Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा में सैनिक स्कूल की स्थापना की मांग, युवाओं को मिलेगी सैन्य सेवाओं में करियर बनाने की राह: बबल भाटी
दादरी, रफ्तार टुडे। समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता बबल भाटी ने ग्रेटर नोएडा में सैनिक स्कूल की स्थापना की मांग को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि गौतमबुद्धनगर जैसे तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्र में सैनिक स्कूल की स्थापना से यहां के युवाओं को न केवल अनुशासन और देशभक्ति का पाठ पढ़ाया जाएगा, बल्कि उन्हें भविष्य में सैन्य सेवाओं में करियर बनाने के लिए प्रेरित भी किया जाएगा। बबल भाटी ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि सैनिक स्कूल न केवल शिक्षा का केंद्र होते हैं, बल्कि युवाओं के मन में राष्ट्रप्रेम और सेवा भावना का बीजारोपण करते हैं, जिससे वे देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार होते हैं।
सैनिक स्कूल की आवश्यकता और लाभ
बबल भाटी ने विस्तार से बताया कि सैनिक स्कूलों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य युवाओं को भारतीय सेना, नौसेना, और वायुसेना के लिए प्रशिक्षित करना है। देशभर में सैनिक स्कूलों के सफल मॉडल को देखते हुए, गौतमबुद्धनगर में भी एक सैनिक स्कूल की आवश्यकता महसूस हो रही है। उन्होंने कहा, “आज हमारे युवाओं में देश के प्रति जिम्मेदारी की भावना को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है, और सैनिक स्कूल ऐसा करने का एक आदर्श मंच है। यहां के युवा, जो भविष्य में देश की सेवा करने के इच्छुक हैं, उन्हें इस तरह की शिक्षा से काफी लाभ होगा।”
जन आंदोलनों और संगठनों का समर्थन
इस मांग को लेकर कई सामाजिक संगठनों ने भी समर्थन जताया है। आर्य प्रतिनिधि सभा के आनंद आर्य सहित कई जन आंदोलनों ने भी ग्रेटर नोएडा में सैनिक स्कूल की स्थापना की मांग का पुरजोर समर्थन किया है। उनका मानना है कि सैनिक स्कूल की स्थापना से क्षेत्र के युवाओं को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के साथ-साथ सैन्य सेवाओं में करियर बनाने का सुनहरा अवसर मिलेगा। इसके साथ ही, इससे राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय अखंडता को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय स्तर पर सैनिक स्कूलों का महत्व
भारत में 1961 से सैनिक स्कूलों की शुरुआत की गई थी, और तब से लेकर अब तक यह संस्थान देश को अनुशासित और देशभक्त युवाओं को तैयार कर रहे हैं। वर्तमान में, देशभर में 33 सैनिक स्कूल कार्यरत हैं, और भारत सरकार द्वारा 100 नए संबद्ध सैनिक स्कूल खोलने की योजना पर काम किया जा रहा है। यह योजना देश के प्रत्येक मंडल में कम से कम एक सैनिक स्कूल की स्थापना के उद्देश्य से लाई गई है, जिससे देशभर के युवाओं को सैन्य सेवाओं में योगदान देने का अवसर प्राप्त हो सके।
गौतमबुद्धनगर में सैनिक स्कूल क्यों आवश्यक है?
बबल भाटी के अनुसार गौतमबुद्धनगर जैसे बड़े औद्योगिक और शैक्षणिक केंद्र में सैनिक स्कूल की स्थापना यहां के युवाओं के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध हो सकती है। सैनिक स्कूल में पढ़ाई करने वाले युवा सिर्फ शैक्षणिक शिक्षा ही नहीं पाते, बल्कि उन्हें सैन्य अनुशासन, देशप्रेम और सामाजिक जिम्मेदारी के गुण भी सिखाए जाते हैं। इससे न केवल युवाओं का मानसिक और शारीरिक विकास होता है, बल्कि वे देश के प्रति समर्पित रहने के लिए भी प्रेरित होते हैं। इसके अलावा, गौतमबुद्धनगर में सैनिक स्कूल की स्थापना से यहां की शिक्षा व्यवस्था को भी एक नई दिशा मिलेगी, जो युवाओं को भविष्य के बेहतर अवसर प्रदान करेगी।
आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रमुख आनंद आर्य ने भी इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि सैनिक स्कूल का उद्देश्य युवाओं में देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देना और उन्हें देश सेवा के लिए प्रेरित करना है। उनका मानना है कि सैनिक स्कूल से युवाओं में अनुशासन और जिम्मेदारी की भावना प्रबल होती है, जो भविष्य में उन्हें एक बेहतर नागरिक बनाती है।
बबल भाटी की अपील
बबल भाटी ने गौतमबुद्धनगर प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश सरकार से अपील की है कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर जल्द से जल्द निर्णय लिया जाए, ताकि इस क्षेत्र के युवाओं को सैनिक स्कूल के माध्यम से एक बेहतर भविष्य मिल सके। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार युवाओं के भविष्य को लेकर बेहद संवेदनशील है, और मुझे पूरा विश्वास है कि गौतमबुद्धनगर में सैनिक स्कूल की स्थापना जल्द ही होगी। इससे न केवल हमारे क्षेत्र के युवा मजबूत और अनुशासित बनेंगे, बल्कि देश की सेवा करने के लिए तैयार भी होंगे।”
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