वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में कल से होगा सर्वे स्टार्ट, अब मथुरा की बारी, कमीशन से सर्वे की मांग, कोर्ट ने स्वीकार किया
वाराणसी/मथुरा रफ्तार टुडे। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में कल से होगा सर्वे स्टार्ट होगा। वहां की कोर्ट ने डीएम और मुस्लिम पक्षों को यह आदेश दिया है। अब मथुरा की बारी आ गई है। वहां के कमीशन से सर्वे की मांग की गई है जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया गया है।
तीन याचिकाकर्ताओं ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे ईदगाह मस्जिद का कोर्ट कमिश्नर के जरिए सर्वे कराने की मांग की है। मथुरा कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली है। और अब मामले की सुनवाई 1 जुलाई को होगी।
वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के बाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला लगतार तूल पकड़ता जा रहा है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट में वादी मनीष यादव ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे ईदगाह मस्जिद का कोर्ट कमिश्नर के जरिए सर्वे कराने की मांग की है। मथुरा कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली है और अब मामले की सुनवाई 1 जुलाई को होगी।
प्रार्थी मनीष यादव, महेंद्र प्रताप सिंह और दिनेश शर्मा ने अलग-अलग एक ही तरह की याचिका लगाई थी, जिसमें कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करके ईदगाह मस्जिद की वीडियोग्राफी कराई जाने की मांग की गई थी।
इस याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है और सभी वादियों को एक ही तारीख यानी 1 जुलाई दे दी गई है।
देवकीनंदन शर्मा का कहना है, ‘ईदगाह के अंदर जो शिलालेख हैं, उन्हें दूसरे पक्ष द्वारा हटाया जा सकता है और एविडेंस को नष्ट किया जा सकता है, दोनों पक्षकारों की मौजूदगी में वहां की फोटोग्राफी कराई जाए और सभी तथ्यों को जुटाया जाए।
प्लेस ऑफ बर्थ एक्ट के कारण उस पर कोई निर्णय नहीं हो सका, एक बार फिर 9 मई 2022 को एक प्रार्थना पत्र दिया गया था।
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वहीं शाही ईदगाह मस्जिद के वकील तनवीर अहमद का कहना है, ‘वादी पिछले 2 वर्षों में विभिन्न प्रकार के प्रार्थना पत्र देते रहे हैं, उन्हें खुद मालूम नहीं है कि वह आखिर वह क्या कहना चाहते हैं, मथुरा में दोनों के धर्मस्थल अलग हैं।
लखनऊ की रहने वाली रंजना अग्निहोत्री ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व की मांग को लेकर वाद दायर किया है। इसमें श्री कृष्ण जन्मभूमि में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की भी मांग की गई है। कोर्ट में दायर वाद में भगवान कृष्ण के जन्मस्थान के पास कटरा केशव देव मंदिर के 13.37 एकड़ के परिसर में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर 1669-70 में कथित तौर पर बनी मस्जिद को हटाने की मांग की गई है।