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Surajpur Barahi Mella : बाराही मेले के बारहवें दिन लोक संस्कृति, भक्तिरस और सामाजिक संदेशों का अनूठा संगम, सूरजपुर की पावन धरती पर रागनियों, नाट्य और भजनों ने रच दिया नई चेतना का महायज्ञ

सूरजपुर, रफ्तार टुडे। बाराही मंदिर परिसर में चल रहे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महोत्सव बाराही मेला 2025 का बारहवां दिन कुछ खास रहा। जहां एक ओर मंच पर लोक कलाकारों की बेहतरीन प्रस्तुतियों ने संस्कृति की आत्मा को छू लिया, वहीं दूसरी ओर सामाजिक और पर्यावरणीय चेतना का सशक्त संदेश भी दिया गया। सूरजपुर की भूमि सोमवार को एक बार फिर लोक परंपराओं, भक्ति, रंग और भावनाओं के महामिलन का केंद्र बन गई।


रागनियों में बुनीं पौराणिक गाथाएं, लोक संस्कृति का जीवंत मंचन

मंच पर कुमारी सक्कु, सरिता कश्यप एंड पार्टी के लोक कलाकारों ने जब सत्यवान-सावित्री, रूप बसंत, नल-दमयंती और राजा मोरध्वज जैसे ऐतिहासिक प्रसंगों को अपनी रागनियों के माध्यम से सजीव किया, तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। सुंदर जिनाई की देशभक्ति रागनी पर जमकर तालियां बजीं, वहीं मोनू गुर्जर, नानक शर्मा और अनु चौधरी की प्रस्तुतियों ने लोकगाथाओं की जीवंतता को नए सिरे से महसूस कराया।


नृत्य में उतरीं लोकभावनाएं, अनु चौधरी और सक्कु ने बांधा समां

जहां शब्दों में भाव थे, वहीं नृत्य में आत्मा। अनु चौधरी और कुमारी सक्कु की नृत्य प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। लोक नृत्य के माध्यम से पौराणिक गाथाओं की गहराई को आत्मसात करना सूरजपुर के दर्शकों के लिए एक नई अनुभूति थी।

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पृथ्वी दिवस पर भावुक नाटिका, बच्चों ने दी पर्यावरण संरक्षण की सीख

भारती पब्लिक स्कूल सूरजपुर के छात्र-छात्राओं ने पर्यावरण पर एक सशक्त नाटिका मंचित की। “धरती माँ की पुकार” नामक इस प्रस्तुति में छात्रों ने भावनात्मक अभिनय के जरिए यह संदेश दिया कि यदि हमने आज भी पर्यावरण की रक्षा नहीं की, तो भविष्य की पीढ़ियों को अंधकार मिलेगा। दर्शकों की आंखें नम हो गईं और प्रस्तुति को भरपूर सराहा गया।


लोकगायक प्रलय किशोर की आवाज़ में बहकी हुई गलियों की कहानी

शिव मंदिर सेवा समिति के मंच से लोकगायक प्रलय किशोर की प्रस्तुति – “ठा-ठा दुनिया की ठा-ठा, मैं चला- मैं चला, मेरा नहीं है कोई ठिकाना, मैं गलियों का बंजारा…” – ने लोगों के दिलों को छू लिया। यह गीत न केवल लोक धुनों से सजा था, बल्कि उसमें आज की युवा पीढ़ी की बेचैनी, संघर्ष और तलाश भी झलक रही थी।

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कृष्ण भजनों की मिठास में डूबा माहौल, भक्ति में लीन हुए श्रोता

नरेंद्र शर्मा, सुनील शर्मा, ओमवीर बैंसला और राजवीर शर्मा एंड पार्टी ने जब कृष्ण भजनों की श्रंखला शुरू की, तो पंडाल में मौजूद हर व्यक्ति भक्ति रस में डूब गया। “श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम…” जैसे भजनों ने वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया।


बाबा मोहन राम ट्रस्ट अध्यक्ष चौधरी बुधराम का प्रेरक संदेश

राजस्थान के खोली मलकपुर स्थित बाबा मोहन राम धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष चौधरी बुधराम ने कहा, “बाराही मेला केवल एक परंपरा नहीं, यह संस्कृति की जीवंत मिसाल है। यह मेले हमारी नई पीढ़ी को उनकी जड़ों से जोड़ने का माध्यम हैं, जो आज के दौर में और भी जरूरी हो गया है।”


गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति ने बढ़ाया आयोजन का गौरव

इस दिन आयोजन में पूर्व जिला पंचायत सदस्य रामशरण नागर एडवोकेट, सपा प्रवक्ता राजकुमार भाटी, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष नवीन भाटी एडवोकेट, समाजसेवी कमल सिंह आर्य, केपी कसाना, मॉर्निंग टीम अध्यक्ष जगवीर भाटी, हिरदेश राव एडवोकेट, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीनियर मैनेजर अश्वनी चतुर्वेदी सहित कई गणमान्य लोगों ने भाग लिया। इन अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी विशेष बना दिया।


आयोजन समिति का अतिथि-सम्मान समारोह

शिव मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष धर्मपाल भाटी, महामंत्री ओमवीर बैसला, कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल और मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा ने सभी अतिथियों और कलाकारों को माला पहनाकर और स्मृति चिन्ह भेंटकर उनका स्वागत किया। इस सम्मान ने सभी उपस्थित जनों के मन में आयोजन समिति के प्रति आभार और उत्साह भर दिया।


सामाजिक संवाद का मंच है मेला: राजकुमार भाटी

सपा प्रवक्ता राजकुमार भाटी ने कहा, “मेलों का महत्व आज के सामाजिक ढांचे में और अधिक बढ़ गया है। ये न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि सामाजिक समरसता, संवाद और विरासत को आगे बढ़ाने का सशक्त माध्यम हैं।”


सूरजपुर में उजाला फैलाएंगी नई स्ट्रीट लाइट्स, प्राधिकरण की पहल

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रबंधक (इलेक्ट्रिकल) अश्वनी चतुर्वेदी ने बताया कि 4 करोड़ रुपये की लागत से सूरजपुर क्षेत्र में नई स्ट्रीट लाइट्स और हाई मास्ट लाइट्स लगाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि 130 मीटर रोड पर यह कार्य आरंभ हो चुका है, जिससे पूरे क्षेत्र में रात्रिकालीन रोशनी का स्तर बढ़ेगा और सुरक्षा व्यवस्था भी मजबूत होगी।


निष्कर्ष: संस्कृति, समाज और संस्कार का अद्वितीय संगम

बाराही मेला का बारहवां दिन लोकजीवन, सामाजिक सरोकारों और आध्यात्मिक अनुभूतियों का ऐसा संगम बनकर उभरा, जिसने हर दर्शक के मन में कुछ न कुछ भावनात्मक प्रभाव छोड़ा। मेला केवल आयोजन नहीं, आत्मा का उत्सव है – और सूरजपुर में यह उत्सव पूरे गौरव और गरिमा के साथ जारी है।


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