नई दिल्ली44 मिनट पहलेलेखक: मुकेश कौशिक
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सीमा से सटे इलाकों में बनी सड़कों की गुणवत्ता का मामला हो या आयुध के निर्माण में देरी का मुद्दा, ये विषय समय-समय पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्टों में उठाए गए हैं। अब संसद की महत्वपूर्ण लोकलेखा समिति ने रक्षा क्षेत्र से जुड़े ऐसे ही 10 से अधिक संवेदनशील मुद्दों की गहराई से पड़ताल करने का फैसला किया है। ताकि सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाले इन विषयों पर मंत्रालय के स्तर पर जवाब तलब किया जा सके।
लोकलेखा समिति की अध्यक्षता इस समय विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी के पास है। दोनों सदनों की इस संयुक्त समिति में 15 सदस्य लोकसभा से और 7 राज्यसभा से हैं। संसदीय समिति ने चीन की सरहद से लगी सड़कों के निर्माण की प्रगति की समीक्षा करने का फैसला किया है। भास्कर ने इस बारे में रक्षा मंत्रालय से ताजा स्थिति की जानकारी के लिए सम्पर्क किया।
मंत्रालय के रिकॉर्ड के अनुसार चीन से लगे सीमा क्षेत्र में इस समय 61 सड़कों पर काम चल रहा है। ये सड़कें अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में हैं। कुल मिलाकर 3323 किलोमीटर की सड़कें बननी हैं जिनमें से 2600 से अधिक किलोमीटर लम्बी सड़कें बन गई हैं। अब भी 677 किलोमीटर की सड़कें बननी बाकी हैं।
ऊंची चोटियों पर सैनिकों के राशन का मुद्दा भी उठेगा
लोकलेखा समिति ने दूसरा बड़ा मुद्दा सियाचिन या अन्य ऊंची चोटियों पर तैनात जवानों के विशेष कपड़ों पर और उन्हें मिलने वाले राशन का लिया है। इसे लेकर कैग ने भी अपनी आपत्तियां उठाई थीं।
समिति जिन अन्य मुद्दों की पड़ताल आने वाले समय में करने वाली है, वे हैं:
- धनुष तोपों में इस्तेमाल होने वाले गोलों के उत्पादन में देरी
- करीब डेढ़ दशक से अटकी इंडियन नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी की स्थापना में हो रही अत्यधिक देरी
- ओएफबी में बनने वाले गोलों में देरी
- डिफेक्टिव एम्युनिशन के रिप्लेसमेंट में 62 करोड़ रु का नुकसान कैसे हुआ
- नौसेना युद्धपोतों से जुड़े हादसे
- भारतीय तटरक्षक बल में ढांचागत निर्माण से जुड़ी परियोजनाओं की प्रगति
- स्वदेशी एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम के विकास की समीक्षा
- पनडुब्बी रोधी लम्बी दूरी के टोही विमान नौसेना में शामिल करने का मुद्दा।