Jalpura Bhumafia News : CM योगी आदित्यनाथ से उम्मीद, सरकारी जमीन पर भू-माफिया का कब्जा, जलपुरा गांव में भ्रष्टाचार और अनदेखी का पर्दाफाश, पटवारी पर गंभीर आरोप लगाया किसान ने सरकारी जमीन का सौदा और रिश्वतखोरी, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ से उम्मीद, 13 साल पुराने बैनामे का खेल, जांच प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी,
ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे। गौतमबुद्ध नगर के जलपुरा गांव में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे और लेखपाल राकेश नागर की भूमिका से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। ग्रामीणों का दावा है कि लगभग 300 बीघा सरकारी जमीन भू-माफिया और प्रशासन की मिलीभगत से कब्जाई गई है। इस मामले ने प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर कर दिया है।
पटवारी पर गंभीर आरोप: सरकारी जमीन का सौदा और रिश्वतखोरी
ग्रामीणों के अनुसार लेखपाल राकेश नागर ने सरकारी जमीन को अवैध कब्जा मुक्त कराने के बजाय खुद इस जमीन का सौदा करने का काम शुरू कर दिया। आरोप है कि उन्होंने लोटस विला प्रोजेक्ट के मालिक से मोटी रकम वसूली है। यही नहीं, केसी पब्लिक स्कूल और अन्य संस्थानों से भी धन उगाही के गंभीर आरोप लगे हैं।
लेखपाल पर आरोप है कि उन्होंने उच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद सरकारी जमीन को अवैध कब्जा मुक्त करने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया। इसके विपरीत, उन्होंने कथित तौर पर इस संपत्ति को निजी लाभ के लिए भू-माफिया के साथ मिलकर बेचना शुरू कर दिया।
13 साल पुराने बैनामे का खेल, जांच प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी
ग्रामीणों का कहना है कि जलपुरा गांव की खसरा संख्या 531 की सरकारी जमीन पर कब्जा 13 साल पुराने बैनामे के आधार पर किया गया। यह कब्जा बिना सत्यापन, बिना सक्षम न्यायालय की अनुमति और बिना नोटिस जारी किए किया गया। लेखपाल ने इस मामले में पड़ोसी पक्षकारों को सूचित किए बिना एकतरफा कार्यवाही की।
मूल काश्तकार और प्रभावित पक्षकारों का कहना है कि लेखपाल ने न केवल सरकारी जमीन पर कब्जा करने की अनुमति दी, बल्कि इससे जुड़े दस्तावेजों की भी जांच नहीं की।
प्रशासनिक विफलता: बार-बार टली कार्रवाई
इस मामले में तहसील, ऑथोरिटी और पुलिस प्रशासन ने कई बार सरकारी जमीन का सीमांकन और पैमाइश करने की कोशिश की, लेकिन हर बार पर्याप्त पुलिस बल की कमी का हवाला देकर कार्रवाई को टाल दिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि यह सब भू-माफिया और प्रशासन की मिलीभगत के कारण हुआ।
ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले लोगों को स्थानीय पुलिस और लेखपाल का पूरा समर्थन मिला हुआ है।
ग्रामीणों की मांग: निष्पक्ष जांच और कार्रवाई
इस पूरे प्रकरण को लेकर ग्रामीणों और मूल काश्तकारों ने जिलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर को पत्र लिखकर निम्नलिखित मांगें की हैं:
- खसरा संख्या 531 की सरकारी जमीन पर किए गए अवैध कब्जे की निष्पक्ष जांच।
- लेखपाल राकेश नागर को तत्काल निलंबित कर उनके खिलाफ एंटी करप्शन सेल से जांच।
- भू-माफिया और पुलिस की मिलीभगत का पर्दाफाश।
- सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराकर उसे रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए।
भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें: अन्य गांव भी प्रभावित
ग्रामीणों का आरोप है कि यह मामला केवल जलपुरा गांव तक सीमित नहीं है। लेखपाल राकेश नागर पर हल्दौनी, ककराला, और खवासपुर गांवों में भी इसी तरह की जमीनों पर अवैध कब्जा कराने का आरोप है। यह भी बताया गया है कि लेखपाल ने अपने कार्यकाल के दौरान करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उम्मीद
ग्रामीणों को उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा के लिए दिए गए निर्देशों के तहत जल्द ही इस मामले में ठोस कार्रवाई की जाएगी। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो सरकारी जमीन पर कब्जे का यह खेल और बढ़ सकता है।
प्रशासन के लिए चुनौती: कानून व्यवस्था पर उठे सवाल
यह मामला प्रशासनिक कार्यप्रणाली और कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन इस गंभीर मामले में कितनी तत्परता दिखाते हैं और सरकारी संपत्ति को बचाने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
जब फोन ओर व्हाट्सअप किया गया तो फोन और रिप्लाई नहीं किया लेखपाल ने, बड़े-बड़े राजनेताओं और अधिकारियों से लगा रहे है सिफारिश ख़बर ना लिखने की, हमने पूछे थे लेखपाल महोदय से 5 सवाल
सवाल नंबर 1 👇
क्या जलपूरा क्षेत्र आपके पास है , यदि आपके पास है तो आपका कार्यकाल इस क्षेत्र पर कितने समय से चल रहा है ।
सवाल नंबर 2 👇
जलपुरा गांव के खसरा संख्या 531 की भूमि में खतौनी के आधार पर और मौके पर मूल काश्तकार का नाम अनिल पुत्र भूले है या नहीं ।
सवाल नंबर 3 👇
जलपुरा में खसरा नंबर 531 संबंधी आईजीआरएस का निस्तारण राजस्व की टीम एवं पुलिस की मौजूदगी में काश्तकार खातेदार को कोई नोटिस दिया गया और मौके पर अवैध कब्जा संबंधी सत्यापन किस आधार पर और किसके आदेश पर किया गया
सवाल नंबर 4 👇
लेखपाल महोदय आपके द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट सही है तो आपके उच्च अधिकारियों ने जांच की पुष्टि अपनी सहमति / स्वीकार्यता क्यों नहीं दी ।
सवाल नंबर 5 👇
आपने अपनी जांच रिपोर्ट दिनांक 19 दिसंबर 2024 को वर्ष 2011 के बैनामा और वर्ष 2024 का बैनामा वास्तविक विलेख के रूप में किस आधार पर तय किया कि वर्ष 2013 का बैनामा सही है ।
क्या बैनामा अपने हिस्से से अधिक किया गया था 2024 वाला या बेनामाओं की चतुर्थ सीमा दोनों में से किसी की मेल खा रही थी या आपने अपने स्तर से ही सभी मानक तय करके फाइनल रिपोर्ट दी थी ।
या फिर ग्राम समाज की जमीन पर अवैध कब्जा था, जिसका आपको पूर्ण अधिकार है अवैध कब्जे पर कार्यवाही या वैध कब्जे की पुष्टि करने का ।
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