अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Wed, 10 Nov 2021 03:03 AM IST
सार
एक कार्यक्रम के दौरान ग्रेटर नोएडा में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने ये बातें कहीं।
कानून मंत्री किरन रिजीजू ने कहा है कि बहुत से लोग जज के जीवन को नहीं समझते। उन्हे लेकर सोशल मीडिया और विभिन्न मंचों पर कुछ अप्रिय टिप्पणियां की जा रही हैं, लेकिन जब आप करीब से देखते हैं कि न्यायाधीशों को कितना काम करना होता है तो हमारे जैसे लोगों के लिए यह समझना मुश्किल है। एक कार्यक्रम के दौरान ग्रेटर नोएडा में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने ये बातें कहीं।
स्कूलों की तरह अदालतों का छुट्टी पर जाने की आम धारणा सही नहीं – न्यायमूर्ति
स्कूलों की तरह आए दिन अदालतों का छुट्टी पर चले जाना, आम जनता की ऐसी धारणा सही नहीं है। सभी को पता है कि अदालतों पर मुकदमों का अतिरिक्त बोझ है। इनकी कड़ी मेहनत को प्रदर्शित करने और छवि बदलने के लिए उचित तंत्र होना चाहिए। मंगलवार को अपने सेवानिवृत्ति के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जयंत नाथ ने अपने वक्तव्य में यह बातें कहीं।
हाईकोर्ट द्वारा आयोजित अपने विदाई समारोह में उन्होंने कहा कि फैसलों में देरी के लिए केवल अदालतें जिम्मेदार नहीं हैं। अदालतों और वकीलों के अथक प्रयासों के बावजूद मामले लंबित हैं। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आम आदमी मामलों के निपटारे में देरी के लिए केवल अदालतों को ही दोषी मानता है। अदालतों के छुट्टी पर जाने पर बहुत कुछ कहा जाता है। इसकी तुलना स्कूल की छुट्टियों से की जाती है। उन्होंने कहा कि मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि लोगों की यह राय सही नहीं है। अदालतों को अपने अच्छे कामों को बताने के लिए कुछ कदम उठाने की जरूरत है।
न्यायमूर्ति ने वकीलों को अपने पेशे और मुवक्किलों के प्रति इमानदार रहने की सलाह दी। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को याद दिलाया कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल ने कहा कि न्यायमूर्ति जयंत नाथ एक प्रतिष्ठित न्यायाधीश हैं, जिन्हें इनकी उत्कृष्ठता के लिए याद किया जाएगा। न्यायमूर्ति नाथ 2013 में हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए और 18 मार्च 2015 को स्थायी न्यायाधीश बने थे।
विस्तार
कानून मंत्री किरन रिजीजू ने कहा है कि बहुत से लोग जज के जीवन को नहीं समझते। उन्हे लेकर सोशल मीडिया और विभिन्न मंचों पर कुछ अप्रिय टिप्पणियां की जा रही हैं, लेकिन जब आप करीब से देखते हैं कि न्यायाधीशों को कितना काम करना होता है तो हमारे जैसे लोगों के लिए यह समझना मुश्किल है। एक कार्यक्रम के दौरान ग्रेटर नोएडा में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने ये बातें कहीं।
स्कूलों की तरह अदालतों का छुट्टी पर जाने की आम धारणा सही नहीं – न्यायमूर्ति
स्कूलों की तरह आए दिन अदालतों का छुट्टी पर चले जाना, आम जनता की ऐसी धारणा सही नहीं है। सभी को पता है कि अदालतों पर मुकदमों का अतिरिक्त बोझ है। इनकी कड़ी मेहनत को प्रदर्शित करने और छवि बदलने के लिए उचित तंत्र होना चाहिए। मंगलवार को अपने सेवानिवृत्ति के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जयंत नाथ ने अपने वक्तव्य में यह बातें कहीं।
हाईकोर्ट द्वारा आयोजित अपने विदाई समारोह में उन्होंने कहा कि फैसलों में देरी के लिए केवल अदालतें जिम्मेदार नहीं हैं। अदालतों और वकीलों के अथक प्रयासों के बावजूद मामले लंबित हैं। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आम आदमी मामलों के निपटारे में देरी के लिए केवल अदालतों को ही दोषी मानता है। अदालतों के छुट्टी पर जाने पर बहुत कुछ कहा जाता है। इसकी तुलना स्कूल की छुट्टियों से की जाती है। उन्होंने कहा कि मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि लोगों की यह राय सही नहीं है। अदालतों को अपने अच्छे कामों को बताने के लिए कुछ कदम उठाने की जरूरत है।
न्यायमूर्ति ने वकीलों को अपने पेशे और मुवक्किलों के प्रति इमानदार रहने की सलाह दी। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को याद दिलाया कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल ने कहा कि न्यायमूर्ति जयंत नाथ एक प्रतिष्ठित न्यायाधीश हैं, जिन्हें इनकी उत्कृष्ठता के लिए याद किया जाएगा। न्यायमूर्ति नाथ 2013 में हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए और 18 मार्च 2015 को स्थायी न्यायाधीश बने थे।
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