Breaking News : “जहां गेहूं उगना था, वहां निकली रेत की नदियां!, ग्रेटर नोएडा के यमुना नदी के पास गुलावली गांव में खेत बन गए खदान, प्रशासन बना ‘मूक दर्शक’!”

📍 ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।
“जमीन हमारी, मुनाफा उनका!” — यह दर्द अब केवल नारा नहीं, बल्कि गुलावली गांव के किसानों की दिनचर्या बन चुकी है। गौतमबुद्ध नगर जिले में यमुना किनारे स्थित इस गांव में खुलेआम अवैध खनन ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है।
जहां कभी सरसों और गेहूं की बालियां लहलहाती थीं, वहां अब जेसीबी और पोकलेन की दहाड़ सुनाई देती है। बीते एक महीने से लगातार रात के अंधेरे में रेत निकाली जा रही है, और ग्रामीणों की उपजाऊ ज़मीन में अब सिर्फ गड्ढे बाकी हैं।
“खेती का सपना टूटा, खनन का कहर टूटा!”
ग्रामीणों का आरोप है कि खनन माफिया खेतों में अंधाधुंध खुदाई कर रेत निकाल रहे हैं, और यह सब पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है।
रफ्तार टुडे से बात करते हुए एक स्थानीय किसान ने कहा:
“हमारी जमीन पर रातभर जेसीबी चलती है, और सुबह तक दर्जनों ट्रक रेत भरकर निकल जाते हैं। पुलिस को बार-बार सूचना देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती।”
“रात में मशीनें गरजती हैं, सुबह खेत वीरान मिलते हैं”
एक महीने से भी ज्यादा वक्त से गुलावली गांव में अवैध खनन का यह खेल चल रहा है।
गांववालों का दावा है कि खनन में उपयोग की जा रही भारी मशीनें—जेसीबी, पोकलेन—रात 12 बजे के बाद खेतों में उतरती हैं, और सुबह से पहले ही पूरा माल डंपर में भरकर गायब हो जाता है।
किसानों का आरोप: प्रशासन बना भागीदार
किसानों ने बताया कि उन्होंने पुलिस को लिखित शिकायतें दी हैं, लेकिन अब तक ना तो कोई छापा पड़ा, ना कोई मशीन जब्त हुई, और ना ही कोई एफआईआर दर्ज हुई।
ग्रामीणों का सीधा आरोप है कि प्रशासन, पुलिस और खनन माफिया के बीच मिलीभगत है, जो अवैध कारोबार को शह दे रही है।
“अब आर-पार की लड़ाई का मूड!”
ग्रामीण अब जिला प्रशासन, खनन विभाग और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपने की योजना बना रहे हैं।
किसानों का कहना है कि:
“अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई तो गांव स्तर पर बड़ा आंदोलन किया जाएगा। यह केवल खेतों की नहीं, हमारे अस्तित्व की लड़ाई है।”
SHO विपिन कुमार यादव का क्या है कहना : “मौके पर कुछ नहीं मिला”
जब इस विषय में थाना प्रभारी विपिन कुमार यादव (SHO) से बात की गई तो उन्होंने कहा:
“मुझे एक वीडियो प्राप्त हुआ था, लेकिन जब मैंने दो घंटे बाद मौके पर जांच कराई, तब तक वहां कोई डंपर या जेसीबी नहीं था।”
SHO के इस बयान से गांववालों में और गुस्सा भड़क गया। उनका कहना है कि:
“खनन माफिया को पहले से सूचना मिल जाती है, और वे फौरन मशीनें हटा लेते हैं। लेकिन क्या प्रशासन इतना कमजोर हो गया है कि अपराधियों को पकड़ ही नहीं सकता?”
वीडियो-फोटो साक्ष्य भी हो रहे अनदेखे
ग्रामीणों ने अवैध खनन के कई वीडियो और तस्वीरें प्रशासन को भेजी हैं, जिनमें साफ दिखता है कि किस तरह खेतों की खुदाई हो रही है।
डंपर और जेसीबी के नंबर तक उपलब्ध हैं, फिर भी कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई। ग्रामीणों का कहना है कि:
“जब अपराध के साक्ष्य सामने हैं, तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं? क्या सबूतों की जगह रिश्वतें बोल रही हैं?”
कानूनों की उड़ाई जा रही धज्जियां
उत्तर प्रदेश में अवैध खनन के खिलाफ कड़े कानून और भारी जुर्माने का प्रावधान है। बावजूद इसके गुलावली गांव में यह सब धड़ल्ले से चल रहा है।
इससे न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि किसानों की आजीविका, जलस्तर और स्थानीय पारिस्थितिकी भी बर्बाद हो रही है।
रेत का खेल: माफिया की मोटी कमाई, किसानों का नुकसान
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, एक ट्रक रेत की कीमत ₹10,000 से ₹15,000 तक होती है।
रातभर में यदि 100 ट्रक भरे जाते हैं, तो माफिया करोड़ों रुपये महीने का मुनाफा कमा रहे हैं, और किसानों को मिल रही है सिर्फ बंजर ज़मीन।
ग्रामीणों की मांग
- तत्काल अवैध खनन पर रोक लगाई जाए।
- दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो।
- मशीनें और डंपर जब्त कर कानूनी कार्रवाई की जाए।
- प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जाए।
- स्थायी निगरानी के लिए पुलिस चौकी या CCTV की व्यवस्था हो।
रफ्तार टुडे की ग्राउंड रिपोर्ट
रफ्तार टुडे की टीम ने भी मौके पर जाकर स्थिति का जायज़ा लिया और ग्रामीणों के आरोपों की पुष्टि की। जमीन में जगह-जगह गहरे गड्ढे, उखड़ी फसलें और टायरों के निशान इस बात के गवाह हैं कि कुछ गड़बड़ जरूर है।
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👉 अब देखने वाली बात यह है कि क्या गुलावली गांव की ये आवाज़ नोएडा के अफसरों के कानों तक पहुंचेगी, या रेत के इस खेल में फिर दबा दी जाएगी एक और किसानों की चीख…