Uttrakhand MLA Vivad News : 🔥 उत्तराखंड फायरिंग मामला, राजनीतिक रंजिश ने ली खूनी रंग, विधायक को जमानत, पूर्व विधायक जेल में! , "राजनीतिक रंजिश की जड़ें, 2022 का चुनावी मैदान!"
देहरादून, रफ़्तार टुडे। उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर “बंदूकों की गूँज” सुनाई दी है। हरिद्वार की खानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार और पूर्व विधायक प्रंणव सिंह चैंपियन के बीच चल रही “सियासी दुश्मनी“ ने अब “कानूनी जंग” का रूप ले लिया है। इस मामले में कोर्ट ने विधायक उमेश कुमार को जमानत दे दी है, जबकि चैंपियन को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
💥 “फायरिंग और हंगामे का सिलसिला: क्या हुआ था उस रात?”
25 जनवरी की रात करीब 9 बजे, विधायक उमेश कुमार अपने समर्थकों के साथ प्रंणव सिंह चैंपियन के महल और कैंप कार्यालय पहुँचे। कुंवरानी देवयानी (चैंपियन की पत्नी) ने आरोप लगाया कि उमेश कुमार ने उनके घर में घुसने की कोशिश की। इसके बाद पुलिस ने उमेश कुमार और उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया।
लेकिन यह सिर्फ़ शुरुआत थी। अगले दिन, रविवार को, प्रंणव सिंह चैंपियन अपने समर्थकों के साथ उमेश कुमार के कार्यालय पहुँचे। यहाँ उन्होंने उमेश कुमार के स्टाफ के साथ मारपीट की और “ताबड़तोड़ फायरिंग“ की। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने पूरे मामले को और गर्मा दिया।
⚖️ “कोर्ट का फैसला: विधायक को जमानत, पूर्व विधायक जेल में!”
सोमवार को कोर्ट में पेशी के दौरान उमेश कुमार को 40-40 हज़ार रुपये के दो मुचलकों पर जमानत मिल गई। वहीं, प्रंणव सिंह चैंपियन को कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। चैंपियन पर आरोप है कि उन्होंने अपने समर्थकों के साथ मिलकर उमेश कुमार के कार्यालय में फायरिंग की थी। पुलिस ने चैंपियन और उनके चार साथियों को देहरादून से गिरफ्तार किया था।
🕰️ “राजनीतिक रंजिश की जड़ें: 2022 का चुनावी मैदान!”
इस विवाद की जड़ें 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में हैं। उस समय बीजेपी ने प्रंणव सिंह चैंपियन की पत्नी कुंवरानी देवयानी को खानपुर सीट से उम्मीदवार बनाया था, जबकि उमेश कुमार ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। चुनाव में उमेश कुमार ने कुंवरानी देवयानी को हराया, जिसके बाद से दोनों नेताओं के बीच तनाव बढ़ने लगा। सोशल मीडिया पर भी इन दोनों के बीच तीखी बयानबाजी चलती रही है।
🚨 “पुलिस की कड़ी कार्रवाई: क्या अब शांति लौटेगी?”
पुलिस ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए दोनों पक्षों के लोगों को गिरफ्तार किया है। हालांकि, स्थानीय लोगों का मानना है कि यह विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह सिर्फ़ राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि इलाके की शांति के लिए खतरा है। पुलिस को दोनों पक्षों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए।”
📢 “सियासी विश्लेषकों की राय: क्या यह सिर्फ़ शुरुआत है?”
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. अरुण शर्मा ने कहा, “यह मामला सिर्फ़ दो नेताओं की लड़ाई नहीं, बल्कि उत्तराखंड की राजनीति में गहराते संकट का संकेत है। अगर समय रहते इसे नहीं रोका गया, तो यह हिंसा का रूप ले सकता है।”
📌 “सोशल मीडिया पर मचा हंगामा: क्या कह रहे हैं नेटिजन्स?”
सोशल मीडिया पर इस मामले ने तूफान ला दिया है। कई यूजर्स ने पुलिस की कार्रवाई की सराहना की है, तो कुछ ने राजनीतिक नेताओं को “बचकाना हरकतों” के लिए आड़े हाथों लिया है। एक यूजर ने लिखा, “जनता की समस्याओं को भूलकर नेता अपनी लड़ाई में उलझे हुए हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है!”
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