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Noida Airport Devlopment News : जेवर एयरपोर्ट के तीसरे और चौथे चरण की तैयारी, 2084 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होंगे 12 हजार परिवार, जानिए क्यों जरूरी है ये विस्तार, आखिर क्यों जरूरी है यह विशाल भूमि अधिग्रहण?

जेवर, रफ़्तार टुडे। ग्रेटर नोएडा के बहुप्रतीक्षित जेवर एयरपोर्ट का पहला चरण 17 अप्रैल से उड़ान भरने की तैयारी में है। एयरपोर्ट का यह प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश के औद्योगिक और आर्थिक विकास के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। अब एयरपोर्ट के तीसरे और चौथे चरण के विस्तार की योजना पर काम शुरू हो गया है, जिसके लिए 2084 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत 14 गांवों की भूमि का अधिग्रहण होगा, जिससे 12 हजार परिवार प्रभावित होंगे।

इस विस्तार में टर्मिनल बिल्डिंग-3 और नए रनवे का निर्माण शामिल है, जो न सिर्फ जेवर बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश को एक बड़ा औद्योगिक और परिवहन केंद्र बनाने के दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन इस अधिग्रहण के साथ ही बड़ी संख्या में लोग विस्थापित होंगे, जिनके लिए सरकार ने पुनर्वास योजनाओं पर विचार करना शुरू कर दिया है।

क्या है सोशल इंपैक्ट असेसमेंट (एसआईए) और क्यों है यह जरूरी?

किसी भी बड़े प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को सामाजिक प्रभावों का मूल्यांकन करने के लिए सोशल इंपैक्ट असेसमेंट (एसआईए) का मंजूर होना आवश्यक होता है। एसआईए के तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि न्यूनतम विस्थापन के आधार पर भूमि का अधिग्रहण किया जाए ताकि प्रभावित लोगों पर कम से कम असर हो। जेवर एयरपोर्ट के तीसरे और चौथे चरण के लिए आवश्यक भूमि अधिग्रहण की एसआईए रिपोर्ट को हाल ही में मंजूरी मिल गई है।

यह मंजूरी मिलने के बाद शासन स्तर से नोटिफिकेशन जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अब प्रशासन धारा-11 के तहत भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि भूमि अधिग्रहण के सभी पहलुओं का ध्यान रखा जाए और प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा और पुनर्वास सुविधाएं मिलें।

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आखिर क्यों जरूरी है यह विशाल भूमि अधिग्रहण?

जेवर एयरपोर्ट का तीसरा और चौथा चरण न केवल उत्तर भारत बल्कि देश के लिए भी आर्थिक विकास का एक बड़ा केंद्र बन सकता है। इस विस्तार के तहत टर्मिनल बिल्डिंग-3 और अन्य रनवे का निर्माण होगा, जिससे भविष्य में आने वाले यात्री यातायात का दबाव झेलने में एयरपोर्ट सक्षम हो सकेगा। साथ ही, इस प्रोजेक्ट के माध्यम से लाखों रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे, जिससे क्षेत्र के लोगों के जीवन स्तर में सुधार आएगा।

12 हजार परिवारों की जिंदगी पर असर

इस भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के कारण 14 गांवों के लगभग 12 हजार परिवार प्रभावित होंगे। इनमें से 8 हजार से अधिक परिवारों को विस्थापन का सामना करना पड़ेगा। 2084 हेक्टेयर में से लगभग 1888 हेक्टेयर जमीन किसानों की है, जबकि शेष सरकारी जमीन है। यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण करने से स्थानीय निवासियों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। इन परिवारों के पुनर्वास और मुआवजा देने के लिए प्रशासन ने विशेष योजना बनाई है, ताकि उनका जीवन यापन सुचारु रूप से चल सके।

पहले चरण का संचालन जल्द ही शुरू होगा

जेवर एयरपोर्ट के पहले चरण का संचालन 17 अप्रैल से शुरू होने जा रहा है। इस चरण के तहत एयरपोर्ट के सभी आवश्यक सुविधाओं का परीक्षण 30 नवंबर से शुरू होगा। इससे पहले, दूसरे चरण के लिए 1365 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण लगभग पूरा हो चुका है, जिसमें 4 हजार करोड़ रुपये मुआवजे के रूप में प्रभावित किसानों में वितरित किए गए हैं।

यह भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है, और एयरपोर्ट का पहले चरण का उद्घाटन जल्द ही होने की उम्मीद है। यह एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण परिवहन और आर्थिक केंद्र बनकर उभर रहा है।

जेवर एयरपोर्ट: उत्तर प्रदेश के आर्थिक भविष्य की उड़ान

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से इस विशाल प्रोजेक्ट के माध्यम से राज्य के आर्थिक और औद्योगिक विकास को नया आयाम देने का प्रयास किया जा रहा है। जेवर एयरपोर्ट न केवल क्षेत्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी एक प्रमुख हब के रूप में उभर सकता है। इस एयरपोर्ट के माध्यम से राज्य को विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी, जिससे राज्य की आर्थिक सेहत में सुधार होगा और रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे।

जेवर एयरपोर्ट का यह विस्तार न सिर्फ एक परियोजना बल्कि एक सपने की तरह है, जो उत्तर प्रदेश को विकास की नई ऊँचाइयों तक ले जाने में सहायक सिद्ध होगा। इसके माध्यम से राज्य का कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर भी मजबूत होगा, जिससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होंगी।


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