मायावती के गृह जनपद गौतमबुद्धनगर में बसपा संगठन लापता
ग्रेटर नोएडा, राजेश बैरागी। अकेले दम पर लोकसभा चुनाव में उतरने जा रही उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की पार्टी बसपा का उनके गृह जनपद गौतमबुद्धनगर में क्या हाल है? कभी दो विधानसभा और लोकसभा सीटों पर विजय हासिल करने वाली बसपा के संगठन को वर्तमान में ढूंढना भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
2007-2012 के दौरान पूर्ण बहुमत की सरकार चलाने वाली बसपा और उसकी अकेली हुक्मरान मायावती के लिए पिछले 12 वर्ष निरंतर रसातल की ओर जाने के रहे हैं।2019 के लोकसभा चुनाव में यदि अखिलेश यादव ने अपने पिता की बात मान ली होती तो संभवतः आज मायावती राजनीतिक अज्ञातवास पर होतीं।
तब सपा बसपा के गठबंधन का लाभ मायावती को हुआ था और उनके दस सांसद चुने गये थे। चुनाव बाद एक दूसरे पर असहयोग का आरोप लगाकर दोनों दलों के रास्ते फिर अलग अलग हो गए थे। आगामी लोकसभा चुनाव में मायावती ने इंडी गठबंधन और सपा या किसी अन्य दल के साथ जाने से इतर अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। यह निर्णय बसपा के लिए तो आत्मघाती होगा ही, समाजवादी पार्टी और इंडी गठबंधन के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। सत्ता और राजनीतिक गठबंधनों से दूर मायावती और उनके दल की सांगठनिक स्थिति क्या है? जनपद गौतमबुद्धनगर उनका गृह जनपद है। बहिन जी का संबोधन भी उन्हें इसी जनपद से मिला। यह जनपद बनाने से लेकर इस जनपद को वर्तमान ऊंचाइयों तक पहुंचाने का श्रेय मायावती को ही है। परंतु आजकल बसपा के संगठन का कहीं अता-पता नहीं है।
भाजपा और समाजवादी पार्टी द्वारा अपने प्रत्याशी घोषित करने के बाद अब बसपा के प्रत्याशी की प्रतीक्षा है। उसके बाद ही चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का कोरम पूरा होगा। कौन कौन टिकटार्थी हैं और कौन प्रत्याशी होगा,यह जानने की उत्सुकता आम जनता से लेकर मीडियाकर्मियों तक को है। परंतु बताएगा कौन? पिछले दो दिनों से मीडियाकर्मी बसपा के जिलाध्यक्ष को खोज रहे हैं परंतु उसका नाम तक पता नहीं कर पा रहे हैं। क्या बसपा का प्रत्याशी ऐसे गायब हो चुके संगठन के दम पर चुनाव लड़ेगा? यही प्रश्न आजकल गौतमबुद्धनगर लोकसभा क्षेत्र के राजनीतिक हलके में शिद्दत से पूछा जा रहा है।