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Breaking Noida Authority News : जब यूनिवर्सिटी की ज़मीन पर खड़ा हो गया 'नया शहर'!, नोएडा प्राधिकरण बना मौन दर्शक, सवाल उठा रहा हर नागरिक!, नोएडा में नया शहर बन गया ‘महर्षि यूनिवर्सिटी’, प्राधिकरण की चुप्पी क्यों?

नोएडा, रफ्तार टुडे |
नोएडा जैसे योजनाबद्ध और व्यवस्थित शहर में जब कोई अवैध निर्माण होता है तो लोगों की नजरें सबसे पहले नोएडा प्राधिकरण पर जाती हैं। लेकिन सोचिए, अगर प्राधिकरण की नाक के नीचे एक यूनिवर्सिटी की ज़मीन पर पूरा नया शहर ही खड़ा कर दिया जाए—वो भी बिना किसी वैध अनुमति, बिना लैंड यूज़ बदले और बिना किसी डर के—तो क्या आप भरोसा कर पाएंगे?

लेकिन यह हकीकत है! सेक्टर 104 के पास हाजीपुर, भंगेल और सलारपुर जैसे गांवों की सीमा में आने वाली महर्षि यूनिवर्सिटी की ज़मीन पर आज सैकड़ों फ्लैट्स, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और व्यावसायिक इमारतें खड़ी हो चुकी हैं। और यह सब होते हुए भी नोएडा प्राधिकरण की चुप्पी लोगों को सोचने पर मजबूर कर रही है।


धर्मार्थ उद्देश्य के लिए दी गई ज़मीन पर बना ‘कमर्शियल हब’!

महर्षि यूनिवर्सिटी को जो ज़मीन दी गई थी, उसका उद्देश्य शिक्षा और धर्मार्थ गतिविधियां था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस ज़मीन का प्रयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। ना सिर्फ यूनिवर्सिटी बंद हो चुकी है, बल्कि उसकी जगह अब दर्जनों कॉलोनाइज़र वहां निर्माण कार्य कर चुके हैं।

सिर्फ़ 50 या 100 नहीं, सैकड़ों फ्लैट्स और दर्जनों दुकानों का निर्माण कर उन्हें खुलेआम बेचा जा रहा है। इतना ही नहीं, मेन रोड पर अब बड़े-बड़े कॉम्प्लेक्स भी खड़े हो चुके हैं, जो यह दर्शाते हैं कि यह केवल मामूली अवैध निर्माण नहीं बल्कि प्रणालीगत अवैध कब्जा और प्लॉटिंग है।


‘बिना अनुमति ज़मीन का लैंडयूज़ बदलना अपराध’, लेकिन यहां सब माफ!

नोएडा प्राधिकरण के नियमों के अनुसार, किसी भी ज़मीन का लैंड यूज़ बिना अनुमति के बदलना कानूनन अपराध है। लेकिन जब बात महर्षि यूनिवर्सिटी की ज़मीन की आती है, तो जैसे सारे नियम साइड में रख दिए जाते हैं। न कोई नोटिस, न कोई सीलिंग, न कोई बुलडोजर! केवल एक ‘एफआईआर’ और फिर फाइलें धूल फांकती रह जाती हैं।


‘बुलडोजर नीति’ किसानों पर लागू, लेकिन बिल्डरों पर क्यों नहीं?

यह एक बड़ा सवाल है! जब कोई किसान प्राधिकरण की अधिग्रहित ज़मीन पर छोटी सी भी निर्माण करता है, तो बिना नोटिस के बुलडोजर चला दिया जाता है। लेकिन जब ट्रस्ट की ज़मीन पर कॉलोनी खड़ी हो जाती है, तब प्राधिकरण की नज़र क्यों नहीं जाती?

किसानों पर जबरदस्त सख्ती, लेकिन ट्रस्ट और बिल्डरों को खुली छूट—क्या यह दोहरा मापदंड नहीं है?


जनता का सवाल—या तो वैध घोषित करें या कार्रवाई करें!

स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता कह रहे हैं कि या तो प्राधिकरण साफ-साफ इस पूरे निर्माण को वैध घोषित कर दे, ताकि लोग निश्चिंत होकर निवेश कर सकें। वरना इस पर सख्त कार्रवाई करके संदेश दे कि नोएडा में नियम सब पर समान रूप से लागू होते हैं।

अब जो लोग इन फ्लैट्स में रह रहे हैं या खरीदना चाहते हैं, वे हमेशा डर में रहते हैं कि कल कहीं कोई कार्रवाई न हो जाए। यह डर नोएडा जैसे मॉडर्न शहर की छवि को भी धूमिल करता है।


नोएडा में प्लॉट खरीदना आम लोगों के लिए सपना, इसलिए हो रही है खरीद-फरोख्त

नोएडा में प्राधिकरण द्वारा विकसित सेक्टरों में एक प्लॉट खरीदना आम आदमी के बस की बात नहीं रही। महंगे रेट्स, लंबा प्रोसेस और सीमित विकल्पों के कारण लोग अब वैकल्पिक ज़मीनों की ओर रुख कर रहे हैं। यही वजह है कि महर्षि यूनिवर्सिटी की ज़मीन पर बनने वाली ये अवैध कॉलोनियाँ तेजी से बिक रही हैं।


क्या सीईओ लोकेश एम. को नहीं है इसकी जानकारी?

नोएडा प्राधिकरण की सीईओ लोकेश एम. ने बार-बार कहा है कि शहर में अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन यह सवाल अब आम जनता पूछ रही है कि क्या महर्षि यूनिवर्सिटी का यह ‘नया शहर’ उनकी नजर में नहीं आया?

या फिर यहाँ कोई ‘विशेष सहूलियत’ दी गई है?


बिल्डर-प्राधिकरण गठजोड़ की बू?

जिस पैमाने पर यह निर्माण हुआ है, उससे यह साफ ज़ाहिर होता है कि यह केवल ट्रस्ट की मनमानी नहीं, बल्कि इसमें कहीं न कहीं प्राधिकरण की सहमति या लापरवाही भी शामिल है। यदि ऐसा नहीं होता, तो इतनी बड़ी अवैध बसावट कैसे खड़ी हो जाती?

सवाल यह भी है कि क्या बिल्डरों और ट्रस्ट के बीच कोई अनकहा समझौता है? और अगर हां, तो क्या प्राधिकरण ने जानबूझकर आंखें मूंदी रखी हैं?


निष्कर्ष: ‘यूनिवर्सिटी की जगह पर शहर बसाना’ केवल मज़ाक नहीं, बल्कि बड़ा घोटाला!

यह पूरी घटना केवल एक ज़मीन का मामला नहीं है। यह एक ऐसा केस है जो नोएडा जैसे विकसित शहर की न्याय प्रणाली, शासन व्यवस्था और विकास मॉडल को कठघरे में खड़ा करता है। यदि ऐसे निर्माणों को अनदेखा किया जाता रहा, तो आने वाले वर्षों में नोएडा की साख और बर्बाद हो सकती है।


अब वक्त है कार्रवाई का, सिर्फ़ एफआईआर से नहीं चलेगा!


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