ही अस्पतालों से जब संपर्क किया गया तो पता चला कि उनके यहां इन मरीजों की मौत नहीं हुई है। अस्पताल से बाहर किसी की मौत होती है तो इसकी जानकारी उनके पास नहीं होती।
स्वास्थ्य मंत्री से ठोस आश्वासन नहीं मिला : डॉ. मनीष
हड़ताल को लेकर जब फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मनीष कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री से ठोस आश्वासन न मिलने की वजह से हड़ताल खत्म नहीं की जा रही है। नीट काउंसलिंग जल्द से जल्द करने की मांग की जा रही है, लेकिन पुलिस की कार्रवाई गलत तरीके से की गई और महिला डॉक्टरों से बदसलूकी होने के अलावा एफआईआर तक दर्ज कराई गई है, इसलिए हड़ताल खत्म होने का अब सवाल ही नहीं होता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए और मुकदमा वापस लेना चाहिए।
डॉक्टरों से बात करने के लिए पुलिस अधिकारी पहुंचे
हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों से बात करने के लिए बुधवार को दिल्ली पुलिस के अधिकारी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने डीडीएमए के निर्देशों का हवाला देते हुए डॉक्टरों से अपील की है कि ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए हड़ताल खत्म करनी चाहिए और काम पर वापस जाना चाहिए लेकिन डॉक्टरों ने पुलिस की कोई सलाह मानने से इनकार कर दिया। दिल्ली पुलिस के एसीपी यादव ने बताया कि डॉक्टरों को बार-बार कहा जा रहा है, इन्हें चाय पिलाई जा रही है, गद्दे आदि का बंदोबस्त भी किया गया। फिर पुलिस से बदसलूकी कहां हुई, इसलिए माफी मांगने का कोई मतलब ही नहीं है।
नई दिल्ली। नीट पीजी काउंसलिंग में देरी और दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ डॉक्टरों की हड़ताल बुधवार को 13वें दिन भी जारी रही। डॉक्टरों की मांग है कि पुलिस जब तक माफी नहीं मांगती और डॉक्टरों पर दर्ज मुकदमा वापस नहीं लेती है, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। वहीं पुलिस की ओर से माफी मांगने पर साफ इनकार किया गया है। पुलिस का कहना है कि डॉक्टरों के साथ किसी भी तरह का गलत व्यवहार नहीं किया गया है। ऐसे में माफी मांगने का कोई सवाल ही नहीं होता है। बहरहाल डॉक्टरों की हड़ताल के कारण राजधानी के अस्पतालों में इलाज नहीं मिल पा रहा है। इलाज न मिलने से दो मरीजों की मौत तक हुई है।
सुंदर नगरी निवासी मंजू की प्रसव के बाद तबियत बिगड़ने पर परिजन मंगलवार को अस्पताल लेकर गए लेकिन हड़ताल की वजह से अलग-अलग अस्पतालों के चक्कर लगाते हुए मरीज की रास्ते में ही मौत हो गई। बेबस परिजन मंजू को समय पर उपचार नहीं दिला पाए। परिजनों के अनुसार, घर में ही मंजू ने अपनी पहली संतान को जन्म दिया लेकिन उसके बाद तबियत खराब होने की वजह से जीटीबी अस्पताल आए लेकिन यहां इलाज नहीं मिला।
इसी तरह का दूसरा मामला मरीज बेताल सिंह का है जिनकी रविवार को एंबुलेंस में ही मौत हो गई। 10 घंटे तक एक से दूसरे और फिर तीसरे अस्पताल में भटकने के बाद भी जब बेताल सिंह को इलाज नहीं मिला तो सफदरजंग अस्पताल में दोपहर 2.30 बजे उनकी मौत हो गई।
गंभीर बात है कि यह दोनों ही घटनाएं किसी भी अस्पताल के सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हैं। दोनों ही अस्पतालों से जब संपर्क किया गया तो पता चला कि उनके यहां इन मरीजों की मौत नहीं हुई है। अस्पताल से बाहर किसी की मौत होती है तो इसकी जानकारी उनके पास नहीं होती।
स्वास्थ्य मंत्री से ठोस आश्वासन नहीं मिला : डॉ. मनीष
हड़ताल को लेकर जब फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मनीष कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री से ठोस आश्वासन न मिलने की वजह से हड़ताल खत्म नहीं की जा रही है। नीट काउंसलिंग जल्द से जल्द करने की मांग की जा रही है, लेकिन पुलिस की कार्रवाई गलत तरीके से की गई और महिला डॉक्टरों से बदसलूकी होने के अलावा एफआईआर तक दर्ज कराई गई है, इसलिए हड़ताल खत्म होने का अब सवाल ही नहीं होता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए और मुकदमा वापस लेना चाहिए।
डॉक्टरों से बात करने के लिए पुलिस अधिकारी पहुंचे
हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों से बात करने के लिए बुधवार को दिल्ली पुलिस के अधिकारी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने डीडीएमए के निर्देशों का हवाला देते हुए डॉक्टरों से अपील की है कि ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए हड़ताल खत्म करनी चाहिए और काम पर वापस जाना चाहिए लेकिन डॉक्टरों ने पुलिस की कोई सलाह मानने से इनकार कर दिया। दिल्ली पुलिस के एसीपी यादव ने बताया कि डॉक्टरों को बार-बार कहा जा रहा है, इन्हें चाय पिलाई जा रही है, गद्दे आदि का बंदोबस्त भी किया गया। फिर पुलिस से बदसलूकी कहां हुई, इसलिए माफी मांगने का कोई मतलब ही नहीं है।