गौतमबुद्ध नगरदादरी

Dadri Tehsil Patwari News : जलपुरा भूमि विवाद 13 साल पुराने बैनामे पर कार्यवाही से पटवारी राकेश नागर की मुश्किलें बढ़ीं, राजनीतिक संरक्षण और प्रशासनिक उदासीनता का आरोप, बिना सत्यापन और प्रक्रिया के भूमि हस्तांतरण

SDM दादरी ने तहसीलदार को प्रकरण की गंभीरता से जांच करते हुए स्पष्ट जॉच आख्या देने के आदेश दिए हैं

दादरी, रफ़्तार टुडे। राजस्व ग्राम जलपुरा के खसरा संख्या 531 से जुड़े एक पुराने भूमि विवाद ने क्षेत्रीय प्रशासन और पटवारी राकेश नागर को कठघरे में खड़ा कर दिया है। मामले में आरोप है कि 13 साल पुराने बैनामे के आधार पर, बिना सत्यापन और कानूनी प्रक्रिया का पालन किए, भूमि पर अवैध कब्जा कराया गया। अब इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम दादरी ने तहसीलदार को विस्तृत जांच करने और स्पष्ट रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।


क्या है मामला?

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि क्षेत्रीय लेखपाल राकेश नागर ने भू-माफिया के साथ मिलीभगत कर मूल काश्तकार की भूमि पर कब्जा कराया। यह कब्जा कानून और प्रक्रिया के विपरीत केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए किया गया।

अनियमितताओं के आरोप:

  1. बिना सत्यापन और प्रक्रिया के भूमि हस्तांतरण:

कथित बैनामा का न तो सत्यापन हुआ और न ही संबंधित पक्षकारों को नोटिस भेजा गया।

सब-रजिस्ट्रार कार्यालय से दस्तावेजों का परीक्षण भी नहीं किया गया।

  1. अवैध कब्जे का आरोप:

शिकायत के अनुसार, पटवारी ने बिना सूचना के प्रभावित पक्षकार की भूमि पर कब्जा कराने में मदद की।

  1. राजनीतिक संरक्षण:

आरोप है कि क्षेत्रीय लेखपाल को स्थानीय राजनीतिक समर्थन प्राप्त है, जिससे उनकी अवैध गतिविधियां बिना किसी बाधा के जारी हैं।

  1. भ्रष्टाचार और संपत्ति अर्जन का आरोप:

शिकायतकर्ता का दावा है कि पटवारी ने अपने कार्यकाल के दौरान कई गांवों में इस तरह के अवैध कार्य किए, जिससे उन्होंने करोड़ों रुपये की संपत्ति अर्जित की।

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जांच की दिशा में उठाए गए कदम

एसडीएम दादरी ने तहसीलदार को इस प्रकरण की गंभीरता से जांच कर विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। जांच में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देने को कहा गया है:

  1. प्रभावित पक्षकारों और दस्तावेजों की जांच:

13 साल पुराने बैनामे और भूमि से जुड़े दस्तावेजों का परीक्षण किया जाए।

सभी संबंधित पक्षकारों से बयान लिए जाएं।

  1. किसान ने एंटी करप्शन सेल में शिकायत:

मामले को एंटी करप्शन सेल को भेजने की सिफारिश की गई है।

  1. जिलाधिकारी को रिपोर्ट:

जांच के निष्कर्षों को जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर दंडात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव दिया जाएगा।


शिकायतकर्ता का पक्ष

मूल काश्तकार और प्रभावित पक्षकारों ने इस प्रकरण में निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि पटवारी के मनमाने कार्यों से उन्हें न केवल आर्थिक नुकसान हुआ है, बल्कि उनके कानूनी और सामाजिक अधिकार भी प्रभावित हुए हैं।

अन्य विवादित प्रकरण भी शामिल:

शिकायतकर्ता ने यह भी दावा किया कि जलपुरा के अलावा, हल्दौनी, ककराला, और खवासपुर जैसे गांवों में भी पटवारी राकेश नागर के खिलाफ इसी प्रकार की शिकायतें लंबित हैं।


राजनीतिक संरक्षण और प्रशासनिक उदासीनता का आरोप

शिकायतकर्ता का कहना है कि पटवारी को स्थानीय राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है, जिसके चलते उनके खिलाफ कार्रवाई करने में अधिकारियों को कठिनाई होती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता से मूल काश्तकारों को लगातार नुकसान हो रहा है।


प्रशासन की जिम्मेदारी और जनहित की मांग

यह मामला केवल एक भूमि विवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रशासनिक भ्रष्टाचार और भू-माफिया की मिलीभगत का गंभीर उदाहरण है। शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी और एंटी करप्शन सेल से अपील की है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और न्याय सुनिश्चित किया जाए।


भविष्य की दिशा

इस प्रकरण की जांच और कार्रवाई से यह तय होगा कि प्रशासन और न्याय प्रणाली ऐसे मामलों में कितनी प्रभावी है। यदि दोष सिद्ध होते हैं, तो यह मामला भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही पर रोक लगाने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।


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