BJP One Election News : "चुनाव बनाम विकास, हर साल की वोटिंग से थमता है देश का इंजन", बार बार चुनाव विकास में बाधा, बोले भाजपा नेता सुनील बंसल—‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को बताया ज़रूरत नहीं, मजबूरी,
राष्ट्रीय महामंत्री सुनिल बंसल बोले, बार-बार चुनाव विकास में बाधा, 'एक राष्ट्र एक चुनाव जरूरी’

कानपुर, रफ्तार टुडे।
छोटे-छोटे अंतराल पर होने वाले चुनाव न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया को थकाते हैं, बल्कि देश की प्रगति की रफ्तार को भी कम कर देते हैं। अब समय आ गया है कि भारत भी चुनावी सुधारों की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए। यही संदेश दिया भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने, जब वह ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे।
“हर साल कोई न कोई चुनाव चलता रहता है, कब काम करेंगे?”
सुनील बंसल ने सोमवार को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई सभागार में आयोजित संगोष्ठी में कहा,
“बीते 30 वर्षों में शायद ही कोई ऐसा साल रहा हो, जब देश में कोई चुनाव न हुआ हो। विधानसभा, लोकसभा, पंचायत, निकाय—कहीं न कहीं हर समय आचार संहिता लगी रहती है। इससे न केवल शासन की गति धीमी होती है, बल्कि योजनाओं का क्रियान्वयन भी बाधित होता है।”
“एक साल आचार संहिता में निकल जाता है, बाकी चार साल में कैसे दौड़ेगा विकास?”
बंसल ने बेहद गंभीर लहजे में बताया कि जब कोई सरकार पाँच साल के लिए आती है, तो उसमें से लगभग एक साल तो आचार संहिता और चुनावी तैयारियों में ही चला जाता है।
“क्या ये सही है कि हम हर साल वोट डालें और सरकारें सिर्फ कागज़ों पर योजनाएं बनाती रहें? क्या हम चाहते हैं कि विकास सिर्फ घोषणाओं तक सीमित रह जाए?” उन्होंने सवाल उठाया।
“हर बार चुनाव पर 5-7 लाख करोड़ रुपये खर्च होते हैं”
बंसल ने आंकड़ों के जरिए विषय को और मजबूती दी। उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव कराना देश के लिए आर्थिक रूप से भारी नुकसानदायक है।
“लगभग पाँच से सात लाख करोड़ रुपये सिर्फ चुनावों पर खर्च होते हैं। अगर हम ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रणाली अपनाएं तो इस धन को शिक्षा, स्वास्थ्य और अधोसंरचना जैसे ज़रूरी क्षेत्रों में लगाया जा सकता है।”
“2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है तो करना होगा यह बदलाव”
उन्होंने भारत की 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की लक्ष्य यात्रा का ज़िक्र करते हुए कहा,
“हम यह सपना तभी पूरा कर सकते हैं, जब हम अपने संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करें। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं, बल्कि भविष्य की आवश्यकता है।”
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी रखा समर्थन
कार्यक्रम में मौजूद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी विषय की अहमियत पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा,
“हर वर्ष चुनाव से देश की ऊर्जा और संसाधनों का दुरुपयोग होता है। हमें यह समझना होगा कि यह पहल भारत के दीर्घकालिक हित में है।”
उन्होंने जनता से अपील की कि वे इस विचार को राजनीतिक चश्मे से न देखें, बल्कि इसे राष्ट्रहित के रूप में स्वीकार करें।
उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और कुलपति विनय पाठक भी रहे मौजूद
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने भी भाग लिया और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक की प्रशंसा करते हुए कहा,
“ऐसे कार्यक्रमों से युवाओं को नीति और शासन के गूढ़ पक्षों की जानकारी मिलती है। यही हमारे भविष्य के जागरूक नागरिक तैयार करते हैं।”
इस संगोष्ठी से निकला स्पष्ट संदेश: अब देश को चाहिए एक दिशा, एक चुनाव
इस सारगर्भित संगोष्ठी ने देश के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा किया—क्या अब वक्त आ गया है कि हम लोकतंत्र को आसान और विकासोन्मुख बनाएं?
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ अब केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी सुधार की मांग बन चुका है, जिसे अमल में लाकर भारत भविष्य की ओर एक ठोस कदम बढ़ा सकता है।
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