Greater Noida News: किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए भाकियू का ट्रैक्टर मार्च, सरकार को दी चेतावनी, किसानो की तिरंगा यात्रा को पुलिस प्रशासन ने मौजर बियर गोल चक्कर पर रोक दिया
किसानों के इस मार्च ने राजधानी की सड़कों पर एक बार फिर सरकार को किसान समुदाय की ताकत और एकजुटता का एहसास कराया। अब देखना यह है कि सरकार उनकी मांगों पर कितना ध्यान देती है और कितनी तेजी से कार्रवाई करती है।
ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे: भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने आज अपनी मांगों और किसानों की समस्याओं को लेकर राज्य की राजधानी में एक बड़े ट्रैक्टर मार्च का आयोजन किया। इस मार्च का मुख्य उद्देश्य किसानों की समस्याओं पर प्रदेश और केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट करना था। भाकियू ने इस मार्च के माध्यम से सरकार को उनके द्वारा किए गए वायदों की याद दिलाई और साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि यदि इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो किसान समुदाय के साथ संघर्ष जारी रहेगा। किसानो की तिरंगा यात्रा को पुलिस प्रशासन ने मौजर बियर गोल चक्कर पर रोक दिया
मार्च के दौरान, भाकियू के नेताओं ने निम्नलिखित प्रमुख मांगों को उठाया:
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- एमएसपी गारंटी कानून: भाकियू ने केंद्र सरकार से एमएसपी गारंटी कानून को तुरंत लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का तीसरा कार्यकाल शुरू हो चुका है, ऐसे में किसानों की इस सबसे महत्वपूर्ण मांग को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
- स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट: किसानों ने केंद्र सरकार से स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि सी2+50 के फार्मूले के तहत फसलों के उचित लाभकारी मूल्य की गारंटी की जानी चाहिए।
- किसान आयोग का गठन: किसानों ने देश में एक स्वतंत्र किसान आयोग के गठन की मांग की, जो किसानों की समस्याओं का समाधान कर सके।
- गन्ने का उचित मूल्य: यूपी समेत अन्य राज्यों में गन्ने का भाव बढ़ाकर कम से कम 400 रुपये प्रति कुंतल किए जाने की मांग की गई। साथ ही गन्ना बकाया के डिजीटल भुगतान की तुरंत व्यवस्था किए जाने पर भी जोर दिया गया।
- मुफ्त बिजली: भाकियू ने सभी राज्यों में किसानों को मुफ्त बिजली दिए जाने की मांग की। उन्होंने यूपी में ट्यूबवेलों पर बिजली मीटर लगाने के निर्णय का विरोध किया और इसे तुरंत बंद करने की मांग की।
- छुट्टा पशुओं की समस्या: छुट्टा पशुओं की समस्या पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भाकियू ने ग्राम पंचायत स्तर पर सरकारी परती जमीनों पर अस्थाई पशुशालाओं के निर्माण की मांग की, ताकि किसानों को अपनी फसलों और जान-माल की सुरक्षा मिल सके।
- छोटी जोत के किसानों के लिए विशेष योजना: भाकियू ने छोटी जोत के किसानों के लिए अलग से योजना बनाए जाने की मांग की। उन्होंने कृषि ऋण को ब्याजमुक्त करने और किसान क्रेडिट कार्ड पर केवल 1% ब्याज दर लागू करने की मांग की।
- बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मुआवजा: किसानों ने बाढ़ से प्रभावित जिलों में फसल और जनहानि का तत्काल मुआवजा दिए जाने की मांग की।
- कृषि उद्योगों को दी जा रही सब्सिडी: खाद, बीज और कीटनाशकों पर दी जा रही सब्सिडी सीधे किसानों को दिए जाने की मांग की गई।
- जल संरक्षण और नदियों का जोड़ने की योजना: भाकियू ने जल संरक्षण के लिए नदियों को आपस में जोड़ने की योजना के विस्तार और वाटर रिचार्ज स्कीम को धरातल पर उतारने की मांग की।
भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ट्रैक्टर मार्च के दौरान कहा कि, “किसानों के हितों की रक्षा के लिए भारतीय किसान यूनियन किसी भी हद तक जाएगी। हम सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह हमारी मांगों पर जल्द से जल्द कार्रवाई करेगी, अन्यथा हमारा आंदोलन और तेज़ होगा।”
किसानों के इस मार्च ने राजधानी की सड़कों पर एक बार फिर सरकार को किसान समुदाय की ताकत और एकजुटता का एहसास कराया। अब देखना यह है कि सरकार उनकी मांगों पर कितना ध्यान देती है और कितनी तेजी से कार्रवाई करती है।
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