गाजियाबाद, रफ्तार टुडे। राष्ट्रीय सैनिक संस्था की नेशनल वैन गार्ड ने पत्र लिखकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूर्व सैनिकों को देशहित में नगर निगम में, विधान परिषद, राज्य सभा तथा सहित अन्य संवैधानिक संस्थाओं में पूर्व सैनिकों (गौरव सेनानियों) को मनोनीत करने की मांग उठाई है। राष्ट्रीय सैनिक संस्था का मानना है जिस प्रकार एक सैनिक देश के दुश्मनों से देश की रक्षा करता है वैसे ही देश को खोखला कर रहे भ्रष्टाचार रूपी राक्षस से भी एक सैनिक ही रक्षा कर सकता है।
पीएम मोदी को भेजे गए पत्र में राष्ट्रीय सैनिक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष कर्नल तेजिंदर पाल त्यागी ने लिखा है कि पीएम मोदी ने पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए अभूतपूर्व कार्य किए हैं। लेकिन अब पूर्व सैनिक देश में भ्रष्टाचार नियंत्रण में आपका सहयोग करना चाहते हैं। उन्होंने लिखा है कि देश की कुल जनसंख्या के 1 प्रतिशत सैनिक पूरे देश को दुश्मनों से सुरक्षित रखते हैं। यहां तक कि देश में जब भी कोई प्राकृतिक या कृत्रिम, आपदा आती है तो फौज को बुलाकर स्थिति पर नियंत्रण पाया जाता है। पत्र में कर्नल त्यागी ने लिखा है कि एक सैनिक के पास उसकी कर्तव्यनिष्ठा, प्रशिक्षण, अनुशासन और ईमानदारी सबसे बड़ा हथियार है जिसके दम पर वह देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने में एक सैनिक सहायक हो सकता है।
आज का सिपाही देश की आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक गतिविधियों का विश्लेषण भी बखूबी करना जानता है। कर्नल त्यागी ने लिखा है कि एक सिपाही अपनी जान का बलिदान देश और देश की जनता के लिए देने के लिए तैयार रहता है। जिसे सर्वोच्च बलिदान कहा जाता है। एक सैनिक चाहे जैसलमेर की गर्मी हो या सियाचिन की ठंड, कच्छ की दलदल हो या 24 घंटे ऑपरेशन के लिए तैयार रहने की तलवार सर पर लटक रही हो या फिर चलती हुई गोलियों के नीचे से गुजरना पड़े, तब भी अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटता। उन्होंने लिखा है कि जब सेवारत सैनिक सरहद की सुरक्षा कर सकता है और आपदाओं पर नियंत्रण कर सकता है तो सेवानिवृत सैनिक भी भ्रष्टाचार जैसी आपदा पर नियंत्रण कर सकते हैं। इस पत्र में कर्नल त्यागी ने पूर्व सैनिकों का दर्द भी बयां किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि सदैव देश की ब्यूरोक्रेसी ने पूर्व सैनिकों को मुख्यधारा से अलग रखा है क्योंकि उनके आने से सिविल शासन अथवा प्रशासन अपनी मनमानी नहीं कर पाएगा। कर्नल त्यागी ने देशहित में देश की संवैधानिक संस्थाओं में वरीयता के आधार पर पूर्व सैनिकों को मनोनीत किये जाने की मांग की है।