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Llyod College Newa : "जब योग मिला तकनीक से, लॉयड कॉलेज की HCI लैब ने दिखाया प्राचीन ज्ञान और वैज्ञानिक अनुसंधान का बेजोड़ संगम!", उद्योग और शिक्षा के बीच सेतु बना शुभारंभ समारोह



ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।।
भारत की प्राचीन योग परंपराएं जब अत्याधुनिक विज्ञान से हाथ मिलाती हैं, तब जन्म लेता है एक नया नवाचार, एक नई दिशा और एक नई प्रयोगशाला – जो न केवल अनुसंधान को समृद्ध करती है, बल्कि समाज को भी मानसिक स्वास्थ्य की गहराइयों से उबारने की राह दिखाती है।
ऐसा ही कुछ हुआ है ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क स्थित लॉयड इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (LIET) में, जहां भारत की पहली ऐसी HCI लैब (Human-Computer Interaction Lab) की शुरुआत हुई है जो Indian Knowledge Systems (IKS) को अत्याधुनिक तकनीकों से जोड़ती है।


प्राचीन और आधुनिक का अद्भुत मिलन – LIET की नई पहल

LIET की एसोसिएट प्रोफेसर (अनुसंधान) डॉ. कीर्ति के नेतृत्व में इस अभिनव प्रयोगशाला की स्थापना की गई है।
इस लैब का उद्देश्य स्पष्ट है – भारतीय ज्ञान परंपरा के आधार पर वैज्ञानिक रूप से मानसिक स्वास्थ्य को सुधारना।
यह प्रयोगशाला अत्याधुनिक उपकरणों जैसे:

  • EEG (Electroencephalogram)
  • HRV (Heart Rate Variability)
  • बायोफीडबैक सिस्टम
  • वर्चुअल रियलिटी (VR)
    के माध्यम से मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की माप और सुधार का कार्य करेगी।

योग और ध्यान को वैज्ञानिक मापदंडों पर परखने की पहली पहल

भारतीय योग, प्राणायाम और ध्यान तकनीकों को अब तक एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पद्धति के रूप में देखा जाता था। लेकिन LIET की यह लैब इस ज्ञान को वैज्ञानिक अनुसंधान और डेटा-आधारित विश्लेषण के दायरे में लेकर आई है।

डॉ. कीर्ति के नेतृत्व में IIT मंडी के साथ हुए एक शोध में यह स्पष्ट हुआ कि

“8 सप्ताह के नियमित योग अभ्यास से कॉलेज छात्रों में तनाव, चिंता और अवसाद के स्तर में महत्वपूर्ण कमी आई।”

अब इसी सिद्धांत को नई HCI लैब में तकनीक के माध्यम से और अधिक सटीकता से परखा और बढ़ाया जाएगा।


🎓 उद्योग और शिक्षा के बीच सेतु बना शुभारंभ समारोह

इस लैब के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर एसटी माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स के ग्रुप मैनेजर रौनक मुजीब कैसर उपस्थित रहे।
उनके साथ मंच पर मौजूद थे –
LIET के सीनियर डायरेक्टर प्रो. राजीव अग्रवाल, जिन्होंने इस प्रयोगशाला को शिक्षा और उद्योग के बीच “नवाचार का पुल” बताया।

रौनक कैसर ने कहा:

“मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं आज के दौर की सबसे बड़ी चुनौती हैं।
ऐसे में इंडस्ट्री को ऐसी लैब्स से जुड़कर प्रमाणिक समाधान तैयार करने की जरूरत है।
यह न केवल CSR के तहत समाज सेवा है, बल्कि मानवीय आवश्यकता भी है।”


📉 WHO की चौंकाने वाली रिपोर्ट और लैब की प्रासंगिकता

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार,

“हर आठवां व्यक्ति किसी न किसी मानसिक रोग से जूझ रहा है।”

विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के किशोरों में यह आंकड़ा और भी गंभीर है –
यहां 34% किशोर सामान्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे तनाव, चिंता और अनिद्रा से पीड़ित हैं।

ऐसे में यह लैब केवल शैक्षणिक या अनुसंधान आधारित पहल नहीं, बल्कि समाज के लिए एक जीवन रक्षक तकनीकी पहल बन सकती है।


🧠 क्या करेगी HCI लैब – 3 प्रमुख क्षेत्र

1. अनुसंधान केंद्र:

  • मानसिक स्वास्थ्य, बायोलॉजिकल मार्कर्स, और व्यवहार विज्ञान पर गहन अध्ययन
  • योग व ध्यान के प्रभाव का EEG और HRV डेटा से विश्लेषण

2. सामाजिक समाधान:

  • छात्रों और कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम
  • स्कूल-कॉलेजों के लिए जागरूकता वर्कशॉप

3. तकनीकी इनोवेशन:

  • वर्चुअल रियलिटी पर आधारित ध्यान तकनीक
  • बायोफीडबैक आधारित काउंसलिंग टूल्स का विकास

📚 अंतर-विषयी शोध का क्षेत्रीय हब बनेगी प्रयोगशाला

यह HCI लैब अब केवल LIET तक सीमित नहीं रहेगी।
डॉ. कीर्ति के नेतृत्व में यह लैब क्षेत्रीय HCI-कंसोर्टियम के रूप में विकसित की जा रही है, जिसमें आसपास के तकनीकी संस्थानों, मेडिकल कॉलेजों और अनुसंधान केंद्रों को भी जोड़ा जाएगा।


🌐 नेशनल एजेंडा से भी जुड़ रही लैब

यह लैब राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के उस विजन को भी मूर्त रूप देती है, जिसमें Indian Knowledge Systems (IKS) को उच्च शिक्षा में समाहित करने की बात कही गई है।
यह प्रयोगशाला न केवल तकनीकी नवाचार है, बल्कि यह भारत की आत्मा और आधुनिक विज्ञान के बीच एक सेतु है।


🙌 छात्रों और फैकल्टी की प्रतिक्रियाएं

LIET के कंप्यूटर साइंस विभाग के छात्र अनिरुद्ध सिंह ने बताया:

“हमने आज तक HCI को केवल स्क्रीन और मशीन इंटरफेस के रूप में पढ़ा था,
लेकिन अब उसे खुद के मानसिक स्वास्थ्य से जोड़कर देख पा रहे हैं – यह अविश्वसनीय है।”

प्रोफेसर कविता रॉय ने कहा:

“यह लैब शिक्षा, अनुसंधान और सेवा – तीनों को एक सूत्र में पिरोती है। यह 21वीं सदी की प्रयोगशाला है।”


🚀 भविष्य की योजनाएं

डॉ. कीर्ति ने बताया कि:

  • अगले 6 महीनों में इस लैब से 2 शोध पत्र प्रकाशित किए जाएंगे।
  • एक मोबाइल ऐप विकसित किया जा रहा है जो छात्रों को रियल टाइम बायोफीडबैक और स्ट्रेस स्कोर देगा।
  • ग्रेटर नोएडा के 10 स्कूलों के साथ मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता शिविर भी आयोजित किए जाएंगे।

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