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Greater Noida News : "कहां गया स्वच्छ जल, कहां गई निर्मल नहरें?", ग्रेनो में फेल सीवरेज सिस्टम से प्रदूषित हो रहीं कासना नहर, हिंडन और यमुना, गूंजा करप्शन फ्री इंडिया का सवाल

चौधरी प्रवीण भारतीय और मास्टर दिनेश नागर के नेतृत्व में प्राधिकरण को सौंपा गया ज्ञापन, एसटीपी न होने से उठी पर्यावरणीय आपदा की चेतावनी

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे।
गौतमबुद्ध नगर की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले ग्रेटर नोएडा में जहां एक ओर इन्फ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट और टेक्नोलॉजी का ग्राफ ऊपर जा रहा है, वहीं दूसरी ओर शहर का सीवरेज सिस्टम पूरी तरह चरमराया हुआ दिख रहा है। नालों से सीधा बहता सीवरेज अब नहरों और नदियों को निगलने लगा है।

करप्शन फ्री इंडिया संगठन ने इस गंभीर विषय को लेकर प्राधिकरण के सामने आक्रामक रुख अपनाया है। संगठन के संस्थापक चौधरी प्रवीण भारतीय और कोर कमेटी सदस्य मास्टर दिनेश नागर के नेतृत्व में बुधवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसडीएम जितेन्द्र गौतम को ज्ञापन सौंपकर शीघ्र ठोस कार्यवाही की मांग की गई।


कासना नहर से शुरू, हिंडन और यमुना तक पहुंचा ज़हर

चौधरी प्रवीण भारतीय ने कहा कि शहर के प्रत्येक सेक्टर का गंदा पानी बिना ट्रीटमेंट के सीधे कासना नहर में गिराया जा रहा है, जो कि आगे जाकर हिंडन और यमुना नदियों में मिल जाता है।

“कभी इस नहर का पानी इतना साफ होता था कि लोग पीने के लिए भी इस्तेमाल करते थे, अब वहाँ से मीथेन जैसी जहरीली गैसें निकल रही हैं।” – चौधरी प्रवीण भारतीय

यह स्थिति केवल पर्यावरणीय संकट नहीं, बल्कि मानव जीवन के लिए गंभीर खतरे का संकेत है। उन्होंने कहा कि गांवों, कस्बों और सोसायटियों में सांस लेना तक दूभर हो गया है।


ट्रीटमेंट प्लांट फेल, सिस्टम पूरी तरह निष्क्रिय!

करप्शन फ्री इंडिया के अनुसार, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) या तो उपलब्ध नहीं हैं या कार्यशील नहीं हैं। इस कारण सभी नालों का गंदा, असंसाधित जल सीधे प्राकृतिक जलस्रोतों में गिरता है।

“यह केवल एक तकनीकी असफलता नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक और नैतिक विफलता है।” – मास्टर दिनेश नागर

प्रदूषण का यह सिलसिला केवल जल तक सीमित नहीं है। मीथेन जैसी गैसों के कारण स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है, जिससे सांस संबंधी बीमारियाँ, स्किन एलर्जी और मलेरिया जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।


प्रदूषण का रेड अलर्ट: नदी किनारे के गांवों और सोसायटियों में मची हलचल

इस भीषण गर्मी में जब लोग ठंडक और स्वच्छ हवा की तलाश में नहरों-नदियों के पास जाते हैं, वहां उन्हें बदबू और कीचड़ का सामना करना पड़ता है।

नहर और हिंडन के किनारे बसे गांवों – जैसे खेड़ा चौगानपुर, चिटहेरा, अस्ता और डाढा – के ग्रामीणों ने भी विरोध शुरू कर दिया है।

“हम अपने बच्चों को नदी के पास नहीं भेज सकते। सांस लेना तक मुश्किल है।” – एक ग्रामीण


SDM को ज्ञापन, मांगी त्वरित कार्यवाही

प्रदूषण के इस संकट को लेकर करप्शन फ्री इंडिया संगठन ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसडीएम जितेन्द्र गौतम को ज्ञापन सौंपते हुए तत्काल एसटीपी चालू करने, दोषी इंजीनियरों पर कार्रवाई और जल निकासी व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग की।

चौधरी प्रवीण भारतीय ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 15 दिन में समाधान नहीं हुआ, तो संगठन प्रदर्शन, जनसुनवाई और हाईकोर्ट याचिका तक का रास्ता अपनाएगा।


क्या है समाधान? जानिए संगठन की 5 प्रमुख माँगें:

  1. हर सीवरेज नाले से पहले STP अनिवार्य रूप से लगाया जाए।
  2. प्रत्येक सेक्टर में स्वच्छ जल निकासी की मासिक निगरानी हो।
  3. गंदे पानी को रीसायकल कर बागवानी, निर्माण कार्यों में प्रयोग हो।
  4. प्रदूषित नहरों में ऑक्सीजन मिश्रण प्रणाली लगाई जाए।
  5. नदी किनारे बसे गांवों में स्वच्छ जल और स्वास्थ्य कैंप की व्यवस्था।

प्रशासन की खामोशी से नाराज स्थानीय नागरिक

स्थानिय लोग अब पूछ रहे हैं –

“क्या हमारा शहर केवल बिल्डिंग्स के लिए है? क्या पर्यावरण और नदियाँ केवल पोस्टर के विषय बनकर रह जाएँगी?”

अमन नागर, रिंकु भाटी, सतवीर टाइगर, बॉबी गुर्जर, योगेश भाटी जैसे कई स्थानीय कार्यकर्ता भी इस संघर्ष में शामिल हैं और साफ कह रहे हैं –

“अब चुप नहीं बैठेंगे, पर्यावरण को बचाने के लिए संघर्ष होगा।”


क्या कहता है कानून?

  • एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) के मुताबिक, बिना ट्रीटमेंट सीवरेज को नदियों में गिराना दंडनीय अपराध है।
  • 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य सरकारों को जल स्रोतों की शुद्धता बनाए रखने के आदेश दिए थे।

ऐसे में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की यह लापरवाही संविधान और पर्यावरण कानून – दोनों का उल्लंघन है।


अब बदलाव नहीं, क्रांति चाहिए!

“स्मार्ट सिटी” के तमगे में तब तक कोई दम नहीं, जब तक उसकी नहरें और नदियाँ जिंदा न हों।”
– चौधरी प्रवीण भारतीय


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