नई दिल्ली13 घंटे पहले
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टैक्स चोरी के खेल में कारोबारियों ने अपने नौकर से लेकर स्टोर कीपर तक को कंपनी एवं फर्म का मालिक बना दिया। हैरत की बात यह है कि नौकर को पता ही नहीं था कि उसके नाम पर फर्म चल रही है और उसका करोड़ों रुपये का टर्नओवर है। केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर विभाग की तरफ से की गई कार्रवाई में अभी तक कई ऐसी फर्म पकड़ी गई है जिनके असल स्वामी कारोबारी के यहां पर काम करने वाले चौकीदार या सफाईकर्मी थे। बीते दो वर्ष में टैक्स चोरी के ऐसे मामलों में 27 लोगों की गिरफ्तार की गई है। इनमें से तीन की गिरफ्तारी चालू वित्तीय वर्ष में अब तक की गई है।
जांच के दौरान टीम ने पाया कि बोगस (फर्जी) फर्म बनाकर आपस में सामान की खरीद-बिक्री दिखाई गई। इन बोगस फर्मों का मालिक असल में कारोबारी नहीं बल्कि उनके यहां काम करने वाले नौकर थे। इसी वर्ष जनवरी में बुद्ध विहार में अवैध तरीके से चलने वाली गुटखा फैक्टरी को पकड़ा था। छापे के वक्त करीब 830 करोड़ की टैक्स चोरी पकड़ी गई थी लेकिन उसके बाद भी विभाग ने जांच जारी रखी। उन कंपनियों की जांच कराई गई जिन्हें उसकी तरफ से गुटखा व अन्य सामान सप्लाई किया जा रहा था।
करीब तीन महीने की जांच के बाद पता चला कि जिन फर्म को सामान सप्लाई किया जा रहा है वो भी फर्जी दस्तावेज पर संचालित है। कई फर्म नौकरों के आधार व पैनकार्ड पर पंजीकृत थीं। जबकि पंजीकरण में मोबाइल नंबर किसी दूसरे व्यक्ति का था। नौकर का पता न चले इसलिए बैंक में भी खुलवाए गए खाते में नौकर की जगह किसी दूसरे व्यक्ति का नंबर दिया गया था। बताया जा रहा है कि नौकर को तनख्वाह देते वक्त एक पेपर और चेक पर हस्ताक्षर कराए जाते थे। जबकि उसे सैलरी का भुगतान कैश में किया जाता है।
दरअसल चेक पर कराए गए हस्ताक्षर से फर्जी दस्तावेज पर तैयार फर्म का ट्रांजेक्शन किया जाता था। बीते वित्तीय वर्ष में दिल्ली जीएसटी जोन में 4300 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स चोरी को पकड़ा गया था। इसी तरह से बीते महीने लक्ष्मी नगर में एक फर्मी में 143 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स चोरी पकड़ी गई। इस फर्म से जुड़ी तीन फर्मों के असल मालिक दूसरे थे जबकि फर्म चलाने वाले नौकरों को पता ही नहीं था कि उनके नाम पर कोई फर्म भी पंजीकृत है।