फरीदाबादएक घंटा पहले
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- -निवेशकों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट पर उनका जो पैसा लगा था उसका अभी तक कोई भुगतान नहीं हुआ।
फेरस के निवेशकों को बिल्डर ने धमकी दी है कि मामला निपटा लो कुछ नहीं मिलेगा। उसकी इस धमकी के खिलाफ निवेशकों ने सेक्टर-70 में प्रदर्शन कर नारेबाजी की। निवेशकों ने कहा वे बिल्डर की शिकायत अब पुलिस कमिश्नर से करेंगे। निवेशकों का कहना है कि उनके कई करोड़ रुपए अभी तक वापस नहीं हुए है। जबकि फेरस मेगापोलिस सिटी का नाम बदलकर उक्त जमीन दूसरे बिल्डर को सौंप दी गई।
इस प्रोजेक्ट का नाम भी अब बदल दिया गया। अब प्लाट नए लोगों को बेचे जा रहे हैं। निवेशकों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट पर उका जो पैसा लगा था उसका अभी तक कोई भुगतान नहीं हुआ। निवेशकों ने कहा हाल ही में फरीदाबाद आए उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को भी इस मामले में गुमराह किया गया। फेरस के निवेशकों ने कहा कि उक्त प्रोजेक्ट के करोड़ों रुपए ठगने वाले बिल्डर ने दूसरे को उक्त जमीन बेच दी। अब नए बिल्डर ने इसका नाम भी बदल दिया।
अब इस बिल्डर ने दूसरे लोगों को प्लाट बेचकर तीस करोड़ से ज्यादा वसूल लिए हैं। जबकि पुराने लोगों को अभी तक पैसे नहीं मिले। निवेशकों ने कहा इस प्रोजेक्ट पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट एवं हरेरा का स्टे है। इसके बावजूद बिना लाइसेंस व बिना हरेरा रजिस्ट्रेशन के बिल्डर यहां प्लाटिंग कर हरियाणा सरकार को करोड़ों का चूना लगा रहा है।
कोर्ट के आदेश की अवमानना भी कर रहा। निवेशकों ने कहा कि फेरस सिटी का नाम बदल कर दूसरा कर दिया गया है। नया बिल्डर निवेशकों को खुलेआम धमकी दे रहा। निवेशक इसकी शिकायत अब पुलिस कमिश्नर से करेंगे। पऱ्दर्शन में धर्मपाल, राजेश कत्याल, रणवीर सिंह, रविंदर ओबेराय, विनय गौड़, ओपी शर्मा, मोहन सिंह आदि शामिल थे।
क्या है पूरा मामला:
ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-70 में 102 एकड़ में फेरस मेगापोलिस सिटी विकसित करनी थी। लगभग 10 साल पहले करीब 400 निवेशकों ने इस सिटी में प्लॉट के लिए निवेश किया। बड़े-बड़े सपने दिखा रिहायशी इलाके को विकसित करने वाले बिल्डर ने निवेशकों से करोड़ों रुपए ले लिए, लेकिन मौके पर निवेशकों को प्लाट नहीं दिए। यह जमीन दूसरे बिल्डर को बेच दी गई। अब इसका नाम बदल कर प्लाट दूसरों को बेचे जा रहे हैं। इस भूमि को खरीदने वालों ने इसका नाम ही बदल दिया है। पुराने निवेशकों को धमकाया जा रहा है। बिल्डर कह रहा जो पैसे दे रहे हैं लेना है तो ले लो नहीं कुछ नहीं मिलेगा। निवेशकों का कहना है कि अधिकारियों की मिलीभगत से यहां करोड़ों का खेल चल रहा है।