UP Ganga ExpressWay News : गंगा एक्सप्रेसवे, यूपी का पहला ईको-फ्रेंडली एक्सप्रेसवे, वन्यजीव, जंगली जानवरों और पर्यावरण संरक्षण के लिए ऐतिहासिक पहल!, दोनों तरफ बनाई जाएगी 1.5 मीटर ऊंची बाउंड्रीवॉल
सुपरफास्ट यात्रा के साथ-साथ हरियाली और जल संरक्षण का बेहतरीन संगम, जंगली जानवरों और पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए गए बड़े कदम

यूपी, रफ़्तार टुडे।
उत्तर प्रदेश सरकार गंगा एक्सप्रेसवे को सिर्फ एक हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीव सुरक्षा के लिहाज से एक ऐतिहासिक प्रोजेक्ट बनाने की दिशा में काम कर रही है। इस मेगा प्रोजेक्ट में हरियाली, जल संरक्षण, और वन्यजीवों के लिए सुरक्षित मार्गों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है, जिससे यह देश का सबसे ईको-फ्रेंडली एक्सप्रेसवे बनने जा रहा है।
गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण में यूपीडा (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण) और विभिन्न पर्यावरणीय संस्थानों की गाइडलाइंस का पालन किया जा रहा है। परियोजना को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह यात्रा को सुगम बनाने के साथ-साथ पर्यावरणीय संतुलन को भी बनाए रखे।
1. गंगा एक्सप्रेसवे पर होगी 1.5 मीटर ऊंची बाउंड्रीवाल, वन्यजीवों की सुरक्षा होगी सुनिश्चित
यूपी सरकार ने वन्यजीवों और यात्रियों की सुरक्षा के लिए गंगा एक्सप्रेसवे के दोनों ओर 1.5 मीटर ऊंची बाउंड्रीवाल बनाने का निर्णय लिया है। इससे सड़क पर अचानक जंगली जानवरों के आ जाने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा।
वन विभाग के अनुसार, अक्सर राजमार्गों पर वन्यजीवों के कटने और सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने की घटनाएं सामने आती हैं। गंगा एक्सप्रेसवे को इस समस्या से मुक्त रखने के लिए यह अहम कदम उठाया गया है।
इसके अलावा, वर्षा जल संचयन के लिए 2380 स्थानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम विकसित किए जा रहे हैं, जिससे जल संरक्षण और भूजल स्तर सुधारने में मदद मिलेगी।
2. वन्यजीवों के लिए सुरक्षित कॉरिडोर, अंडरपास और ओवरपास की संख्या में बढ़ोतरी
गंगा एक्सप्रेसवे के मार्ग में कई वन्य क्षेत्र और पक्षी विहार स्थित हैं। इसलिए, जानवरों के निर्बाध आवागमन को ध्यान में रखते हुए, इस परियोजना में अंडरपास, ओवरपास और कल्वर्ट की संख्या बढ़ाई गई है।
- ओवरपास की संख्या – पहले 179 थी, अब 218 कर दी गई है (158 तैयार)।
- अंडरपास की संख्या – पहले 379 थी, अब 453 हो गई है (447 तैयार)।
- बाक्स की संख्या – 784 से बढ़ाकर 796 कर दी गई है (सभी पूरे)।
इससे वन्यजीवों को बिना किसी बाधा के जंगल से जंगल तक जाने का रास्ता मिलेगा, जिससे एक्सप्रेसवे पर हादसे नहीं होंगे।

3. ईको-सेंसिटिव जोन और पक्षी विहारों को शोरगुल से बचाने की योजना
गंगा एक्सप्रेसवे के मार्ग में तीन प्रमुख पक्षी विहार (बर्ड सैंक्चुरी) आते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- सांडी बर्ड सैंक्चुरी (हरदोई) – 4.6 किमी दूर
- समसपुर बर्ड सैंक्चुरी (रायबरेली) – 3.5 किमी दूर
- एक अन्य पक्षी विहार – 8.5 किमी दूर
इन पक्षी विहारों को शोरगुल से बचाने के लिए, एक्सप्रेसवे के मध्य में घनी हरित पट्टी (ग्रीन बेल्ट) विकसित की जाएगी, जिससे सड़क पर चल रहे वाहनों की रोशनी और ध्वनि प्रदूषण से इन पक्षियों का प्राकृतिक आवास प्रभावित न हो।
4. कचरा और तेल रिसाव से नदियों को बचाने की नई तकनीक
गंगा एक्सप्रेसवे पर नदियों और जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाने के लिए हर 500 मीटर पर ऑयल और ग्रीस ट्रैप लगाए जाएंगे। इन ट्रैप्स की मदद से वाहनों से निकलने वाले हानिकारक तेल, ग्रीस और अन्य रसायनों को नदियों में जाने से रोका जाएगा।
इससे गंगा और अन्य जल स्रोतों में प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे जलचर जीवों का जीवन सुरक्षित रहेगा।
5. एक्सप्रेसवे पर पैदल चलना होगा प्रतिबंधित, स्पीड लिमिट होगी 100 किमी प्रति घंटा
यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, गंगा एक्सप्रेसवे पर पैदल चलना पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है।
इसके अलावा, एक्सप्रेसवे को 120 किमी प्रति घंटे की गति के लिए डिजाइन किया गया है, लेकिन वाहन चालकों को अधिकतम 100 किमी प्रति घंटे की स्पीड की अनुमति होगी।
6. भूतल से 3.5 मीटर ऊंचा होगा मुख्य कैरिजवे
गंगा एक्सप्रेसवे का मुख्य कैरिजवे भूतल से 3.5 मीटर ऊंचा बनाया जाएगा। इससे बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या नहीं होगी और वाहन सुचारू रूप से चल सकेंगे।
7. गंगा एक्सप्रेसवे: यूपी की कनेक्टिविटी को देगा नई उड़ान
गंगा एक्सप्रेसवे यूपी में आर्थिक विकास की नई धारा बहाएगा। यह एक्सप्रेसवे मेरठ से प्रयागराज तक 594 किमी लंबा होगा, जिससे यात्रा का समय 6 घंटे तक कम हो जाएगा।
सरकार की योजना इसे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे और अन्य प्रमुख हाईवे से जोड़ने की भी है, जिससे औद्योगिक विकास को और अधिक गति मिलेगी।
निष्कर्ष: गंगा एक्सप्रेसवे – एक नई क्रांति का आगाज
गंगा एक्सप्रेसवे ना सिर्फ उत्तर प्रदेश की यात्रा प्रणाली को तेज और सुगम बनाएगा, बल्कि वन्यजीवों, पर्यावरण और जल संरक्षण के क्षेत्र में भी मील का पत्थर साबित होगा।
यह एक्सप्रेसवे अन्य राज्यों के लिए ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर का एक बेहतरीन उदाहरण बनेगा और आने वाले वर्षों में पर्यावरण के अनुकूल विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देगा।
Raftar Today व्हाट्सएप चैनल से जुड़े रहें
🛑 Raftar Today व्हाट्सएप चैनल से जुड़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक को टच करें।
Follow the Raftar Today channel on WhatsApp
Twitter (X): Raftar Today (@raftartoday)