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BJP Organisation News : गौतमबुद्ध नगर में भाजपा जिला अध्यक्ष पद पर दलित नेता क्यों नहीं? धर्मेंद्र कोरी का नाम चर्चा में, क्या इस बार टूटेगी परंपरा?, क्या दलित अध्यक्ष बनाकर भाजपा देगी सपा और बसपा ओर कांग्रेस को जवाब?

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। गौतमबुद्ध नगर जिले में भाजपा जिला अध्यक्ष पद को लेकर कयास और चर्चाओं का दौर गर्म है। अब तक इस पद पर कभी भी दलित समाज से किसी नेता को मौका नहीं दिया गया है, लेकिन इस बार धर्मेंद्र कोरी का नाम सबसे आगे है। क्या भाजपा इस बार इतिहास बदलने का साहस दिखाएगी?

दलित नेतृत्व का अभाव: क्या है भाजपा की रणनीति?

गौतमबुद्ध नगर जैसा महत्वपूर्ण जिला, जो राजधानी दिल्ली से सटा हुआ है, राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम है। भाजपा ने जिले में कई बार संगठनात्मक बदलाव किए हैं, लेकिन अब तक किसी दलित नेता को जिला अध्यक्ष पद पर नहीं बिठाया गया।
यह सवाल उठता है कि जब पार्टी “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” का नारा देती है, तो दलित समाज के प्रतिनिधित्व की कमी क्यों है?

धर्मेंद्र कोरी: दलित समाज की उम्मीदों का चेहरा

धर्मेंद्र कोरी भाजपा के एक कर्मठ और समर्पित नेता हैं, जो पार्टी की जमीनी नीतियों को मजबूती से लागू करते रहे हैं।

स्थानीय अनुभव: कोरी को क्षेत्र की समस्याओं और पार्टी संगठन की बेहतरीन समझ है।

संगठन में सक्रिय भूमिका: उन्होंने लगातार संगठन के हित में काम किया है और हर वर्ग के बीच अपनी पहचान बनाई है।

समाज का जुड़ाव: उनकी नियुक्ति से दलित समाज में एक सकारात्मक संदेश जाएगा और भाजपा को नई ताकत मिलेगी।

क्या दलित अध्यक्ष बनाकर भाजपा देगी सपा और बसपा को जवाब?

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) मॉडल और बहुजन समाज पार्टी की रणनीतियां भाजपा के लिए चुनौती बनी हुई हैं।

  1. सपा का PDA मॉडल: पिछड़ों और दलितों को जोड़ने की सपा की कोशिश भाजपा के लिए नई चुनौती है।
  2. बसपा और भीम आर्मी का प्रभाव: दलित समाज के एकजुट होने की संभावनाएं भाजपा के लिए खतरा बन सकती हैं।
  3. भाजपा की राह: अगर भाजपा धर्मेंद्र कोरी जैसे नेता को जिला अध्यक्ष बनाती है, तो यह सिर्फ एक नियुक्ति नहीं, बल्कि सपा, भीम आर्मी और बसपा को राजनीतिक जवाब होगा।
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गौतमबुद्ध नगर में दलित नेतृत्व की आवश्यकता क्यों?

गौतमबुद्ध नगर जिले में दलित समाज की आबादी अच्छी-खासी है, लेकिन अब तक उन्हें नेतृत्व का मौका नहीं दिया गया।

राजनीतिक संतुलन: एक दलित अध्यक्ष से पार्टी को सभी वर्गों का समर्थन मिलेगा।

सामाजिक संदेश: भाजपा का यह कदम “समरसता” और “सबका साथ” के संदेश को मजबूत करेगा।

जमीनी मजबूती: धर्मेंद्र कोरी जैसे नेता जमीनी स्तर पर पार्टी को और संगठित करेंगे।

भाजपा कार्यकर्ताओं की राय

पार्टी के कार्यकर्ताओं का भी मानना है कि इस बार किसी दलित नेता को मौका दिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि धर्मेंद्र कोरी जैसे नेता को नेतृत्व देने से पार्टी को दलित समाज का भरोसा और समर्थन मिलेगा।

पार्टी नेतृत्व का फैसला:

फैसला पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को लेना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस बार अपने पुराने ढर्रे को बदलकर इतिहास रचती है या नहीं।


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