दिल्ली, रफ्तार टुडे। दुनियाभर के सोशल मीडिया में चीन में तख्तापलट को लेकर एक अफवाह जंगल की आग की तरह से फैल रही है। कहा जा रहा है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को घर में नजरबंद कर दिया गया है। इस बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा है कि चीन से आ रही इस अफवाह की जांच की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि शी जिनपिंग जब समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में हिस्सा लेने के लिए गए थे, तब माना जाता है कि कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने उन्हें सेना के प्रभारी के पद से हटा दिया। आइए जानते हैं कि चीन से आ रही इस अफवाह में कितनी सच्चाई है….
सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा, ‘ताजा अफवाह है जिसकी जांच की जानी चाहिए। क्या शी जिनपिंग को बीजिंग में नजरबंद किया गया है? जब शी जिनपिंग हाल ही में समरकंद में थे, तब माना जाता है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने पार्टी के सेना के प्रभारी के पद से उन्हें हटा दिया। इसके बाद नजरबंद आया। ऐसे में अफवाहों का दौर जारी है।’ चीन में सेना के मूवमेंट का एक वीडियो भी सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है। इस बीच चीन मामलों के एक विशेषज्ञ गॉर्डन सी चांग कहते हैं कि जहां धुआं निकलता है, वहां कहीं न कहीं आग होती है। उन्होंने कहा कि चीन अस्थिर है।
शी जिनपिंग के नजरबंद होने की अफवाह तब उड़ी जब चीन से जुड़े कई सोशल मीडिया अकाउंट से दावा किया गया कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने उन्हें सेना के प्रमुख के पद से हटाने के बाद नजरबंद कर दिया है। खुद को चीन से जुड़ा हुआ बताने वाले इन सोशल मीडिया अकाउंट्स पर दावा किया गया कि सेना ने बीजिंग पर कब्जा कर लिया है। यह भी कहा गया कि चीन के पूर्व राष्ट्रपति हू जिनताओ और पूर्व प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने सोंग पिंग को सेंट्रल गार्ड ब्यूरो की जिम्मेदारी संभालने के लिए मनाया है।
अफवाहों में यह भी दावा किया जा रहा है कि जब शी जिनपिंग समरकंद से लौटे तो 16 सितंबर को ही उन्हें एयरपोर्ट से हिरासत में ले लिया गया। साथ ही इस बात की पूरी संभावना है कि शी जिनपिंग को नजरबंद रखा गया है। इन अफवाहों को उस समय भी हवा मिली जब चीन में कई विमानों के उड़ान को रद होने का सोशल मीडिया पर दावा किया जाने लगा। इन दावों की अभी तक कोई स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी है। हां, चीन से यह खबर जरूर पुष्ट हुई है कि पूर्व वाइस पब्लिक सिक्यारिटी मिनिस्टर सुन लिजून को मौत की सजा सुनाई गई है।
चीन के सरकारी मीडिया का दावा है कि सुन लिजून को बड़े पैमाने पर घूस लेने का दोषी पाया गया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट का यह फैसला दर्शाता है कि शी जिनपिंग पार्टी की अहम बैठक से ठीक पहले उच्चाधिकारियों के खिलाफ भी ऐक्शन लेने से नहीं चूक रहे हैं। कम्युनिस्ट पार्टी की इसी बैठक में शी जिनपिंग को तीसरा कार्यकाल दिया जा सकता है। इस अफवाह के बारे में चीन के सरकारी मीडिया ने अब तक कोई बयान नहीं दिया है। यही नहीं अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी चीनी राष्ट्रपति के नजरबंदी की अफवाह के बारे में कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में शी जिनपिंग के बारे में सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा अभी फर्जी ही नजर आ रहा है।