Noida News: नोएडा के अस्पतालों तक पहुंची दिल्ली क्राइम ब्रांच की किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट की जांच, नोएडा के एक नामी प्राइवेट हॉस्पिटल का नाम आया सामने
नॉएडा, रफ़्तार टुडे। दिल्ली क्राइम ब्रांच द्वारा भारत और बांग्लादेश में चल रहे अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट की जांच अब नोएडा के प्रमुख अस्पतालों तक पहुंच गई है। दिल्ली पुलिस के सूत्रों के अनुसार, इस बड़े रैकेट के पर्दाफाश के बाद इसके तार अब नोएडा के दो बड़े अस्पतालों से जुड़ते नजर आ रहे हैं। इस मामले में दिल्ली पुलिस फिलहाल नोएडा पुलिस से आवश्यक जानकारी इकट्ठा कर रही है।
यथार्थ अस्पताल का नाम आया सामने
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के अपोलो अस्पताल के बाद अब नोएडा के यथार्थ अस्पताल का नाम इस प्रकरण में उभर कर आया है। हालांकि, यथार्थ अस्पताल ने इस मामले से खुद को अनजान बताते हुए कहा है कि आरोपी डॉक्टर विजया सिर्फ कंसल्टिंग या विजिटिंग डॉक्टर थीं और अस्पताल में केवल केस होने पर ही आती थीं। किंतु क्राइम ब्रांच के सूत्रों की माने तो अपोलो और यथार्थ अस्पताल में सैकड़ों अवैध किडनी ट्रांसप्लांट किए गए हैं।
आरोपी डॉक्टर विजया की संलिप्तता
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, नोएडा के इन अस्पतालों में किडनी प्रत्यारोपण डॉ. डी विजया कुमारी द्वारा किए गए हैं। वह अपने सहायक विक्रम के जरिए इस गिरोह के संपर्क में आई थीं और पिछले चार सालों से इस गिरोह के लिए काम कर रही थीं। विजया को जाली कागजात के आधार पर किए जा रहे अवैध कार्यों की पूरी जानकारी थी। पुलिस की जांच में यह महत्वपूर्ण मुद्दा है कि क्या यथार्थ अस्पताल प्रबंधन भी इस साजिश में शामिल था या नहीं।
यथार्थ अस्पताल की प्रतिक्रिया
यथार्थ अस्पताल का नाम सामने आने के बाद लोगों के बीच चर्चा हो रही है कि क्या ऐसा संभव है कि अस्पताल को कुछ भी पता न हो और सारे अवैध काम होते रहे हों। इससे पहले भी कोरोना काल के दौरान यथार्थ अस्पताल पर विभिन्न आरोप लगे थे, जिन्हें अस्पताल ने खारिज कर दिया था।
शेयर बाजार में गिरावट
यथार्थ अस्पताल का नाम इस रैकेट में सामने आने के बाद इसके शेयरों में 0.9% की गिरावट दर्ज की गई। शेयर 427.80 रुपये पर बंद हुआ, जबकि इससे पहले इसने 448 रुपये का स्तर भी छुआ था। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस मामले में जांच आगे बढ़ती है और अस्पताल की दोषी होने की संभावनाएं पाई जाती हैं, तो शेयर और भी गिर सकते हैं।
किडनी रैकेट का पर्दाफाश
16 जून को दिल्ली पुलिस को खुफिया सूत्रों से जानकारी मिली कि एक गैंग अवैध किडनी ट्रांसप्लांट के काले धंधे में शामिल है। इस सूचना के आधार पर एसीपी (आईएससी/क्राइम ब्रांच) के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। इस टीम ने जसोला गांव में छापेमारी की, जहां से चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इनकी पहचान रसेल, रोकोन, सुमन मियां और रतेश पाल के रूप में हुई। पूछताछ में इन आरोपियों ने तीन किडनी चाहने वालों और तीन डोनर्स की पहचान कराई। मामला पुख्ता होने पर चारों आरोपियों के खिलाफ कानून की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया।
इस मामले की जांच जारी है और इसमें और भी खुलासे होने की संभावना है। दिल्ली और नोएडा पुलिस की संयुक्त जांच से इस अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट के और भी गहरे रहस्य सामने आ सकते हैं।