Greater Noida Authority News : “जमीन नहीं फिर भी बंट गए प्लॉट!, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में बड़ा घोटाला, बिना अधिग्रहण ही कर दी लीज डीड, अब 6 और अधिकारी नपने की कगार पर”प्राधिकरण की जांच में चौंकाने वाले खुलासे, अब तक कुल 11 अधिकारी जांच के घेरे में, कई पहले ही सस्पेंड

ग्रेटर नोएडा | रफ्तार टुडे ब्यूरो
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में भूमि आवंटन के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस घोटाले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकारी सिस्टम में पारदर्शिता अब इतिहास बन चुकी है? बिना जमीन अधिग्रहण किए ही प्राधिकरण ने 5 लोगों को 9600 वर्ग मीटर जमीन के प्लॉट आवंटित कर दिए और उनकी लीज डीड तक तैयार करा दी। अब जांच में दोषी पाए गए 6 और अधिकारियों को सस्पेंड करने की सिफारिश की गई है। इससे पहले भी 5 अधिकारियों को इसी मामले में निलंबित किया जा चुका है।
बिना भूमि अधिग्रहण, कैसे बंट गए प्लॉट?
मामला ग्रेटर नोएडा के टकजां और आसपास के गांवों से जुड़ा है, जहां के किसानों की जमीन का अब तक अधिग्रहण ही नहीं हुआ है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि प्राधिकरण ने इस भूमि को आवंटित कर दिया, और वह भी बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया को पूरा किए। न सिर्फ आवंटन, बल्कि बाकायदा लीज डीड भी कर दी गई, जिससे सरकारी रेकॉर्ड में यह जमीन अब ‘आवंटित’ दर्शाई जा रही है।
जांच में उभरे 6 और नाम, सिफारिश हुई निलंबन की
प्राधिकरण की आंतरिक जांच में 6 अधिकारियों पर गंभीर आरोप सिद्ध हुए हैं। इन अधिकारियों ने दस्तावेजों को तैयार करने में नियमों को ताक पर रखा, और जमीन के स्वामित्व की पुष्टि किए बिना ही आवंटन की प्रक्रिया पूरी कर दी। शासन को भेजे गए प्रस्ताव में जिन अधिकारियों के नाम शामिल हैं, वे हैं:
- तत्कालीन सहायक प्रबंधक (परियोजना)
- तत्कालीन प्रबंधक (परियोजना)
- सहायक विधि अधिकारी वंदना
- तत्कालीन प्रबंधक (विधि विभाग) अतुल
- तत्कालीन वरिष्ठ ड्राफ्ट्समैन सुरेश
- तत्कालीन वरिष्ठ कार्यकारी प्रबंधक (योजना विभाग डब्ल्यू) सुखबीर सिंह
इन पर लीज डीड दस्तावेज तैयार करने में लापरवाही, स्वामित्व जांच न करने और वैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन करने जैसे आरोप लगे हैं।
पहले भी 5 अधिकारी हो चुके हैं सस्पेंड
ये घोटाला कोई नया नहीं है। इससे पहले एक महीने पहले ही 5 अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है। इनमें तत्कालीन एसडीएम, महाप्रबंधक और वरिष्ठ प्रबंधक जैसे उच्च पदस्थ अधिकारी शामिल हैं। अब इस नई सिफारिश के बाद, घोटाले में फंसे कुल अधिकारियों की संख्या 11 हो चुकी है।
प्राधिकरण ने दाखिल किया कोर्ट में हलफनामा
घोटाले की गंभीरता को देखते हुए प्राधिकरण ने न्यायालय में हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें 11 अधिकारियों के विरुद्ध जांच में दोषी पाए जाने की बात स्वीकारी गई है। प्राधिकरण ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि दोषियों के विरुद्ध जल्द से जल्द अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
कई दोषी अधिकारी अब यहां तैनात नहीं
दिलचस्प बात यह है कि जांच में जिन अधिकारियों पर उंगलियां उठी हैं, उनमें से कई अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में कार्यरत नहीं हैं।
- तत्कालीन वरिष्ठ कार्यकारी प्रबंधक सुखबीर सिंह ने कई साल पहले ही नौकरी छोड़ दी थी।
- तत्कालीन प्रबंधक और सहायक विधि अधिकारी वर्तमान में यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) में कार्यरत हैं।
जांच के घेरे में भूमि आवंटन की पूरी प्रक्रिया
यह पूरा मामला न केवल संबंधित अधिकारियों की लापरवाही का परिणाम है, बल्कि यह प्राधिकरण की भूमि आवंटन प्रक्रिया की खामियों और पारदर्शिता की कमी को भी उजागर करता है। जिस प्रकार बिना भूमि अधिग्रहण और वैधानिक जांच के ही प्लॉट आवंटित हो गए, वह प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर बड़ा प्रश्नचिह्न है।
कब होगी अंतिम कार्रवाई? जनता की नजरें टिकीं
अब देखने वाली बात यह होगी कि शासन और प्राधिकरण इस मामले में आखिरी निर्णय कब तक ले पाते हैं। क्या दोषियों को कानूनी सज़ा मिलेगी या मामला भी अन्य घोटालों की तरह समय के गर्त में दब जाएगा? आम जनता और किसानों की निगाहें अब शासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हुई हैं।
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