Hindenburg News: हिंडनबर्ग की धमाकेदार रिपोर्ट, सेबी चेयरपर्सन और अडानी के गुप्त संबंधों का पर्दाफाश, कैसे एक रिपोर्ट ने हिला दी भारतीय कॉर्पोरेट और नियामक दुनिया
हिंडनबर्ग रिसर्च की यह नई रिपोर्ट भारतीय कॉर्पोरेट और नियामक जगत में बड़ी हलचल मचाने वाली है। इस रिपोर्ट के खुलासों ने न केवल अडानी ग्रुप बल्कि सेबी की विश्वसनीयता पर भी गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सेबी और अडानी ग्रुप इस रिपोर्ट के आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या इस रिपोर्ट के बाद कोई कानूनी कार्रवाई होती है या नहीं।
दिल्ली, रफ्तार टुडे। भारतीय कॉर्पोरेट जगत में एक बार फिर भूचाल आया है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी नई रिपोर्ट के जरिए उन गहरे और गुप्त संबंधों का खुलासा किया है, जो अडानी ग्रुप और सेबी के शीर्ष अधिकारीयों के बीच मौजूद थे। पिछली बार अडानी ग्रुप के व्यापारिक तरीकों पर सवाल उठाने वाली हिंडनबर्ग ने इस बार सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को सीधे निशाने पर ले लिया है। यह रिपोर्ट न केवल अडानी ग्रुप बल्कि भारतीय मार्केट रेगुलेटर की भी साख पर सवाल उठा रही है, जिसने एक बार फिर से देश में चर्चा का माहौल गरमा दिया है।
सेबी चेयरपर्सन के पति के साथ अडानी का कनेक्शन: रिपोर्ट का बड़ा खुलासा
हिंडनबर्ग रिसर्च की इस नई रिपोर्ट ने सबसे पहले सेबी की मौजूदा चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि माधबी पुरी बुच के पति धवल बुच की कथित हिस्सेदारी उन ऑफशोर कंपनियों में थी, जिनका उपयोग अडानी ग्रुप ने अपने व्यापारिक साम्राज्य को फैलाने और अपने धन के हेरफेर के लिए किया था। हिंडनबर्ग का दावा है कि माधबी पुरी बुच ने सेबी चेयरपर्सन बनने से कुछ ही दिन पहले, अपने शेयर अपने पति के नाम पर ट्रांसफर कर दिए थे। यह सारे लेन-देन ऐसे समय में हुए जब वह 2017 से 2022 के बीच सेबी की होलटाइम मेंबर थीं।
धवल बुच का ब्लैकस्टोन में सीनियर एडवाइजर के रूप में नियुक्ति पर सवाल
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने इस बात को भी उजागर किया है कि 2019 में, धवल बुच को ब्लैकस्टोन में सीनियर एडवाइजर के रूप में नियुक्त किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, यह नियुक्ति बहुत ही संदिग्ध है, क्योंकि धवल बुच के पास रियल एस्टेट या कैपिटल मार्केट का कोई अनुभव नहीं था। उनके LinkedIn प्रोफाइल के अनुसार, उन्होंने अपने करियर का अधिकांश हिस्सा यूनिलीवर में चीफ प्रोक्योरमेंट ऑफिसर के तौर पर बिताया है। इस संदिग्ध नियुक्ति को लेकर हिंडनबर्ग ने सवाल उठाए हैं कि कहीं यह अडानी ग्रुप के लिए की गई फेवरिटिज्म का हिस्सा तो नहीं था?
सेबी की निष्क्रियता पर उठा सवाल: क्यों नहीं हुई 18 महीनों में कोई कार्रवाई?
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय मार्केट रेगुलेटर सेबी की निष्क्रियता पर भी कड़ा प्रहार किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ पिछले साल के खुलासे के बाद 18 महीने बीत चुके हैं, लेकिन सेबी ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। मॉरीशस में अडानी ग्रुप के काले धन के नेटवर्क की पूरी जानकारी मिलने के बावजूद, सेबी ने इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सेबी ने उल्टा हिंडनबर्ग पर ही कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया।
रिपोर्ट के बाद भारतीय कॉर्पोरेट जगत में मचा हड़कंप
हिंडनबर्ग रिसर्च की यह नई रिपोर्ट भारतीय कॉर्पोरेट और नियामक जगत में बड़ी हलचल मचाने वाली है। इस रिपोर्ट के खुलासों ने न केवल अडानी ग्रुप बल्कि सेबी की विश्वसनीयता पर भी गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सेबी और अडानी ग्रुप इस रिपोर्ट के आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या इस रिपोर्ट के बाद कोई कानूनी कार्रवाई होती है या नहीं।
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