Yamuna Authority News, यमुना प्राधिकरण आवासीय स्कीम, 361 प्लॉटों की लॉटरी, उम्मीदों पर पानी, जिम्मेदार कौन?फिर 1500-2000 प्लॉट की घोषणा, और फिर अचानक से इनकार
यमुना प्राधिकरण के इस निर्णय ने यह साबित कर दिया कि अब आवास योजनाओं में भी पारदर्शिता की कमी है, और इसमें सुधार की जरूरत है। इससे यह भी साफ हो जाता है कि आम आदमी के लिए शहर में अपना घर बनाना एक सपना बनता जा रहा है, जो शायद कभी पूरा न हो।
ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे। एक लोकप्रिय फिल्मी गीत के बोल हैं, “सखी, सैया खूबई कमात है, महंगाई डायन खाए जात है।” यह पंक्तियाँ आम आदमी की स्थिति को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं, जहां उसकी आमदनी महंगाई के सामने बौनी साबित हो जाती है। ऐसे में, जब यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने 361 आवासीय प्लॉटों की योजना की घोषणा की, तो इसे गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण के रूप में देखा गया। लेकिन इस उम्मीद पर तब पानी फिर गया, जब प्राधिकरण ने अंतिम समय में यह घोषणा की कि अब कोई अतिरिक्त प्लॉट योजना में शामिल नहीं किए जाएंगे।
361 प्लॉट, फिर 1500-2000 प्लॉट की घोषणा, और फिर अचानक से इनकार
यमुना प्राधिकरण ने 361 आवासीय प्लॉटों की स्कीम जारी की थी, जिसमें ड्रा के माध्यम से प्लॉट आवंटित किए जाने थे। शुरुआत में 5 अगस्त 2024 को इसकी अंतिम तिथि निर्धारित थी, लेकिन प्राधिकरण ने इस तिथि को बढ़ाकर 23 अगस्त कर दिया। इसी बीच, खबरों के माध्यम से यह जानकारी दी गई कि 361 प्लॉटों के साथ-साथ 1500 से 2000 अतिरिक्त प्लॉट भी योजना में जोड़े जाएंगे। इस घोषणा के बाद, लोग भारी संख्या में फॉर्म भरने लगे, और आवेदनकर्ताओं की संख्या बढ़कर ढाई लाख तक पहुंच गई।
लेकिन जब अंतिम तिथि करीब आई, तो प्राधिकरण ने घोषणा की कि नए प्लॉट जोड़े जाने की योजना रद्द कर दी गई है क्योंकि उनके पास पर्याप्त जमीन नहीं है। इससे उन हजारों लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया जिन्होंने इस योजना में अपनी जमा पूंजी लगाई थी, उम्मीद के साथ कि उन्हें भी कम दामों में प्लॉट मिलेगा।
जिम्मेदार कौन?
सवाल यह उठता है कि लोगों को गुमराह करने की जिम्मेदारी कौन लेगा? आखिरकार, जिन लोगों ने उम्मीद से फॉर्म भरे, उन्हें किसकी बातों पर भरोसा करना चाहिए था? यदि प्राधिकरण के पास जमीन की कमी थी, तो पहले से ही ऐसी घोषणा क्यों की गई कि प्लॉटों की संख्या बढ़ाई जाएगी?
यह स्थिति न केवल आम जनता के लिए एक धोखे की तरह है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे सरकारी संस्थाएं कभी-कभी अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट जाती हैं। महंगाई और आर्थिक कठिनाइयों के इस दौर में, गरीब और मध्यम वर्ग के लोग सरकारी योजनाओं में अपनी उम्मीदें लगाते हैं। लेकिन जब उन योजनाओं को इस तरह से रद्द कर दिया जाता है, तो यह उनकी आर्थिक और मानसिक स्थिति को और अधिक कमजोर करता है।
यमुना प्राधिकरण के इस निर्णय ने यह साबित कर दिया कि अब आवास योजनाओं में भी पारदर्शिता की कमी है, और इसमें सुधार की जरूरत है। इससे यह भी साफ हो जाता है कि आम आदमी के लिए शहर में अपना घर बनाना एक सपना बनता जा रहा है, जो शायद कभी पूरा न हो।
#YamunaAuthority #HousingScheme #GreaterNoida #AffordableHousing #RaftarToday #YEIDA
🛑 Raftar Today व्हाट्सएप चैनल से जुड़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक को टच करें।
Follow the Raftar Today channel on WhatsApp
Twitter (X): Raftar Today (@raftartoday)