UP BJP President: कौन होगा यूपी बीजेपी का अध्यक्ष? दौड़ में कई दावेदार; अटकलें इस पर भी कि अध्यक्ष किस जाति-वर्ग से होगा, दलित, पिछड़ा या ब्राह्मण?, ब्राह्मण पर दाव सबसे ज्यादा
लखनऊ, रफ्तार टुडे। धर्मपाल को बुधवार को उत्तर प्रदेश में संगठन मंत्री बनाए जाने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्त का ही निर्णय शेष रह गया है। लिहाजा चर्चा तेज हो गई है कि अगले एक या दो दिन में प्रदेश संगठन को नया अध्यक्ष भी मिल जाएगा।
इस चर्चा ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है कि अब बस जल्द ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की भी घोषणा कर देगी। मगर, साथ ही अटकलें इस पर भी कि अध्यक्ष किस जाति-वर्ग से होगा, दलित, पिछड़ा या ब्राह्मण? चूंकि, संगठन मंत्री पिछड़ा वर्ग से बना दिए गए हैं, इसलिए अधिक संभावना यही है कि पार्टी अब दलित कार्ड ही खेलेगी और यदि रणनीति पारंपरिक रही तो अध्यक्ष ब्राह्मण वर्ग से होगा।
स्वतंत्रदेव योगी सरकार में मंत्री बनाए जा चुके हैं, इसलिए एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत से भी इस पद पर अब नहीं रहेंगे। पिछले दिनों त्याग-पत्र केंद्रीय नेतृत्व को भेजने के बाद वह नए अध्यक्ष की नियुक्ति तक ही इस जिम्मेदारी को संभाल रहे हैं।
बुधवार को धर्मपाल को प्रदेश में संगठन मंत्री बनाए जाने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्त का ही निर्णय शेष रह गया है। लिहाजा, चर्चा तेज हो गई है कि अगले एक या दो दिन में प्रदेश संगठन को नया अध्यक्ष भी मिल जाएगा।
अध्यक्ष कौन और किस जाति-वर्ग से हो सकता है, के सवाल पर पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि धर्मपाल सिंह पिछड़ा वर्ग से आते हैं, इसलिए इन अटकलों को अब विराम देना तर्कसंगत होगा कि सर्वाधिक आबादी वाले पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए पार्टी विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी संगठन की कमान पिछड़ा वर्ग के नेता के हाथ में रखेगी। चूंकि, संगठन मंत्री का पद महत्वपूर्ण होता है, इसलिए अध्यक्ष दूसरी जाति का बनाया जाएगा।
दलित और ब्राह्मण, जिसमें सर्वाधिक संभावना दलित की ही जताई जा रही है। इसके पीछे राजनीतिक जानकारों का तर्क है कि पार्टी ने उपमुख्यमंत्री के पद पर पिछड़ा वर्ग के केशव प्रसाद मौर्य के साथ ब्राह्मण वर्ग के ब्रजेश पाठक को रखा है। पाठक काफी सक्रिय भी हैं।
अब सिर्फ दलित वर्ग ही ऐसा बचा है, जिसका प्रतिनिधित्व सरकार या संगठन में किसी प्रभावशाली पद पर फिलहाल नहीं दिखता है। साथ ही विधानसभा चुनाव में दलित मतदाताओं ने बसपा से छिटककर भाजपा को भरपूर वोट दिया है। भाजपा लोकसभा चुनाव में भी इस वोटबैंक को अपनी ओर आकर्षित करना चाहेगी।
यदि इसी दिशा में विचार किया जाए तो दावेदारों में कई नाम उभरकर सामने आते हैं। अव्वल तो प्रदेश महामंत्री व विधान परिषद सदस्य विद्यासागर सोनकर का नाम है।
बूथ अध्यक्ष से लेकर सांसद तक का सफर तय कर चुके सोनकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से हैं और संगठन में जिलाध्यक्ष से लेकर अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष तक के पद पर रह चुके हैं।
वर्तमान में भाजपा के प्रदेश महामंत्री हैं। कार्यकर्ताओं के लिए परिचित-चर्चित चेहरा भी हैं। दावेदार प्रदेश उपाध्यक्ष व एमएलसी लक्ष्मण आचार्य भी हैं। वह अनुसूचित जनजाति से संबंध रखते हैं और संगठन से जमीनी कार्यकर्ता हैं।
इसी तरह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व केंद्रीय मंत्री रह चुके इटावा सांसद डा. रामशंकर कठेरिया के नाम की भी चर्चा है। वह भी संघ के प्रचारक रहे हैं। संघर्षशील कार्यकर्ता की छवि है।
इसके इतर यदि पार्टी ब्राह्मण वर्ग पर ही दांव लगाना चाहेगी तो भी कुछ विकल्प सबसे अधिक चर्चा में हैं।
इनमें कन्नौज सांसद सुब्रत पाठक संगठन की पसंद हो सकते हैं, क्योंकि कन्नौज में वह सपा से लंबा संघर्ष कर चुनाव जीते। युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे और वर्तमान में पार्टी के प्रदेश महामंत्री हैं।
संगठन के अनुभवी पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा और पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के अलावा अलीगढ़ सांसद सतीश गौतम अध्यक्ष पद की रेस में माने जा रहे हैं। हालांकि, पिछड़ा वर्ग से बीएल वर्मा का भी नाम काफी समय से चर्चा में बना हुआ है।