हड़ताल कर मजदूरों ने जगह-जगह जुलूस निकालकर किया विरोध प्रदर्शन- गंगेश्वर दत्त शर्मा “सीटू” नेता
नोएडा,रफ्तार टुडे। केंद्र व राज्य सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ कारपोरेट घरानों की जन संसाधनों की लूट, चार मजदूर विरोधी लेबर कोड़, निगमीकरण, ठेकाकरण, बेतहाशा महंगाई के खिलाफ, सभी श्रमिकों को ₹26000 हजार मासिक न्यूनतम वेतन व सामाजिक सुरक्षा, घरेलू कामगारों, स्कीम वर्कर्स को कर्मचारी का दर्जा, श्रम कानून, पथ विक्रेता अधिनियम को सही तरीके से लागू कराने आदि मांगों को लेकर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, फेडरेशन के 28- 29 मार्च को संयुक्त रूप से देशव्यापी आम हड़ताल के आह्वान के तहत सीटू जिला कमेटी गौतम बुध नगर ने हड़ताल के प्रथम दिन 28 मार्च को सीटू जिला कार्यालय सेक्टर- 8, सीटू नेता गंगेश्वर दत्त शर्मा, लता सिंह, मदन प्रसाद, भीखू प्रसाद, हरेराम, राजकरन सिंह, रमाकांत सिंह, गुडिया, जनवादी महिला समिति की नेता आशा यादव, रेखा चौहान आदि के नेतृत्व में जुलूस शुरू हुआ जो हरौला होते हुए श्रम कार्यालय सैक्टर-3,नोएडा पर विरोध प्रदर्शन के बाद समाप्त हुआ।
सिलारपुर भंगेल से सीटू नेता राम स्वारथ, पिंकी, किरण, राम क्रांती, एक्टू नेता अमर सिंह आदि के नेतृत्व में जुलूस निकला जो होजरी कंपलेक्स फेस-2, नोएडा थाने के पास विरोध प्रदर्शन/ सभा के बाद समाप्त हुआ। ग्रेटर नोएडा उद्योग विहार अनमोल इंडस्ट्रीज से सीटू नेता रामसागर, मुकेश कुमार राघव, मोहम्मद फिरोज, रामप्रवेश सिंह, सुखलाल, मनोज आदि के नेतृत्व में जुलूस शुरू हुआ जो औद्योगिक क्षेत्र, सूरजपुर गोलचक्कर, पुलिस आयुक्त कार्यालय होते हुए जिलाधिकारी कार्यालय सूरजपुर ग्रेटर नोएडा पर जोरदार प्रदर्शन के बाद श्रमिकों की समस्याओं/ मांगों पर माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार, माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को संबोधित ज्ञापन दिए जाने के बाद समाप्त हुआ। ज्ञापन एसडीएम रमेश चंद निगम जी ने लिया।
डीएम कार्यालय सूरजपुर पर प्रदर्शन के बाद दिया गया ज्ञापन सात सूत्रीय ज्ञापन
मजदूरों की समस्याओं/माँगों पर केन्द्रीय ट्रैड यूनियनों व फेडरेशनों द्वारा आहुत 28 व 29 मार्च-2022 की हडताल के प्रथम दिन पर जिला अधिकारी कार्यालय, गौतमबुद्धनगर के कार्यालय पर हमारे संगठन से सम्बन्धित यूनियन सदस्यों द्वारा किये जा रहे प्रदर्शन के माध्यम से आपका ध्यान देश के मजदूरों के हालातों पर आकर्षित कराना चाहता है।
यह कि आज के समय में देश के मजदूरों के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। महॅंगाई के आगे वेतन बेमानी होते जा रहे हैं। छंॅटनी, तालाबंदी व बेरोज़गारी से आम-जन त्रस्त है। जिनके पास आज नौकरी है। वह भी मॅंहगाई से पार पाने के लिए 16-18 घंटे बिना किसी छुट्टी के काम करने के लिए मजबूर है। बहुमत मजदूर को कम वेतन पर और बिना किसी सामाजिक सुरक्षा के काम करना पड़ता है और इस बात की कोई गारंटी नही है कि कल नौकरी होगी, कि नही। दो-तरफा मार है, या तो रोजगार नही है, या रोजगार है भी, तो कम वेतन पर और बहुत मुश्किल हालत में और इसका सीधा लाभ बड़े-बड़े पूंजीपति घरानों को हो रहा है उक्त के साथ ही मजदूरों के औद्योगिक विवाद सालों चलते रहते हैं। जिससे स्पष्ट है कि आपकी सरकार श्रमिकों के रोजगार और जीवन सुरक्षा सुनिश्चित करना प्राथमिकता में बिल्कुल नही है। यह क्रूरतापूर्ण है। आपकी सरकार ने कोरोना काल में देश के मजदूरों को कोई राहत नही दी है और वह अकेले ही दवाइयों व आक्सीजन की कमी से मर गए। जिस कारण देश के मजदूरों के परिवार तबाह हो गए। इन दुःखद हालात और लाॅकडाउन नियमों के चलते, जब तमाम पाबंदियों के जरिए मजदूरों के विरोध की आवाज को आपकी सरकार द्वारा पूरी तरह दबाने का प्रयास करते हुए विदेशी व देशी पूजीपतियों के पक्ष में चार श्रमिक-विरोधी लेबर कोड पारित कर सरकारी-सार्वजनिक क्षेत्र-रेलवे, बैंक, बीमा, गैस, रक्षा, एयर इंडिया, इस्पात, कोयला, बी.एस.एन.एल, पोर्ट व अन्य तमाम उद्योगों को काॅरपोरेट मुनाफाखोरों को निजीकरण व ‘‘असेट मोनिटाईजेशन‘‘ के नाम पर सस्ते-से-सस्ते दामों पर दिया जा रहा है। इससे बेरोजगारी और रोजगार की असुरक्षा की समस्या और बढ़ेगी। आपकी सरकार की इन्ही देशविरोधी नीतियों के चलते देश की आत्मनिर्भरता समाप्त हो जाएगी व देशवासियों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। बीयह कि आपकी सरकार द्वारा बनाने गये 4 श्रम कोड की पडताल करने से पता चल रहा है कि मजदूरों की नौकरी की सुरक्षा समाप्त है और ठेकेदारों को लूटने की पूरी छूट, यूनियन बनाने और हड़ताल के अधिकार पर हमला व लेबर कोर्ट को समाप्त करने के साथ ही मजदूरों की जो समस्याए होती है उक्त को वह अपनी यूनियन के द्वारा या फिर स्वंय श्रम कार्यालय में शिकायत कर जाँच/निरीक्षण करवा कर कुछ समस्याओं का हल करवा लेते थे, को भी समाप्त किया गया है उपरोक्त के साथ ही हमारे जिले में मुख्य उद्योग-जिसमें कपड़ा सिलाई, रंगाई, छपाई, धुलाई, बिस्कुट, कैमिकल, प्लास्टिक, गत्ता, ईट भट्टा, प्राइवेट स्कूल, अस्पताल, नार्सिगं होग, क्लीनिक और इन्जीनियरिंग (जिसमें 50 कम मजदूर कार्यरत है) सहित कुल 59 उद्योगों में हमारे प्रदेश की सरकार द्वारा दिनाँक 28.01.2014, इन्जीनियरिंग उद्योग (जिसमें 50 से ऊपर मजदूर कार्यरत है) का दिनाँक 14.09.2016 व होटल एवं रेस्टोरेन्ट उद्योग का दिनाँक 31.01.2000 को वेतन का पुनरीक्षण कर अधिसूचना जारी की गयी और उक्त के उपरान्त दिन दूनी रात चैगनी महँगाई बढी है परन्तू प्रदेश की सरकार द्वारा वेतन का पुनरीक्षण नही किया है। वर्तमान समय में 08 घंटे काम का न्यूनतम वेतन रु0-9,184/- परंतु इससे बहुत कम मिल रहा है और इस लूट व भ्रष्टाचार, भीषण शोषण पर आपकी व प्रदेश की योगी सरकार मौन होने के साथ ही श्रम विभाग को पंगु बनाकर उल्लंघनकर्ता मालिकों का क्या साथ नहीं दे रही हैं! सरकारी मिलीभगत के चलते रोजी-रोटी बचाए रखना दुकान व कारखाना मजदूरों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।