- Hindi News
- National
- While Drinking Tea, The Platform Was Named Physicswala, In The Online Platform, The Two Teacher System Gave A New Identity Among Children And Teachers
नई दिल्ली40 मिनट पहलेलेखक: राहुल
- कॉपी लिंक
फिजिक्सवाला फाउंडर अलख पांडे ने शिक्षा जगत में कुछ समय में ही नया मुकाम हासिल किया।
फिजिक्स को बेहतर ढंग से पेश करने वाले ‘फिजिक्सवाला’ के फाउंडर अलख पांडे ने 2012 में 9वीं से लेकर कॉम्पटीटिव एक्जाम के लिए ऑफलाइन कोचिंग क्लास शुरू की। बच्चोें की व्यापक प्रतिक्रिया को देख 2016 में उन्होंने यूट्यूब पर वीडियो डालना शुरू किए। यहां व्यापक प्रतिसाद मिला ताे उन्हाेंने ऑफलाइन कोचिंग को छोड़ फिजिक्सवाला काे पूरी तरह ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म में तब्दील कर दिया। इसका सीधा असर सब्सक्राइबर और रेवेन्यू पर भी देखने को मिला। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश…
फिजिक्सवाला नाम कैसे पड़ा?
मैं 9वीं से काॅलेज तक के छात्रों को पढ़ाता था, उसी दौरान ‘चायवाला’ नामक दुकान पर जाता था। यहीं से मुझे लगा कि मैं भी ‘फिजिक्सवाला’ नाम रखूंगा। यहीं से मैं प्रेरित हुआ।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने क्या रिजल्ट दिया?
मैंने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म में रोज वीडियो डालना शुरू कर दिया और एक नई संस्कृति ने जन्म लिया। इसके माध्यम से बच्चे सिर्फ संदेह को सुधारने के लिए नहीं बल्कि पढ़ने के लिए यूट्यूब का इस्तेमाल करने लगे। फिर धीरे-धीरे अन्य बड़े प्लेटफार्म ने भी यूट्यूब पर पूरे कोर्स के वीडियो डालना शुरू किए। इससे बच्चे पूरी तरह से ऑनलाइन पर आश्रित हो गए और एक नई शुरूआत हुई। एक फायदा ऑफलाइन शिक्षक पर भी हुआ, क्योंकि बच्चे उनसे सवाल करने लगे की यह चीज़ तो यूट्यूब पर पढ़ाई गई और आपने नहीं पढ़ाई? ऑफलाइन के शिक्षक भी जागरूक बने।
फिजिक्सवाला और उसके छात्र किस तरह के मुद्दों और चुनौतियों का सामना करने जा रहे हैं?
मुझे निरंतर एक प्रश्न ने आगे बढाया और वह प्रश्न था, अब आगे क्या? जब मैं ऑफलाइन पढ़ा रहा था, तभी समझ गया था कि समय अब जमाना ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का है। यूट्यूब पर आने के बाद मैं यह भी समझ गया कि अब लोगों के खुद के पेड प्लेटफार्म होंगे। सालभर बाद मैंने ‘टू टीचर सिस्टम’(हाइब्रिड सिस्टम) को अपनाया। इसके तहत एक प्राइमरी शिक्षक पढ़ाएगा और दूसरा सेकेंडरी शिक्षक डाउट सॉल्व के लिए होगा। इसके लिए उन्होंने भारत के 10 शहर (दिल्ली, भोपाल, लखनऊ, इंदौर, कानपुर, नोएडा, पुणे, जयपुर) के ‘पीडब्लयू पाठशाला’ का आगाज किया।
अब इसमें शिक्षकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि उन्हें अपडेट रहना और थोड़ा इंगेजिंग रहना शुरू करना पड़ा। बच्चों से कनेक्ट होने के लिए उन चीजों से जुड़ना पड़ा जिनसे बच्चे खुद जुड़े थे। इस तरह से एक नई टीम बनी। इसका नाम एपीआई रखा गया। चूंकि यह काफी लो कॉस्ट मॉडल था इसलिए इसमें डाउट वाली चीज को जोड़ा गया। इसमें डाउट इंजन जोड़ा गया।
इसमें बच्चो को कुछ सेकंड में डाउट का उत्तर मिल सकता है। फिर एपीआई के अंदर पीडब्लयू प्रीमियम को जोड़ा गया। यहां एक ऐसा मार्केट प्लेस बनाने की कोशिश की जा रही है जिसमें ऐसे शिक्षकों को जोड़ा जाए जो फिजिक्सवाला में आकर पढ़ा सकते हैं और अपने कोर्स भी बेच सकते हैं। यह फिलहाल डेवलपमेंट फेस पर है। हाल ही में डिजिटल डिस्टेंस मैटेरियल भी लाया गया है जिसमें बच्चे प्रश्न के उत्तर क्यूआर कोड के माध्यम से जान सकते हैं।