पटनाएक घंटा पहले
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धरना-प्रदर्शन के नाम पर भीड़ जुटाकर खतरा बढ़ाते लोग।
बिहार में कागजों वाली गाइडलाइन चल रही है। यहां सोशल डिस्टेंस और मास्क के लिए चालान हो रहा है लेकिन धरना प्रदर्शन में भीड़ जुटाने की आजादी है। यही भीड़ कोरोना पर भारी पड़ने वाली है। ओमिक्रॉन की दहशत के बीच पूरे देश में सख्ती है लेकिन बिहार आजाद है। सोमवार को पटना में BJP कार्यालय के सामने हजारों की भीड़ ने यह साबित कर दिया है कि कोरोना की गाइडलाइन का पालन कराने में प्रशासन पूरी तरह से फेल है। गर्दनीबाग धरना स्थल से लेकर BJP प्रदेश कार्यालय तक प्रदर्शन की जो तस्वीर सामने आई है यही कोरोना का खतरा लेकर आएगी।
प्रशासन की गाइडलाइन देखिए
15 दिसंबर को बिहार सरकार के गृह विभाग ने गाइडलाइन जारी की है और इसमें सोशल डिस्टेंस और मास्क को लेकर पूरा जोर है। इस गाइडलाइन में यह साफ किया गया है कि भीड़ भाड़ नहीं लगाई जाए। शादी और श्राद्ध कर्म तक के लिए भी गाइडलाइन जारी की गई है। दुकानों पर सोशल डिस्टेंस के लिए गोल घेरा बनाने का निर्देश दिया गया है। ऐसे बाजारों और शॉपिंग कांम्पलैक्स को बंद करने तक का आदेश दिया गया है जहां भीड़ जुटाई जा रही है। सोशल डिस्टेंस और मास्क को लेकर कई कड़े नियम बनाए गए हैं।
ऐसे टूट रही है कोरोना की गाइडलाइन
पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर आए दिन कोरोना का नियम टूट रहा है। कई बड़े धरने व विरोध प्रदर्शन में सभाएं चल रही हैं। इस धरना प्रदर्शन में पटना से लेकर राज्य के अन्य इलाकों से लोग आ रहे हैं। हाल ही में चौकीदार दफादार के साथ अन्य कई बड़े धरना प्रदर्शन किए गए। प्रशासन ने किसी भी धरना प्रदर्शन को गाइडलाइन का हवाला देकर बंद नहीं कराया। धरना प्रदर्शन में भीड़ अधिक लगती है और दूर दराज से लोगों को पटना लाया जाता है। न चेहरे पर मास्क होता है और न ही सोशल डिस्टेंस के नियम का पालन होता है। ऐसे में कोरोना के खतरे का अंदाजा लगाया जा सकता है कि भीड़ से कैसे वायरस का स्प्रेड हो सकता है।
धरना की अनुमति देने वालों ने बंद कर लिया आंख
धरना प्रदर्शन की अनुमति देने वालों ने भी आंख मूंद लिया है। वह आंख बंद करके अनुमति दे देते हैं। सवाल यह है कि जब पूरे देश में कोरोना का खतरा है तो प्रदर्शन और धरना को बंद क्यों नहीं कराया जा रहा है। धरना की अनुमति देने वाले कोरोना को लेकर गाइडलाइन का पालन करने का क्यों नहीं आदेश जारी करते हैं। धरना प्रदर्शन करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। अगर कोरोना को लेकर जारी गृह विभाग की गाइडलाइन को लेकर प्रशासन गंभीर है तो क्यों नहीं धरना स्थल पर मास्क और सोशल डिस्टेंस को लेकर सख्ती बरती जा रही है।
धरना से 5 सवालों का कौन देगा जवाब
- शादी और श्राद्ध को लेकर गाइडलाइन तो फिर धरना प्रदर्शन पर क्यों है आजादी?
- धरना प्रदर्शन में भीड़ जुटती है और कोरोना का खतरा है तो क्यों दी जा रही अनुमति?
- BJP कार्यालय तक कोरोना का खतरा लेकर प्रदशर्नकारी पहुंच गए, लोकल इंटेलिजेंस क्या कर रही थी?
- धरना प्रदर्शन करने वालों पर मास्क और सोशल डिस्टेंस को लेकर क्यों नहीं कार्रवाई की गई?
- गर्दनीबाग में धरना स्थल पर भीड़ के बीच कोरोना गाइडलाइन टूट रही है, वहां मौजूद पुलिस क्या कर रही है?
BJP कार्यालय पर प्रदर्शन के दौरान बड़ा खतरा
सोमवार को वार्ड सचिवों का धरना प्रदर्शन था। वह पहले गर्दनीबाग धरना स्थल पर भीड़ से कोरोना की गाइडलाइन तोड़े इसके बाद अधिक संख्या में बीजेपी कार्यालय पहुंचकर यह साबित कर दिया कि बिहार में कोरोना की गाइडलाइन सिर्फ कागजों में चल रही है। हजारों की भीड़ में एक भी कोरोना का संक्रमित हुआ तो फिर राज्य में खतरे का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह बड़ी घटना प्रशासन और आम लोगों के लिए भले ही सामान्य बात रही हो लेकिन इससे यह बात साफ हो गई है कि कोरोना को लेकर जो भी गाइडलाइन बनाई गई है वह कागजों पर चल रही है। कमजोर लोगों पर पर ही इसका पालन कराया जा रहा है। जहां समूह में विरोध का डर है वहां इस गाइडलाइन का कोई मतलब नहीं है। बीजेपी कार्यालय पर जहां हुए हजारों की संख्या में वार्ड सदस्यों में 5 प्रतिशत के चेहरे पर मास्क नहीं दिखा और वह कोरोना से पूरी तरह से बेखौफ दिखाई पड़ रहे थे।