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Sharda University News : शारदा विश्वविद्यालय में 27वीं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ, 6जी तकनीक और नवाचारों पर केंद्रित चर्चा

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे। शारदा विश्वविद्यालय में आईईईई (Institute of Electrical and Electronics Engineers) की 27वीं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य शुभारंभ हुआ। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया। इस संगोष्ठी का मुख्य विषय “वायरलेस पर्सनल मल्टीमीडिया कम्युनिकेशन और सिक्योर 6जी – एआई नेक्सस” रहा, जिसमें 6जी तकनीक और इसके संभावित अनुप्रयोगों पर गहन चर्चा की गई।

मुख्य अतिथियों की उपस्थिति

कार्यक्रम में उद्घाटन समारोह के दौरान निम्न प्रमुख हस्तियां उपस्थित रहीं:

  1. प्रो. रामजी प्रसाद – सीटीआईएफ (CTIF) के संस्थापक निदेशक और जीआईएसएफआई (GISFI) के संस्थापक अध्यक्ष।
  2. एस.के. मारवाह – वैज्ञानिक-जी और इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के समूह समन्वयक।
  3. डॉ. शिंगो ओमोरी – संचार अनुसंधान प्रयोगशाला, जापान के सलाहकार बोर्ड अध्यक्ष।
  4. डॉ. दिलीप कृष्णस्वामी और नीली रश्मि प्रसाद – सीटीआईएफ के विशेषज्ञ।
  5. विश्वविद्यालय के प्रो चांसलर वाई.के. गुप्ता और वाइस चांसलर डॉ. सिबाराम खारा

6जी तकनीक पर भारत का विज़न

एस.के. मारवाह ने बताया कि भारत 5जी तकनीक की सफलता के बाद 6जी तकनीक के विकास की दिशा में अग्रसर है। 6जी प्रौद्योगिकी नवाचार समूह (TIG-6G) के तहत, भारत ने “6जी विज़न 2030” तैयार किया है।

इस योजना का उद्देश्य सुरक्षित, बुद्धिमान, और व्यापक कनेक्टिविटी वाली 6जी तकनीक का विकास और कार्यान्वयन करना है। 6जी तकनीक अल्ट्रा-लो लेटेंसी और 1 टेराबिट प्रति सेकंड तक की गति प्रदान करेगी, जो इसे वैश्विक डिजिटल क्रांति में एक महत्वपूर्ण कदम बनाएगा। यह तकनीक स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, और औद्योगिक क्षेत्रों में भी अभूतपूर्व परिवर्तन लाएगी।

डॉ. शिंगो ओमोरी का वक्तव्य

डॉ. शिंगो ओमोरी ने शारदा विश्वविद्यालय की अद्वितीय सुविधाओं की सराहना करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय शीघ्र ही वैश्विक स्तर पर अग्रणी संस्थानों में स्थान बनाएगा। उन्होंने बताया कि भारत में 6जी तकनीक पर 10 से अधिक पेटेंट विकसित किए जा रहे हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेंगे।

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6जी तकनीक के लाभ

प्रो चांसलर वाई.के. गुप्ता ने कहा कि 6जी तकनीक 5जी की तुलना में अधिक उच्च आवृत्तियों पर काम करेगी और इससे: डिजिटल उपकरणों की क्षमता और सरलता में वृद्धि होगी।

पैरामेडिकल, शिक्षकों, और कृषि विशेषज्ञों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में न्यूनतम उपकरणों के साथ सेवाएं प्रदान करना संभव होगा। गांवों के पारिस्थितिक तंत्र को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 6जी विज़न

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 6जी विज़न की भी चर्चा हुई, जिसमें भारत को 6जी तकनीक के डिजाइन, विकास, और कार्यान्वयन में अग्रणी बनाने की प्रतिबद्धता जताई गई।

उल्लेखनीय उपस्थितियां

कार्यक्रम में शारदा विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें: वाइस चांसलर डॉ. सिबाराम खारा। प्रो वाइस चांसलर डॉ. परमानंद। रजिस्ट्रार डॉ. विवेक गुप्ता। डीन रिसर्च डॉ. भुवनेश कुमार। पीआर डायरेक्टर डॉ. अजीत कुमार। साथ ही विभिन्न विभागों के डीन, एचओडी, और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

निष्कर्ष

शारदा विश्वविद्यालय में आयोजित इस संगोष्ठी ने 6जी तकनीक की संभावनाओं पर गहन चर्चा का मार्ग प्रशस्त किया। यह आयोजन भारत को तकनीकी नवाचार में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।


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