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BJP Dadri News : “जहां साहस हो, वहीं अहिल्याबाई हो!”, दादरी में गरजी नारी चेतना की आवाज़, महिला सशक्तिकरण के संग मनी रानी अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी जयंती, भव्य कार्यक्रम में विधायक तेजपाल नागर, प्रीति सिंह, ब्लॉक प्रमुख बिजेंद्र भाटी सहित सैकड़ों लोगों की भागीदारी, मंच से दी गई सामाजिक बदलाव की प्रेरणा

संयोजक बिजेंद्र प्रमुख बोले – “समाज में नई जागरूकता की आवश्यकता”, कार्यक्रम के संयोजक श्री बिजेंद्र प्रमुख ने कहा कि आज जब समाज तेजी से आधुनिक हो रहा है, तब भी हमारीसंस्कृति और इतिहास से प्रेरणा लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा:

“रानी अहिल्याबाई होलकर का जीवन बताता है कि सच्चा नेतृत्व वही होता है जो पीड़ा में भी जनकल्याण सोचता है हमें बेटियों को यही सोच देने की जरूरत है


दादरी, रफ्तार टुडे।
आज 30 मई 2025 को दादरी ब्लॉक परिसर इतिहास और चेतना का संगम बना, जब रानी अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दी जयंती के अवसर पर महिला सशक्तिकरण पर आधारित एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह केवल एक स्मृति दिवस नहीं था, बल्कि यह नारी शक्ति, इतिहास और भारतीय संस्कृति के सम्मान का घोषणापत्र था।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे दादरी के लोकप्रिय विधायक मास्टर तेजपाल नागर, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में समाजसेवी और शिक्षाविद् श्रीमती प्रीति सिंह उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का आयोजन दादरी ब्लॉक परिसर में अत्यंत गरिमामयी और सांस्कृतिक माहौल में हुआ, जहां महिलाएं, छात्राएं, ग्रामीण, शिक्षक, जनप्रतिनिधि और स्थानीय बुद्धिजीवी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।


🌼 “कठिनाइयों को अवसर में बदलने वाली थीं रानी अहिल्याबाई” – बोले तेजपाल नागर

विधायक मास्टर तेजपाल नागर ने अपने प्रेरणादायी संबोधन में कहा:

“रानी अहिल्याबाई होलकर का जीवन उन सभी लोगों के लिए आदर्श है, जो विषम परिस्थितियों में भी समाज और राज्य की सेवा करते हैं। उनका राज्य न्याय, सेवा और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध रहा। उन्होंने कभी अपने दुखों को आड़े नहीं आने दिया, बल्कि उन्हें सेवा का माध्यम बना लिया।”

उन्होंने कहा कि आज बेटियों को रानी अहिल्याबाई के जीवन से यह सीख लेनी चाहिए कि अगर इच्छा शक्ति हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।


🌺 “रानी अहिल्या केवल नाम नहीं, विचारधारा हैं” – प्रीति सिंह

मुख्य वक्ता श्रीमती प्रीति सिंह ने कहा कि भारत के इतिहास में बहुत कम ऐसी महिलाएं हुई हैं, जिन्होंने राजगद्दी पर बैठकर भी समाज को मातृत्व की भावना से सींचा।

“रानी अहिल्याबाई होलकर ने अपने पति की मृत्यु के बाद भी हिम्मत नहीं हारी, बल्कि शासन व्यवस्था को महिलाओं के दृष्टिकोण से संवेदनशील बनाया। उन्होंने नदियों पर घाट, मंदिरों का जीर्णोद्धार, धर्मशालाएं और कुएं बनवाकर लोक कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।”

उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि हम रानी अहिल्या जैसी महिलाओं को अपने जीवन का आदर्श बनाएं।


🎤 संयोजक बिजेंद्र प्रमुख बोले – “समाज में नई जागरूकता की आवश्यकता”

कार्यक्रम के संयोजक श्री बिजेंद्र प्रमुख ने कहा कि आज जब समाज तेजी से आधुनिक हो रहा है, तब भी हमारी संस्कृति और इतिहास से प्रेरणा लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा:

“रानी अहिल्याबाई होलकर का जीवन बताता है कि सच्चा नेतृत्व वही होता है जो पीड़ा में भी जनकल्याण सोचता है। हमें बेटियों को यही सोच देने की जरूरत है।”


🙌 मंच पर जुटे स्थानीय जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ता

कार्यक्रम में भाजपा नगराध्यक्ष राजीव सिंघल, मंडल अध्यक्ष दादरी देहात संजय भाटी, मुख्य वक्ता प्रीति चौधरी, कपिल प्रधान, अभिषेक कौशिक, और गुरुदेव भाटी जैसे गणमान्य लोगों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी प्रभावशाली बना दिया।

गुरुदेव भाटी जी ने मंच संचालन करते हुए रानी अहिल्या के जीवन पर आधारित कविताएं और प्रेरक प्रसंगों का समावेश कर माहौल को रोचक और भावनात्मक बना दिया।


🏛️ ऐतिहासिक योगदान: रानी अहिल्याबाई का शासनकाल रहा लोक कल्याण का प्रतीक

रानी अहिल्याबाई होलकर (1725–1795) का शासन मराठा साम्राज्य के एक संतुलित, नैतिक और विकासशील युग के रूप में जाना जाता है। उन्होंने:

  • काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण
  • अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, उज्जैन, रामेश्वरम जैसे पवित्र स्थलों पर ढांचे खड़े किए
  • महिला सुरक्षा, धर्मशालाएं, सार्वजनिक तालाब, मार्ग निर्माण
  • न्यायप्रिय प्रशासन की स्थापना

उनकी कार्यशैली आज के लोकतंत्र और प्रशासन के लिए मार्गदर्शक है।


🌸 बेटियों को मिला सशक्तिकरण का मंत्र

इस कार्यक्रम में छात्राओं और महिलाओं के लिए प्रेरणास्पद भाषण, वीडियो प्रदर्शन और प्रेरक प्रसंग साझा किए गए। कई महिला स्वंय सहायता समूहों ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे वे आत्मनिर्भर बनकर समाज में बदलाव ला रही हैं।

स्थानीय छात्रा रिया चौधरी ने कहा:

“आज के आयोजन ने मेरी सोच बदल दी है। अब मैं सिर्फ परीक्षा पास नहीं करूंगी, बल्कि समाज के लिए कुछ करूंगी।”


📢 निष्कर्ष: यह आयोजन था भविष्य निर्माण की नींव

दादरी में आयोजित यह कार्यक्रम सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं था, बल्कि यह ‘नारी शक्ति के पुनर्जागरण’ का संकल्प था। रानी अहिल्याबाई की त्रिशताब्दी पर यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देने वाला एक ऐतिहासिक संदेश बन गया है।


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