क्या है गुजरात के कथित भ्रष्टाचार से प्रधानमंत्री कनेक्शन
गुजरातः 23 हजार करोड़ के घोटाले में FIR,अभी तक नहीं लगा ऋषि अग्रवाल का सुराग, ABG शिपयार्ड की वेबसाइट भी अब बंद
गौरव शर्मा, रफ्तार टुडे। सवाल ये भी है कि क्या बैंकों का फ्राड पकड़ने में 52- 56 महीने लगते हैं? वित्त मंत्री कह रही हैं कि इस बार कम समय लगा है?
गुजरात की ABG शिपयार्ड कंपनी और उसके पूर्व चेयरमैन ऋषि कमलेश अग्रवाल और अन्य पर 28 बैंकों के साथ 22,842 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का आरोप है। सीबीआई ने इस मामले में ABG शिपयार्ड कंपनी और ऋषि कमलेश के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में FIR दर्ज की है। लेकिन ऋषि कहां हैं इसकी कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, कांग्रेस ने दावा किया है कि ऋषि अग्रवाल देश छोड़कर जा चुके हैं, लेकिन सरकार की तरफ से इस पर कोई जानकारी नहीं दी गई है। ABG शिपयार्ड की वेबसाइट भी अब बंद है। एक राष्ट्रीय चैनल के के मुताबिक ऋषि का संबंध उद्योपगति घराना रुईया बंधु से हैं।
ध्यान रहे कि यह देश में सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला है। इसने विजय माल्या और मेहुल चोकसी के बैंक घोटाले को भी पीछे छोड़ दिया है। गुजरात की कंपनी ABG शिपयार्ड को 28 बैंकों के कन्सोर्टियम ने 22,842 करोड़ रुपए का लोन दिया था।
ICICI ने सबसे ज्यादा 7,089 करोड़ रुपए दिए थे। उसके बाद दूसरे नंबर पर 3,634 करोड़ रुपए IDBI बैंक ने दिए थे। SBI ने 2,925 करोड़ रुपए, बैंक ऑफ बड़ौदा ने 1,614 करोड़ रुपए, पंजाब नेशनल बैंक ने 1,244 करोड़ रुपए और इंडियन ओवरसीज बैंक ने 1,228 करोड़ रुपए दिए थे।
बैंकों के साथ ही साथ LIC ने भी 136 करोड़ रुपए दिए थे। इनके अलावा कई अन्य वित्तीय संस्थाओं ने भी लोन दिया था।
7 फरवरी को केस दर्ज करने के बाद सीबीआई ने 13 जगहों पर रेड की। (एक्सप्रेस फोटो)
गुजरात की ABG शिपयार्ड कंपनी और उसके पूर्व चेयरमैन ऋषि कमलेश अग्रवाल और अन्य पर 28 बैंकों के साथ 22,842 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का आरोप है। सीबीआई ने इस मामले में ABG शिपयार्ड कंपनी और ऋषि कमलेश के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में FIR दर्ज की है। लेकिन ऋषि कहां हैं इसकी कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, कांग्रेस ने दावा किया है कि ऋषि अग्रवाल देश छोड़कर जा चुके हैं, लेकिन सरकार की तरफ से इस पर कोई जानकारी नहीं दी गई है। इसने विजय माल्या और मेहुल चोकसी के बैंक घोटाले को भी पीछे छोड़ दिया है। गुजरात की कंपनी ABG शिपयार्ड को 28 बैंकों के कन्सोर्टियम ने 22,842 करोड़ रुपए का लोन दिया था।
ICICI ने सबसे ज्यादा 7,089 करोड़ रुपए दिए थे। उसके बाद दूसरे नंबर पर 3,634 करोड़ रुपए IDBI बैंक ने दिए थे। SBI ने 2,925 करोड़ रुपए, बैंक ऑफ बड़ौदा ने 1,614 करोड़ रुपए, पंजाब नेशनल बैंक ने 1,244 करोड़ रुपए और इंडियन ओवरसीज बैंक ने 1,228 करोड़ रुपए दिए थे।
बैंकों के साथ ही साथ LIC ने भी 136 करोड़ रुपए दिए थे। इनके अलावा कई अन्य वित्तीय संस्थाओं ने भी लोन दिया था।
ABG शिपयार्ड कंपनी को 28 बैंकों के कन्सोर्टियम ने 2001 से लोन देना शुरू किया। इसके बाद 2013 से कंपनी घाटे में जाने लगी। इसने लोन चुकाना बंद कर दिया। 2016 में इस लोन एकाउंट को एनपीए घोषित कर दिया गया।
ABG शिपयार्ड को उबारने और बेचने की काफी कोशिश हुई, लेकिन शिपिंग सेक्टर बहुत बुरे हालात से गुजर रहा था, इसलिए यह कोशिश भी कंपनी को उबारने में मददगार नहीं हो सकी।
2018 में लोन देने वाले बैंकों ने अर्नस्ट एंड यंग यानी EY को इसकी फॉरेंसिक ऑडिट की जिम्मेदारी सौंपी। EY ने कन्सोर्टियम को यह रिपोर्ट 2019 में सौंपी गई। इसमें पाया गया कि ABG शिपयार्ड ने लोन के पैसों से फ्रॉड किया है। कंपनी ने मिलीभगत कर लोन में मिले पैसे का दूसरी जगह इस्तेमाल किया। यानी कर्ज किसी दूसरे मकसद से लिया गया और पैसों का उपयोग किसी दूसरे काम में कर दिया गया।
बैंकों के कन्सोर्टियम की ओर से SBI ने नवंबर 2019 में ABG शिपयार्ड के खिलाफ पहली शिकायत दर्ज कराई। दो साल की हीलाहवाली के बाद सीबीआई ने शनिवार को मामले में FIR दर्ज की। इसमें आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और सरकारी संपत्ति को धोखाधड़ी से हड़पने जैसे गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है। ABG शिपयार्ड लिमिटेड के पूर्व CMD ऋषि कमलेश अग्रवाल और तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथुस्वामी और तीन अन्य निदेशकों अश्विनी कुमार सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवतिया को आरोपी बनाया गया है।