Jila Bar Association In Kisan Favour : किसानों के हक में बार एसोसिएशन का सशक्त कदम, न्यायिक कार्य से दूर रहकर किया विरोध प्रदर्शन, किसानों की जमीन और अधिकारों पर सवाल
गौतमबुद्धनगर, रफ्तार टुडे। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण की कथित दमनकारी नीतियों के खिलाफ किसानों के समर्थन में जिले की जनपद दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन ने बड़ा कदम उठाया। 10 दिसंबर 2024 को हुई बार एसोसिएशन की बैठक में अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य से दूर रहकर प्रशासन के खिलाफ अपना विरोध जताया।
बैठक की अध्यक्षता अध्यक्ष उमेश भाटी देवटा ने की और संचालन सचिव धीरेन्द्र भाटी साकीपुर ने किया। इस दौरान किसानों के उत्पीड़न, जबरन जमीन कब्जाने और उचित मुआवजा न देने जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।
किसानों की जमीन और अधिकारों पर सवाल
बैठक में अधिवक्ताओं ने प्रस्ताव पारित कर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना विकास प्राधिकरण की नीतियों की कड़ी आलोचना की। यह दावा किया गया कि प्राधिकरण ने गरीब किसानों की जमीनों पर कब्जा करने के साथ उन्हें उनका उचित मुआवजा और आबादी प्लॉट देने से इनकार कर दिया।
अध्यक्ष उमेश भाटी ने कहा,
“प्रशासन की दमनकारी नीतियों ने किसानों को न्याय से वंचित कर दिया है। यह केवल किसानों पर अन्याय नहीं है, बल्कि लोकतंत्र के खिलाफ भी है। अधिवक्ता समाज इस अन्याय के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराएगा।”
सचिव धीरेन्द्र भाटी ने कहा,
“किसानों की जमीनें उनके जीवन का आधार हैं। यदि उनकी मांगों को अनसुना किया गया तो अधिवक्ता समाज उग्र कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।”
गिरफ्तारी पर आक्रोश
बैठक में किसानों और कुछ अधिवक्ताओं की गिरफ्तारी पर रोष व्यक्त किया गया। अधिवक्ताओं ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों को जबरन गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया है।
सचिव धीरेन्द्र भाटी ने कहा,
“हम प्रशासन से मांग करते हैं कि गिरफ्तार किसानों और अधिवक्ताओं को तुरंत रिहा किया जाए। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो बार एसोसिएशन आगे की रणनीति तय करेगा।”
न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय
किसानों के समर्थन में बार एसोसिएशन ने आज न्यायिक कार्य से पूरी तरह दूर रहने का निर्णय लिया। अधिवक्ताओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि यदि गिरफ्तार किसानों को जल्द रिहा नहीं किया गया तो यह विरोध और व्यापक रूप ले सकता है।
जनपद न्यायाधीश को भेजा गया ज्ञापन
बैठक में लिए गए निर्णय की प्रतिलिपि जनपद न्यायाधीश को भेजी गई। इसमें किसानों के पक्ष में अधिवक्ताओं की एकजुटता और प्रशासन की कथित दमनकारी नीतियों पर चिंता व्यक्त की गई है।
एकजुट अधिवक्ता समाज ने बढ़ाया किसानों का हौसला
इस बैठक ने जिले में किसान आंदोलन को नया बल दिया है। अधिवक्ताओं के इस कदम से प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है। किसानों ने भी अधिवक्ताओं की इस एकजुटता का स्वागत किया है।
किसान नेता रामपाल सिंह ने कहा,
“अधिवक्ताओं का समर्थन हमें नई ऊर्जा देता है। अब हमारा संघर्ष और मजबूत होगा।”
आगे की रणनीति पर विचार
बार एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि यदि प्रशासन ने जल्द ही किसानों की मांगों को नहीं माना तो अधिवक्ता समाज जिला स्तर पर बड़े विरोध प्रदर्शन करेगा। साथ ही, किसानों की लड़ाई को उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की योजना बनाई जा रही है।
प्रशासन के लिए चुनौती
अधिवक्ता समाज की इस एकजुटता और न्यायिक कार्य से दूर रहने के निर्णय ने प्रशासन के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस विरोध के बाद क्या कदम उठाता है।
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