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GD Goenka School News : भाप इंजन से शाही डिब्बों तक का सफर, GD Goenka स्कूल के नन्हे सवारों ने दिल्ली रेल म्यूजियम में की यादगार ज्ञानयात्रा, शाही डिब्बों ने बांधा सबका ध्यान, बच्चों ने झांका रजवाड़ों के रेल सफर में

ग्रेटर नोएडा | Raftar Today
बचपन की जिज्ञासु आंखों से जब इतिहास को देखा जाए तो सीखना केवल पढ़ाई नहीं बल्कि एक अद्भुत अनुभव बन जाता है। GD Goenka Public School, Greater Noida के कक्षा 1 और 2 के छात्रों ने 22 अप्रैल को कुछ ऐसा ही अनुभव किया जब वे दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रेल संग्रहालय (National Rail Museum) की शैक्षणिक यात्रा पर गए। इस एक दिन की यात्रा ने इन नन्हे छात्रों को रेलों के गौरवशाली इतिहास से परिचित कराया और उनके मन में ज्ञान की नई किरणें जगाईं।


सुबह की शुरुआत जोश से भरी, बसों में बच्चों की चहकती आवाज़ें बनी यात्रा का आगाज़

सुबह-सुबह जैसे ही स्कूल बसें रवाना हुईं, बच्चों के चेहरे पर यात्रा का रोमांच साफ झलक रहा था। शिक्षकगण की देखरेख में बच्चे अनुशासन के साथ बसों में सवार हुए और दिल्ली के लिए निकले। बस के सफर में ही बच्चों के बीच रेलों को लेकर उत्सुक सवालों और चर्चाओं का सिलसिला शुरू हो गया था—”क्या भाप इंजन की आवाज़ बहुत तेज़ होती है?” “राजाओं की ट्रेन में क्या सोने का पलंग होता था?”


रेल म्यूजियम के प्रवेश द्वार पर ही बच्चों ने इतिहास के दरवाज़े खटखटाए

दिल्ली स्थित नेशनल रेल म्यूजियम का भव्य परिसर जैसे ही बच्चों की आंखों के सामने आया, उनकी जिज्ञासा और बढ़ गई। वहां पर लगी भव्य रेलगाड़ियों की प्रदर्शनी, रंग-बिरंगे इंजन, और इतिहास की कहानियां जैसे बच्चों को किसी टाइम मशीन में बैठाकर अतीत में ले गईं।


भाप इंजन से लेकर डीज़ल और इलेक्ट्रिक इंजन तक की यात्रा

बच्चों ने वहां लगे कई तरह के इंजन देखे—पुराने जमाने के भाप इंजन, बाद के वर्षों के डीजल इंजन, और आधुनिक इलेक्ट्रिक इंजन। शिक्षकों ने उन्हें बताया कि किस इंजन ने कब और कैसे भारतीय रेलवे को नई दिशा दी। बच्चों ने सीखा कि पहली रेल भारत में 1853 में मुंबई से ठाणे के बीच चली थी।

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भाप इंजन से शाही डिब्बों तक का सफर, GD Goenka स्कूल के नन्हे सवारों ने दिल्ली रेल म्यूजियम में की यादगार ज्ञानयात्रा

शाही डिब्बों ने बांधा सबका ध्यान, बच्चों ने झांका रजवाड़ों के रेल सफर में

म्यूजियम में मौजूद राजसी डिब्बे, जिनमें सुंदर लकड़ी की नक्काशी, झूमर, पलंग और बैठने की आलीशान व्यवस्था थी—ने बच्चों का ध्यान खींचा। ये डिब्बे कभी देश के महाराजाओं और रियासतों द्वारा इस्तेमाल किए जाते थे। बच्चों को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि इन ट्रेनों में डाइनिंग हॉल, बाथरूम और बेडरूम तक होते थे।


मिनी ट्रेन की सवारी: जब बच्चों की मुस्कान ने आसमान छू लिया

म्यूजियम की सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से एक है वहाँ की मिनी ट्रेन, जिसमें बैठकर पूरा म्यूजियम घूमना संभव होता है। जैसे ही बच्चे उसमें बैठे, उनके चेहरे खिल उठे। ट्रेन चलने पर जो चहक, तालियां और हँसी सुनाई दी, उसने यह साफ कर दिया कि यह यात्रा उनके लिए कितनी खास है।


शिक्षकों ने सुनाई रेलवे की रोचक कहानियां, बच्चों ने जमकर पूछे सवाल

शिक्षकों ने बच्चों को भारतीय रेलवे के विकास की कहानी सरल भाषा में सुनाई। कैसे ब्रिटिश काल में रेल ने व्यापार और शासन के लिए भूमिका निभाई, और स्वतंत्र भारत में यह आम लोगों की जीवनरेखा बन गई। बच्चों ने पूछा कि “क्या पहले टिकट भी ऑनलाइन मिलते थे?” और “क्या लोग रेल में भी शाही भोज खाते थे?” ऐसे सवालों ने इस यात्रा को और ज्ञानवर्धक बना दिया।


फोटोग्राफी और एक्टिविटी सेशन ने बढ़ाई यात्रा की रोचकता

बच्चों को रेलगाड़ियों के सामने खड़े होकर फोटोज खिंचवाने का खूब शौक चढ़ा। कई बच्चों ने तो कैमरे की ओर देखकर कहा—”ये ट्रेन हमारी किताब में थी, अब हम इसमें खड़े हैं!” शिक्षकों ने बच्चों के लिए छोटी एक्टिविटी भी करवाई—जैसे ‘अपनी ट्रेन बनाओ’ या ‘मेरी पहली रेलयात्रा’। इससे बच्चों की क्रिएटिव सोच को भी प्रोत्साहन मिला।


शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन की सराहनीय पहल

GD Goenka Public School का यह प्रयास निश्चित ही सराहनीय है। विद्यालय प्रबंधन का उद्देश्य केवल किताबी ज्ञान देना नहीं, बल्कि बच्चों को अनुभवात्मक शिक्षा देना है। ऐसी यात्राएं बच्चों में न केवल सीखने की ललक जगाती हैं, बल्कि उन्हें भारत के गौरवशाली इतिहास से भी जोड़ती हैं।


अभिभावकों की प्रतिक्रिया: “ऐसी यात्राएं बच्चों के जीवन को समृद्ध बनाती हैं”

बच्चों के लौटने के बाद कई अभिभावकों ने कहा कि बच्चों ने घर आकर पूरे म्यूजियम की कहानी सुनाई, तस्वीरें दिखाई और ट्रेन के बारे में जो सीखा, वह बड़े उत्साह से बताया। ऐसे अनुभव बच्चे ताउम्र नहीं भूलते।


निष्कर्ष: ज्ञान और रोमांच से भरी एक यादगार यात्रा

दिल्ली रेल म्यूजियम की यह यात्रा छात्रों के लिए एक ऐसा अनुभव बन गई जिसे वे अपनी स्कूली जिंदगी की सबसे खास यादों में गिनेंगे। इस तरह की शैक्षणिक यात्राएं बच्चों के सीखने के तरीके को विस्तार देती हैं और उन्हें किताबों से बाहर की दुनिया का भी अनुभव कराती हैं।


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