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Corruption Free India News : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ गरजा किसानों का गुस्सा, करप्शन फ्री इंडिया संगठन ने पैदल मार्च निकालकर दी आर-पार की चेतावनी!

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे।
ग्रेटर नोएडा के किसानों और बेरोजगार युवाओं के हक की लड़ाई अब तेज होती जा रही है। करप्शन फ्री इंडिया संगठन के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को प्राधिकरण मुख्यालय तक पैदल मार्च निकालकर निजी अस्पतालों, स्कूलों और उद्योगों में किसानों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने विप्रो गोलचक्कर से प्राधिकरण मुख्य द्वार तक नारेबाजी करते हुए किसानों के अधिकारों की बहाली और लीज शर्तों के पालन की मांग की।

प्रदर्शन के बाद संगठन के जिलाध्यक्ष प्रेम प्रधान के नेतृत्व में एसडीएम जितेंद्र गौतम और ओएसडी नवीन कुमार को ज्ञापन सौंपा गया। संगठन के संस्थापक चौधरी प्रवीण भारतीय एवं मास्टर दिनेश नागर ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि किसानों के अधिकार 21 दिनों के भीतर बहाल नहीं किए गए, तो इस बार आर-पार की लड़ाई होगी।


क्या है किसानों की मुख्य समस्या?

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने शहर में अस्पतालों, स्कूलों और औद्योगिक इकाइयों को सस्ती दरों पर बड़े पैमाने पर भूखंड आवंटित किए थे। लेकिन, इसके बदले में लीज डीड के तहत प्राधिकरण ने कई शर्तें लगाई थीं, जिनका पालन अब तक नहीं किया गया है।

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करप्शन फ्री इंडिया संगठन ने पैदल मार्च निकालकर दी आर-पार की चेतावनी

💠 शिक्षा: स्थानीय किसानों के बच्चों को स्कूलों में 25% फीस छूट दी जानी थी, लेकिन आज तक उन्हें इसका लाभ नहीं मिला।
💠 स्वास्थ्य: प्राइवेट अस्पतालों को सुबह-शाम 2 घंटे की मुफ्त ओपीडी सेवा किसानों के लिए उपलब्ध करानी थी, लेकिन अस्पताल मनमानी कर रहे हैं।
💠 रोजगार: औद्योगिक इकाइयों में 40% नौकरियां स्थानीय युवाओं को मिलनी थीं, लेकिन बाहरी लोगों को रोजगार देकर किसानों को बेरोजगार किया जा रहा है।
💠 गरीबों का इलाज: अस्पतालों में गांवों के 10% गरीब मरीजों का निशुल्क इलाज होना चाहिए था, लेकिन यह सुविधा नहीं मिल रही।

चौधरी प्रवीण भारतीय ने कहा कि यह किसान अपनी ही जमीन पर पराए बना दिए गए हैं। जो वादे और शर्तें लीज डीड में दर्ज हैं, उन्हें लागू करवाना अब किसानों का मकसद बन गया है।


किसानों का धैर्य जवाब देने लगा, उग्र आंदोलन की तैयारी!

करप्शन फ्री इंडिया संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि अगर 21 दिनों में किसानों के हक की बहाली नहीं हुई, तो आंदोलन और बड़ा होगा।

🔸 प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह अन्याय अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
🔸 यदि सरकार और प्राधिकरण ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो वे सड़क पर उतरकर आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर होंगे।
🔸 किसानों ने चेतावनी दी कि जरूरत पड़ी, तो वे प्राधिकरण कार्यालय का घेराव करेंगे और भूख हड़ताल पर भी बैठ सकते हैं।

चौधरी प्रवीण भारतीय ने कहा कि हम किसी तरह की उग्रता नहीं चाहते, लेकिन अगर किसानों के साथ न्याय नहीं हुआ, तो हमें मजबूरन बड़ा कदम उठाना पड़ेगा।

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करप्शन फ्री इंडिया संगठन ने पैदल मार्च निकालकर दी आर-पार की चेतावनी

एसडीएम और ओएसडी ने दिया 21 दिन में समाधान का भरोसा

प्रदर्शन के दौरान एसडीएम जितेंद्र गौतम और ओएसडी नवीन कुमार ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि 21 दिनों के भीतर इन शर्तों को लागू करवाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

हालांकि, किसानों ने कहा कि वे केवल आश्वासन नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई चाहते हैं। यदि 21 दिनों के भीतर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।


प्रदर्शन में सैकड़ों किसानों की भागीदारी

इस विरोध प्रदर्शन में कई प्रमुख किसान नेता और स्थानीय निवासी शामिल हुए।

👤 प्रदर्शन में शामिल प्रमुख किसान नेता:
डॉ. दीपक शर्मा
बलराज हूंण
मास्टर दिनेश नागर
प्रेमराज भाटी
राकेश नागर
नवीन भाटी
गौरव भाटी
यतेन्द्र नागर
पिंटू मास्टर
सुशील प्रधान
नीरज भड़ाना
हरेंद्र कसाना
जयवीर भाटी
अरविंद सेक्रेट्री
राकेश मंडार
अमित, अजय नागर
मनीष कसाना
दीपेंद्र भाटी
रणजीत नागर
सूबेदार जगदीश
यशराज भाटी
हिमांशु, मोहित प्रधान
रोहित, प्रिंस भाटी
धीरज नागर, ब्रह्म प्रधान
लखमी पंडित, केशराम
अभिषेक, शिवम, शेखर, अनुज
सैनकी नागर, तिमराज
दर्शन नागर, नरेश भाटी
सुंदर भाटी, जितेंद्र भाटी
सुरेंद्र नागर, रितिक नागर

सैकड़ों किसानों की भीड़ ने इस प्रदर्शन को काफी जोरदार बना दिया।

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करप्शन फ्री इंडिया संगठन ने पैदल मार्च निकालकर दी आर-पार की चेतावनी

क्या होगा आगे?

अब देखना यह है कि प्राधिकरण अपने किए गए वादे पर कितना अमल करता है।

✅ यदि 21 दिनों के भीतर किसानों के अधिकार बहाल हो गए, तो यह एक बड़ी जीत होगी।
❌ यदि प्राधिकरण ने अनदेखी की, तो आंदोलन और भी बड़ा होगा।

किसानों की इस लड़ाई में अब हर कोई एकजुट हो रहा है। क्या सरकार इस पर ध्यान देगी या फिर किसानों को एक और संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा?

इस सवाल का जवाब अगले 21 दिनों में मिल जाएगा!


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