Galgotia University News : ग्लोबल मंच पर भारत की बुलंद आवाज़, गलगोटिया विश्वविद्यालय के सीईओ डॉ. ध्रुव गलगोटिया ने एशिया यूनिवर्सिटीज समिट 2025 में “वैश्विक दक्षिण” की शोध क्षमताओं को मजबूती से रखा सामने, कहा, नवाचार का अधिकार सबका है, शोध लोकतांत्रिक होना चाहिए
डॉ. ध्रुव गलगोटिया ने बताया कि विश्वविद्यालय अब अंतरराष्ट्रीय सहयोग, उच्च गुणवत्ता वाले रिसर्च लैब्स, और वैश्विक फैकल्टी ट्रेनिंग पर विशेष जोर दे रहा है। उन्होंने कहा कि हम सिर्फ शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि एक शोध और इनोवेशन हब के रूप में खुद को विकसित कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य है – “ज्ञान सबका अधिकार है, नवाचार सबका अधिकार है।”

ग्रेटर नोएडा/मकाऊ, रफ़्तार टुडे।
जहां पूरी दुनिया में शिक्षा और शोध की दिशा वैश्विक रूप से परिवर्तित हो रही है, वहीं भारत भी अब केवल सहभागी नहीं, बल्कि दिशा-निर्देशक की भूमिका में नजर आ रहा है। इसी क्रम में गलगोटिया विश्वविद्यालय के युवा और दूरदर्शी सीईओ डॉ. ध्रुव गलगोटिया ने मकाऊ में आयोजित टाइम्स हायर एजुकेशन (THE) एशिया यूनिवर्सिटीज समिट 2025 में न सिर्फ भारत का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि “ग्लोबल साउथ” यानि दक्षिणी देशों की आवाज़ को भी बुलंद किया।
यह प्रतिष्ठित सम्मेलन मकाऊ यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग से आयोजित किया गया था, जिसमें एशिया, यूरोप और अमेरिका के शीर्ष शिक्षाविदों, विश्वविद्यालय प्रमुखों और शोध विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। समिट का प्रमुख उद्देश्य था – उभरते देशों के विश्वविद्यालयों की शोध शक्ति को कैसे वैश्विक स्तर पर प्रभावी बनाया जा सकता है।
शोध को बनाया जाए सबके लिए सुलभ, तभी होगा सच्चा नवाचार: डॉ. ध्रुव गलगोटिया
“Empowering Research Development: Can the Global South Align with Research Superpowers?” विषय पर आयोजित पैनल चर्चा में डॉ. गलगोटिया ने एक प्रभावशाली वक्तव्य देते हुए कहा –
“अगर हम चाहते हैं कि सच्चे इनोवेशन हों, तो शोध और ज्ञान तक पहुंच केवल सीमित वर्ग तक नहीं होनी चाहिए। हमें ऐसी नीतियां बनानी होंगी जो संसाधनों को लोकतांत्रिक बनाएं, ताकि हर छात्र, हर रिसर्चर को अवसर मिल सके।”
डॉ. गलगोटिया ने आगे कहा कि उनका उद्देश्य एक ऐसा समावेशी अनुसंधान वातावरण तैयार करना है जहां न केवल भारत के, बल्कि पूरी दुनिया के विविध पृष्ठभूमियों से आने वाले विद्यार्थी, शोधकर्ता और विचारक खुले मन से नवाचार कर सकें।
ग्लोबल मंच पर उठी भारत की आवाज़, ताल ठोककर रखा गया एजुकेशन मॉडल
इस चर्चा में उनके साथ विक्टर वी. रामराज (विक्टोरिया विश्वविद्यालय), माई हर शाम (हांगकांग की चीनी विश्वविद्यालय), और टीएस डॉ. प्रवीण राजेंद्र (टेलर विश्वविद्यालय) जैसे शिक्षा क्षेत्र के दिग्गज भी शामिल थे, जिन्होंने वैश्विक शोध मॉडल में सहयोग, संसाधन साझा करना और नवाचार के लिए समर्पित वातावरण बनाने पर बल दिया।
डॉ. गलगोटिया ने यह भी बताया कि भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) एक ऐसी नई शुरुआत है जो शोध-संचालित शिक्षा को बढ़ावा देती है। गलगोटियास विश्वविद्यालय NEP के इस विज़न को साकार करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
गलगोटियास विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता – शिक्षा को वैश्विक, शोध को समावेशी बनाना
डॉ. ध्रुव गलगोटिया ने बताया कि विश्वविद्यालय अब अंतरराष्ट्रीय सहयोग, उच्च गुणवत्ता वाले रिसर्च लैब्स, और वैश्विक फैकल्टी ट्रेनिंग पर विशेष जोर दे रहा है। उन्होंने कहा कि हम सिर्फ शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि एक शोध और इनोवेशन हब के रूप में खुद को विकसित कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य है – “ज्ञान सबका अधिकार है, नवाचार सबका अधिकार है।”
समिट के माध्यम से स्थापित हुआ भारत का रिसर्च लीडरशिप में स्थान
टाइम्स हायर एजुकेशन समिट 2025 में भारत की इस भागीदारी ने यह साबित कर दिया कि आज भारत सिर्फ तकनीकी शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि रिसर्च लीडरशिप के रूप में भी वैश्विक मंच पर मजबूती से उभर रहा है। गलगोटिया विश्वविद्यालय की यह उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि देश के निजी विश्वविद्यालय भी अब नीतिगत और अकादमिक नेतृत्व करने में सक्षम हैं।
गलगोटिया विश्वविद्यालय – शिक्षा का उभरता वैश्विक चेहरा
भारत में स्थित गलगोटियास विश्वविद्यालय अब केवल राष्ट्रीय सीमाओं में सीमित नहीं रहा। उसके छात्र, शोधकर्ता और शिक्षक अब दुनिया के बड़े मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यह न सिर्फ शैक्षणिक गुणवत्ता का प्रतीक है, बल्कि एक प्रेरणा है उन सभी छात्रों के लिए जो उच्च शिक्षा में बदलाव लाने का सपना देखते हैं।
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