UP Organisation News : "यूपी बीजेपी अध्यक्ष पद की रेस में कौन मारेगा बाजी? दलित, ओबीसी, या फिर पुराने चेहरों पर दांव? संगठन में बड़ा बदलाव तय!", क्या भूपेंद्र चौधरी होंगे रिपीट या स्वतंत्र देव सिंह, केशव प्रसाद मौर्य की यूपी की मिल सकती है कमान ?
लखनऊ, रफ्तार टुडे।
उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को जल्द ही नया प्रदेश अध्यक्ष मिलने वाला है। जनवरी में इस बड़े राजनीतिक बदलाव का ऐलान हो सकता है। इस बार पार्टी नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दलित, ओबीसी, या जमीनी स्तर के किसी मजबूत नेता को मौका देने पर विचार कर रहा है। पार्टी का यह कदम न केवल 2024 लोकसभा चुनावों की तैयारियों का हिस्सा है, बल्कि समाज के हर वर्ग को साथ जोड़ने की उसकी रणनीति को भी दर्शाता है।
दलित चेहरों पर फोकस: रामसकल और विद्यासागर सोनकर की चर्चा जोरों पर
प्रदेश अध्यक्ष की रेस में पूर्व सांसद रामसकल का नाम सबसे आगे है। रामसकल तीन बार सांसद और राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। उनका राजनीतिक सफर आरएसएस से शुरू होकर बीजेपी के बड़े पदों तक पहुंचा है। दलित वर्ग में उनकी लोकप्रियता और संगठन में मजबूत पकड़ को देखते हुए उनका नाम चर्चा में है।
इसी तरह, विद्यासागर सोनकर, जो पहले भी पार्टी में प्रमुख पद संभाल चुके हैं, एक और दलित चेहरा हैं जिनके नाम पर विचार हो रहा है। विद्यासागर की छवि ईमानदार और मेहनती नेता की है, और पार्टी उन्हें एक नई पहचान देने के लिए तैयार दिख रही है।
ओबीसी समुदाय: साध्वी निरंजन ज्योति और बाबूराम निषाद का नाम रेस में
ओबीसी समुदाय से आने वाली फतेहपुर सांसद साध्वी निरंजन ज्योति का नाम भी जोर-शोर से लिया जा रहा है। उनकी छवि एक ओबीसी और हिंदुत्व समर्थक नेता की है, जिसने पार्टी के आधार को मजबूत करने में मदद की है।
वहीं, राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद भी ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। निषाद समाज में उनकी गहरी पकड़ और संगठन में उनकी सक्रियता के कारण उनका नाम भी अध्यक्ष पद की रेस में शामिल है।
भूपेंद्र चौधरी को फिर मिल सकती है कमान?
मौजूदा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को दूसरा कार्यकाल मिलने की संभावनाएं भी प्रबल हैं। उनके नेतृत्व में पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय के बीच मजबूत पकड़ बनाई है। भूपेंद्र चौधरी न केवल जाट समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, बल्कि राष्ट्रीय नेतृत्व के करीबी भी माने जाते हैं। उनकी कामयाबी को देखते हुए उन्हें दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
स्वतंत्र देव सिंह: क्या दोबारा लौटेंगे प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर?
बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मौजूदा जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह भी इस रेस में पीछे नहीं हैं। उन्होंने दिल्ली से लेकर लखनऊ तक कई बड़े नेताओं और संघ पदाधिकारियों से मुलाकात की है। उनकी लोकप्रियता और संगठन कौशल को देखते हुए शीर्ष नेतृत्व उनके नाम पर विचार कर सकता है।
ब्राह्मण चेहरा: हरीश द्विवेदी की दावेदारी भी मजबूत
भाजपा नेतृत्व ब्राह्मण समुदाय को साधने के लिए हरीश द्विवेदी, जो कि पूर्व सांसद रह चुके हैं, को प्रदेश अध्यक्ष बना सकता है। हरीश द्विवेदी की छवि एक शांत और सुलझे हुए नेता की है, जो पार्टी के अंदर ब्राह्मण समुदाय को मजबूती से जोड़ सकते हैं।
संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी: मंडल से प्रदेश तक फेरबदल
बीजेपी संगठन में इस समय मंडल और जिलाध्यक्षों के चुनाव चल रहे हैं। 15 जनवरी तक मंडल और जिला स्तर की तैनाती पूरी होने के बाद, प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा की जाएगी। इस बदलाव से पार्टी संगठन को नए सिरे से मजबूत किया जाएगा।
विनोद तावड़े की सक्रियता: केंद्रीय नेतृत्व को फीडबैक सौंपा गया
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सहित कई नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर चर्चा की और संगठन से मिले फीडबैक को केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचाया।
चुनावों की तैयारी: अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन?
नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन न केवल 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी का हिस्सा है, बल्कि समाज के हर वर्ग को जोड़ने की पार्टी की रणनीति का भी अहम कदम है। दलित, ओबीसी, जाट, या ब्राह्मण—किसी भी वर्ग का नेता चुना जाए, यह फैसला यूपी की राजनीति को नई दिशा देने वाला साबित होगा।
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