Good News : बृज की पावन भूमि खाम्बी में बलराम जी के चमत्कारी खम्ब के साक्षी बने श्रद्धालु, सतचण्डी महायज्ञ के साथ नवरात्रि का समापन आस्था, इतिहास और सनातन संस्कृति का अद्भुत संगम

खाम्बी, पलवल (हरियाणा) | विशेष रिपोर्ट | रफ्तार टुडे
बृज क्षेत्र की दिव्य धरा, आध्यात्मिक चेतना और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक — ग्राम खाम्बी। हरियाणा राज्य के पलवल जिले में स्थित यह गांव बृज चौरासी कोस यात्रा का अहम पड़ाव है, जहां इस बार नवरात्रि का समापन अत्यंत श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ सतचण्डी महायज्ञ के आयोजन द्वारा किया गया।
यह आयोजन केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं था, बल्कि एक ऐतिहासिक स्मृति, आस्था की शक्ति, और सनातन संस्कृति की जीवंत परंपरा का दर्शन भी था। कुलदेवी खैरादेवता दादी के मंदिर में आयोजित इस यज्ञ में ग्रामवासियों के साथ-साथ दूरदराज से आए श्रद्धालुओं ने भी भाग लिया और माँ जगदम्बा के श्रीचरणों में आहुतियाँ अर्पित कर विश्व कल्याण की कामना की।
बलराम जी की बृज परिक्रमा और चमत्कारी खम्ब का रहस्य
ग्राम खाम्बी की सबसे बड़ी पहचान है यहां स्थित वह प्राचीन खम्ब, जिसे स्वयं भगवान बलराम जी ने महाभारत युद्ध के दौरान बृज की परिक्रमा करते समय स्थापित किया था। पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब श्रीकृष्ण ने अपने अग्रज बलराम जी को युद्ध में सम्मिलित न कर बृज यात्रा पर भेजा, तो उन्होंने 18 दिनों में सम्पूर्ण बृज की परिक्रमा कर इसकी चार दिशाओं में चार खम्भों की स्थापना की थी।
इनमें से एक खम्ब आज भी ग्राम खाम्बी में विद्यमान है, जो समय के साथ धीरे-धीरे पृथ्वी में समाता जा रहा है, परंतु आज भी श्रद्धालुओं में आस्था और ऊर्जा का केन्द्र बना हुआ है। यह खम्ब इतिहास, अध्यात्म और चमत्कार का ऐसा संगम है जिसे देखने के लिए देशभर से श्रद्धालु खिंचे चले आते हैं।

औरंगजेब भी नहीं मिटा सका इस आस्था के प्रतीक को
इतिहास साक्षी है कि औरंगजेब के शासनकाल में जब सनातन संस्कृति को मिटाने की साजिश के तहत मंदिरों को ध्वस्त किया जा रहा था, तब इस खाम्बी गांव के मंदिर में भी स्थापित प्राचीन मूर्तियों को खंडित किया गया। आज भी मंदिर परिसर में वो खंडित मूर्तियाँ मौन होकर अत्याचार और संघर्ष की गाथा कहती हैं।
कहा जाता है कि जब इस खम्ब को भी तोड़ने का प्रयास किया गया, तो वह भूमि की गहराई में धंसता गया और किसी भी प्रयास से उसे क्षति नहीं पहुंचाई जा सकी। यह खम्ब आज भी सनातन धर्म की अमरता और ईश्वरीय चमत्कार का जीवंत उदाहरण बना हुआ है।
एक परिक्रमा सात की बराबरी: खम्ब की महिमा अपार
मंदिर के वर्तमान पुजारी श्री मोनू जी बताते हैं कि इस खम्ब की सात परिक्रमा करने से उतना ही पुण्य मिलता है जितना कि गिरिराज पर्वत की एक परिक्रमा से प्राप्त होता है। यह श्रद्धा का ऐसा केंद्र है जहां हर श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए बार-बार आता है और मन में सच्ची भक्ति लिए परिक्रमा करता है।
खाम्बी गांव की आध्यात्मिक दिनचर्या और सामाजिक परंपराएं
खाम्बी गांव की धार्मिक गतिविधियां और सांस्कृतिक परंपराएं किसी तपोभूमि से कम नहीं। यहां रोज़ प्रातः प्रभातफेरी निकाली जाती है, जिसमें महिलाएं और पुरुष जागरण गीत गाते हुए गांव की गलियों से होकर मंदिर तक पहुंचते हैं।
मंदिर में भजन, कीर्तन और बधाई नृत्य होते हैं। एक विशेष परंपरा यह है कि नवरात्रि के समापन पर गांव की हर छोटी कन्या या युवती, अपने से बड़ी महिलाओं के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करती है। यह संस्कार और सम्मान की भावना को गहराई से स्थापित करने वाली परंपरा है, जो आधुनिकता के इस युग में भी सनातन मूल्यों को जीवित रखे हुए है।

खाम्बी : धर्म, परंपरा और इतिहास का संगम
गौड़ ब्राह्मण बाहुल्य यह गांव न केवल एक धार्मिक केंद्र है बल्कि सनातन संस्कृति, पारिवारिक मूल्यों और सामाजिक समरसता की मिसाल भी है। यहाँ की भक्ति परंपरा, सांस्कृतिक चेतना, और ऐतिहासिक विरासत इस गांव को एक आध्यात्मिक धरोहर बनाती है।
बृज की भूमि पर स्थित खाम्बी, बलराम जी के चमत्कारी खम्ब, सतचण्डी यज्ञ, कुलदेवी की आस्था और सनातनी जीवन पद्धति का वह केन्द्र है, जो हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को धार्मिक अनुभूति और आत्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
रिपोर्ट: भगवत प्रसाद शर्मा एडिट रफ़्तार टुडे
ग्राम खाम्बी, पलवल, हरियाणा
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