गौतमबुद्ध नगरग्रेटर नोएडा वेस्टराजनीति

Jila Panchayat News : नोएडा में पंचायती राज का भविष्य संकट में!, दादरी और जेवर के औद्योगिक विकास ने चुनावी तस्वीर को धुंधला किया, जेवर एयरपोर्ट और न्यू नोएडा, पंचायत चुनावों पर भारी पड़ रहे विकास कार्य

गौतमबुद्ध नगर, रफ़्तार टुडे। गौतमबुद्ध नगर में पंचायत चुनावों का आयोजन होगा या नहीं, इस पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। जेवर एयरपोर्ट, न्यू नोएडा, और औद्योगिक विकास के लिए बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण के चलते कई गांवों की पंचायतें शहरी क्षेत्रों में शामिल होने वाली हैं। ऐसे में, जिले में पंचायती राज व्यवस्था का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है।

जेवर एयरपोर्ट और न्यू नोएडा: पंचायत चुनावों पर भारी पड़ रहे विकास कार्य

जिले में जेवर एयरपोर्ट परियोजना के लिए 12 गांवों की जमीन पहले ही अधिग्रहित की जा चुकी है। 14 अन्य गांवों में अधिग्रहण प्रक्रिया चल रही है, जबकि 15 गांवों के लिए नई अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके अलावा, न्यू नोएडा बसाने के लिए दादरी ब्लॉक के गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। इन गांवों के औद्योगिक टाउनशिप में शामिल होने के बाद, ये क्षेत्र शहरी घोषित हो जाएंगे।

क्यों मुश्किल हो गया है पंचायत चुनाव कराना?

गौतमबुद्ध नगर में उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम, 1976 के तहत नोएडा, ग्रेटर नोएडा, और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र औद्योगिक विकास के लिए अधिसूचित हैं। यह अधिनियम पंचायत चुनावों को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।

जेवर और दादरी ब्लॉक के 60 से अधिक गांवों को औद्योगिक टाउनशिप में शामिल करने की योजना है। इन गांवों के शहरी क्षेत्र घोषित होने के बाद पंचायत चुनाव कराना संभव नहीं होगा। 2021 में जिले में सिर्फ 82 ग्राम पंचायतों और 5 जिला पंचायत वॉर्डों के लिए चुनाव हुए थे, लेकिन अब इनकी संख्या और घटने की संभावना है।

उम्मीदवारों को लगेगा झटका

पंचायती राज चुनावों की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को बड़ा झटका लग सकता है। कई उम्मीदवार पहले से अपने क्षेत्रों में पोस्टर, होर्डिंग्स, और बैनर लगाकर प्रचार में जुट गए हैं। चुनाव न होने की स्थिति में उनके प्रयासों पर पानी फिर सकता है।

क्षेत्र के लोग भी इस अनिश्चितता से परेशान हैं, क्योंकि यह उनकी भागीदारी को सीमित कर देगा।

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पंचायती राज का इतिहास, एक नजर में

गौतमबुद्ध नगर का गठन 1997 में हुआ था। उस समय जिले में चार ब्लॉक (बिसरख, दादरी, दनकौर, और जेवर) थे। 2000 में परिसीमन के बाद जिले में 423 गांव, 277 ग्राम पंचायत, और 15 जिला पंचायत वॉर्ड थे।

2015 में औद्योगिक विकास के लिए अधिग्रहित गांवों में पंचायतें समाप्त कर दी गईं। 2021 के चुनाव में केवल 82 ग्राम पंचायत और 5 जिला पंचायत वॉर्ड ही बचे थे।

औद्योगिक विकास बनाम ग्रामीण विकास: दोहरी चुनौती

नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे शहरी क्षेत्रों में औद्योगिक विकास के कारण पंचायत चुनावों की प्रासंगिकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। औद्योगिक विकास ने रोजगार और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों की स्वायत्तता पर इसका असर पड़ रहा है।

पंचायत चुनावों के न होने से ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं को उठाने का प्लेटफॉर्म खत्म हो सकता है।

रफ़्तार टुडे का विश्लेषण

गौतमबुद्ध नगर में पंचायती राज व्यवस्था का संकट सिर्फ एक प्रशासनिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण और शहरी विकास के बीच संतुलन का सवाल भी है। जब तक सरकार इस पर स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं देती, तब तक इस मुद्दे पर अनिश्चितता बनी रहेगी।

प्रमुख सवाल

  1. क्या औद्योगिक विकास पंचायत चुनावों के लिए सही दिशा है?
  2. ग्रामीण क्षेत्रों की भागीदारी कैसे सुनिश्चित की जाएगी?
  3. क्या पंचायत चुनावों की जगह कोई वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जाएगी?

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