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नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने कहा कि दिव्यांगों को जरूरी बुनियादी ढांचे की अनुपलब्धता संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। अदालत ने राजधानी में स्थिति का आकलन करने के लिए सामाजिक दिव्यांगता ऑडिट का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति नजमी वजीरी ने एक दिव्यांग स्कूली छात्रा ज्योति सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।
न्यायमूर्ति वजीरी ने कहा स्वतंत्रता को हर संभव तरीके से सम्मानित और आश्वस्त किया जाना चाहिए, इसे नागरिक सुविधाओं की कमी से रोका नहीं जा सकता।
समन्वय के लिए कार्यकारी अभियंता का पद हो
अदालत ने कहा उत्तरी दिल्ली नगर निगम, लोक निर्माण विभाग, डिस्कॉम, दिल्ली पुलिस, दिल्ली यातायात पुलिस, दिल्ली परिवहन निगम, दिल्ली मेट्रो रेल निगम, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के साथ-साथ ऐसी अन्य एजेंसियों सहित प्रत्येक एजेंसी एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त करेगी। दिव्यांगों के लिए उचित सुविधाओं के प्रावधान के लिए सरकार द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी के साथ सहायता और समन्वय करने के लिए कार्यकारी अभियंता का पद होना चाहिए।
अदालत ने आशा व्यक्त की कि तीन महीनों में दक्षिण, पूर्व, उत्तर, पश्चिम और मध्य क्षेत्रों में कम से कम दो किलोमीटर की सड़कों की पहचान की जाएगी और सामाजिक दिव्यांगता ऑडिट के संदर्भ में योजना पर अमल किया जाएगा।
याची सुविधाओं के उपयोग से वंचित
व्हीलचेयर से आवागमन करने वाली याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी के कारण फुटपाथ, संकरी गलियों और सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं का उपयोग नहीं कर सकती, चाहे वह बस हो या मेट्रो।
यद्यपि एक बीमा कंपनी द्वारा लड़की को व्हीलचेयर दी गई थी, वह न तो इसका बेहतर उपयोग कर पा रही है और न ही वह सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कर सकती है। इतना ही नहीं वह अपने घर से बाहर फुटपाथ पर खुद को नहीं चल सकती है। लड़की ने अदालत के समक्ष अपनी पीड़ा दर्शाती तस्वीरें पेश करते हुए मामले में उचित निर्देश देने का आग्रह किया।
अदालत ने कहा कि विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के संदर्भ में ऐसे व्यक्तियों को आवश्यक सुविधाओं के साथ सक्षम करने के लिए मुख्य सचिव द्वारा निदेशक से नीचे के पद के अधिकारी की नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए।
दिल्ली में सभी एजेंसियां जो सड़क रखरखाव प्राधिकरण, डीटीसी, डीएमआरसी, रेलवे, हवाईअड्डा प्राधिकरण इत्यादि सहित जनता को सुविधाएं प्रदान करती हैं, उक्त नामित अधिकारी के साथ सहायता और समन्वय करेगी ताकि उक्त कानून के उद्देश्यों को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके। एजेंसियों को दिव्यांगों की गरिमा और व्यक्तिगत स्वायत्तता का सम्मान करना चाहिए।
नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने कहा कि दिव्यांगों को जरूरी बुनियादी ढांचे की अनुपलब्धता संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। अदालत ने राजधानी में स्थिति का आकलन करने के लिए सामाजिक दिव्यांगता ऑडिट का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति नजमी वजीरी ने एक दिव्यांग स्कूली छात्रा ज्योति सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।
न्यायमूर्ति वजीरी ने कहा स्वतंत्रता को हर संभव तरीके से सम्मानित और आश्वस्त किया जाना चाहिए, इसे नागरिक सुविधाओं की कमी से रोका नहीं जा सकता।
समन्वय के लिए कार्यकारी अभियंता का पद हो
अदालत ने कहा उत्तरी दिल्ली नगर निगम, लोक निर्माण विभाग, डिस्कॉम, दिल्ली पुलिस, दिल्ली यातायात पुलिस, दिल्ली परिवहन निगम, दिल्ली मेट्रो रेल निगम, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के साथ-साथ ऐसी अन्य एजेंसियों सहित प्रत्येक एजेंसी एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त करेगी। दिव्यांगों के लिए उचित सुविधाओं के प्रावधान के लिए सरकार द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी के साथ सहायता और समन्वय करने के लिए कार्यकारी अभियंता का पद होना चाहिए।
अदालत ने आशा व्यक्त की कि तीन महीनों में दक्षिण, पूर्व, उत्तर, पश्चिम और मध्य क्षेत्रों में कम से कम दो किलोमीटर की सड़कों की पहचान की जाएगी और सामाजिक दिव्यांगता ऑडिट के संदर्भ में योजना पर अमल किया जाएगा।
याची सुविधाओं के उपयोग से वंचित
व्हीलचेयर से आवागमन करने वाली याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी के कारण फुटपाथ, संकरी गलियों और सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं का उपयोग नहीं कर सकती, चाहे वह बस हो या मेट्रो।
यद्यपि एक बीमा कंपनी द्वारा लड़की को व्हीलचेयर दी गई थी, वह न तो इसका बेहतर उपयोग कर पा रही है और न ही वह सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कर सकती है। इतना ही नहीं वह अपने घर से बाहर फुटपाथ पर खुद को नहीं चल सकती है। लड़की ने अदालत के समक्ष अपनी पीड़ा दर्शाती तस्वीरें पेश करते हुए मामले में उचित निर्देश देने का आग्रह किया।
अदालत ने कहा कि विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के संदर्भ में ऐसे व्यक्तियों को आवश्यक सुविधाओं के साथ सक्षम करने के लिए मुख्य सचिव द्वारा निदेशक से नीचे के पद के अधिकारी की नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए।
दिल्ली में सभी एजेंसियां जो सड़क रखरखाव प्राधिकरण, डीटीसी, डीएमआरसी, रेलवे, हवाईअड्डा प्राधिकरण इत्यादि सहित जनता को सुविधाएं प्रदान करती हैं, उक्त नामित अधिकारी के साथ सहायता और समन्वय करेगी ताकि उक्त कानून के उद्देश्यों को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके। एजेंसियों को दिव्यांगों की गरिमा और व्यक्तिगत स्वायत्तता का सम्मान करना चाहिए।